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    Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी पर करें इस स्तोत्र के पाठ, सभी बाधाएं जल्द होंगी दूर

    Updated: Sun, 09 Mar 2025 03:45 PM (IST)

    फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi 2025) के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को होली से पहले किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी पर पूजा करने से पापों से नाश होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न?

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    Amalaki Ekadashi 2025: इस तरह प्राप्त करें भगवान विष्णु की कृपा (Pic Credit- AI)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी व्रत 10 मार्च (Amalaki Ekadashi 2025) को किया जाएगा। इस शुभ अवसर पर दान करने का विशेष महत्व है। साथ ही साधक श्रीहरि और देवी लक्ष्मी की उपासना करते हैं। अगर आप भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पूजा के दौरान श्रीहरि स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि श्रीहरि स्तोत्र का पाठ करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

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    आमलकी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 मार्च को सुबह 07 बजकर 45 मिनट पर होगी और समापन अगले दिन यानी 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर होगा। इस प्रकार 10 मार्च को आमलकी एकादशी व्रत किया जाएगा।

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    ॥ श्री हरि स्तोत्र ॥

    जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

    नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥

    सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

    गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं

    चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥

    जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं

    जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं॥

    कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

    स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं॥

    समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

    सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं॥

    सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

    सदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं

    मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं॥

    ॥ फलश्रुति ॥

    इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तंपठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:

    स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो॥

    मां लक्ष्मी के मंत्र

    1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

    या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

    या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

    सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

    2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

    3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

    4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

    मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

    ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।