Jagannath Temple: बेहद रहस्यमयी हैं जगन्नाथ मंदिर के 4 दरवाजे, चार युगों का माना जाता है प्रतीक
धार्मिक मान्यता के अनुसार जगन्नाथ रथ यात्रा में होने वाले श्रद्धालुओं को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा रथों पर सवार होकर नगर का भ्रमण करते हैं। इस दौरान जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple Secrets) में खास रौनक देखने को मिलती है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं मंदिर के 4 दरवाजों के रहस्य के बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत होती है। इस बार इस यात्रा आरंभ 27 जून से हुआ है। वहीं, इसका इसका समापन 08 जुलाई को होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस यात्रा में शामिल होने से भक्त को जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होने के बाद जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं। इस मंदिर के 4 दरवाजे हैं, जो रहस्यों से भरे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जगन्नाथ मंदिर के दरवाजों का रहस्य। अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए हम आपको बताएंगे इसके बारे में विस्तार से।
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जगन्नाथ मंदिर के दरवाजों का रहस्यों
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को जगत के पालनहार भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। जगन्नाथ मंदिर ओडिशा पुरी में है। यह मंदिर (Jagannath Temple doors Significance) भगवान जगन्नाथ को समर्पित है।
यहां रोजाना भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की विशेष पूजा-अर्चना होती है। मंदिर में भक्त प्रभु के दर्शनों के लिए दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर में 4 मुख्य (Chatur Dwara Jagannath Temple) दरवाजे हैं, जिन्हें बेहद रहस्यमयी माना जाता है। यह दरवाजे अलग-अलग दिशाओं में स्थित हैं। जगन्नाथ मंदिर के दरवाजों को सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग, धर्म और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
सिंह द्वार- मंदिर के पहले दरवाजे को सिंह द्वार के नाम से जाना जाता है। इस द्वार का मुख पूर्व दिशा की तरफ है। इसी द्वार से लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं। सिंह द्वार को मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है।
अश्व द्वार- यह द्वार दक्षिण दिशा में स्थित है। इसे विजय द्वार के नाम से जाना जाता है। ऐसा बताया जाता है की इस द्वार का इस्तेमाल युद्ध में जीत की कामना के लिए करते थे।
व्याघ्र द्वार- तीसरे द्वार को व्याघ्र द्वार कहा जाता है। इस द्वार को धर्म और इच्छा का प्रतीक माना गया है। यह द्वार उत्तर दिशा में स्थित है।
हस्ति द्वार- जगन्नाथ मंदिर के आखिरी द्वार को हाथी का प्रतीक माना जाता है। इस द्वार पर गणपति बप्पा विराजमान हैं। यह द्वार पश्चिम दिशा में है।
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