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    Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी पर करें तुलसी जी के मंत्रों का जप, प्रभु श्रीहरि होंगे प्रसन्न

    एकादशी तिथि को हिंदू धर्म की खास तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए कई साधक व्रत करते हैं। साथ ही इस दिन पर तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में एकादशी तिथि पर आप तुलसी जी के साथ-साथ भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए तुलसी जी के इन मंत्रों का जप कर सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 07 Mar 2025 06:09 PM (IST)
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    Amalaki Ekadashi 2025 Tulsi Mata Stotra and mantra

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi 2025) के नाम से जाना जाता है। इस साल यह एकादशी सोमवार, 10 मार्च 2025 को मनाई जा रही है। इस दिन पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत और पूजा-पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है। 

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    ॥ तुलसी माता स्तोत्र ॥

    जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे।

    यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः॥1॥

    नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।

    नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके॥2॥

    तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा।

    कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम्॥3॥

    नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम्।

    यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात्॥4॥

    तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम्।

    या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः॥5॥

    नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ।

    कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे॥6॥

    भगवान विष्णु की प्रिय होने के कारण तुलसी को विष्णुप्रिय भी कहा जाता है। हालांकि एकादशी के दिन तुलसी में जल देना वर्जित माना जाता है, लेकिन इस दिन पर आप तुलसी माता स्तोत्र का पाठ कर विष्णु जी के कृपा पात्र बन सकते हैं। 

    तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले।

    यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः॥7॥

    तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ।

    आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके॥8॥

    तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः।

    अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन्॥9॥

    नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे।

    पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके॥10॥

    इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता।

    विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः॥11॥

    तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनः प्रिया॥12॥

    लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला।

    षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः॥13॥

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया॥14॥

    तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे।

    नमस्ते नारदनुते नारायणमनः प्रिये॥15॥

    ॥ इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

    तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना गया है। ऐसे में एकादशी के दिन तुलसी का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन पर आप तुलसी जी की कृपा प्राप्ति के लिए उनके मंत्रों का जप कर सकते हैं। इससे आपके ऊपर विष्णु जी की भी कृपा बनी रहती है।

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    तुलसी जी के मंत्र -

    महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

    तुलसी नामाष्टक मंत्र -

    वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

    एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।