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    Jagannath Rath Yatra 2025: सोने की झाड़ू से सफाई, यात्रा में बारिश… जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा की खास बातें

    Updated: Fri, 27 Jun 2025 01:24 PM (IST)

    उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन 27 जून यानी आज रथ यात्रा निकाली जा रही है। इस मौके पर आज हम आपको जगन्नाथ मंदिर के एक अनोखी परंपरा और इससे जुड़े रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं। इन सभी खबरों को विस्तार से पढ़ने के लिए आप नीचे दिए लिंक्स पर क्लिक कर सकते हैं।

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    ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर से आज निकल रही है भव्य रथ यात्रा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी मंदिर में आपको किसी धातु या पत्थर की बनी मूर्ति देखने को मिलेगी। मगर, रहस्यों से भरे उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियां लकड़ी से बनी हुई होती हैं।

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    मूर्तियों की दिव्यता और अखंडता बनाए रखने के लिए उन्हें हर 12 साल में बदल दिया जाता है। यह जीवन चक्र, परिवर्तन और नवीनीकरण का भी संकेत है, जो बताता है कि परिवर्तन ही स्थिर है। इन मूर्तियों को नीम की लकड़ी से बनाया जाता है और इसे नवकलेवर की परंपरा कहा जाता है। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां करें क्लिक…

    puri rath yatra 2025

    दारुक की लकड़ी से बनते हैं रथ

    भगवान के रथों का निर्माण विशेष ‘दारुक’ की लकड़ी से किया जाता है। विशालकाय रथों को बनाने में कोई कील, कांटे या धातु नहीं लगाई जाती है। यात्रा में सबसे आगे बलभद्र का रथ तालध्वज चलता है। बीच में सुभद्रा का रथ दर्पदलन होता है। यात्रा में सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ के रथ नंदीघोष रहता है।

    इस रथ यात्रा के दौरान एक और खास बात होती है। वह है रथ यात्रा के दिन बारिश के होने की। कहते हैं कि आज तक कभी भी ऐसा मौका नहीं आया है, जब रथ यात्रा के बारिश न हुई हो। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां करें क्लिक…

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    सोने की झाड़ू से होती है सफाई

    रथ यात्रा से पहले सोने के हत्थे वाली झाड़ू से सफाई की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, कोई भी व्यक्ति इस झाड़ू से सफाई नहीं कर सकता है। इस अनुष्ठान में सिर्फ राजाओं के वंशज ही भाग लेते हैं। सोना बहुमूल्य है, शुभ है और इस धातु से बनी झाड़ू से रास्ते की सफाई करने को शुभता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

    मान्यता है कि ऐसा करके प्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के प्रति आभार जताया जाता है। यह जताया जाता है कि भक्त अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रभु के चरणों में अर्पित करने के लिए तैयार हैं। साथ ही उनके रास्ते को पूर्ण रूप से स्वच्छ और शुद्ध किया जाता है। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां करें क्लिक…

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    अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनते हैं भगवान

    भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा रथ यात्रा के दौरान अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनते हैं। इन्हें बनाने के लिए रेशमी और सूती कपड़ों का प्रयोग किया जाता है।

    ओडिशा के खुर्दा जिले के रावतपाड़ा गांव में रहने वाले बुनकरों के परिवार इन वस्त्रों का निर्माण पीढ़ी दर पीढ़ी करते चले आ रहे हैं। 7 दिनों के वस्त्र विशेष रूप से अलग-अलग रंग के बनाए जाते हैं। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां करें क्लिक…

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    कौन खींच सकता है रथ

    भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने को किसी भी धर्म या जाति का व्यक्ति खींच सकता है। रथ खींचने वालो भक्तों की संख्या भी कोई निश्चित नहीं होती है। यह एक सामूहिक प्रयास होता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। इसका कोई नियम नहीं होता है।

    भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले नंदीघोष रथ की रस्सी को शंखाचुड़ा नाड़ी, 14 पहियों वाले बलभद्र के रथ की रस्सी को बासुकी और 12 पहियों के सुभद्रा के रथ दर्पदलन को स्वर्णचूड़ा नाड़ी के नाम की रस्सी से खींचा जाता है। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां करें क्लिक…

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    रथ के हिस्से घर ला सकते हैं आप

    रथ यात्रा के बाद रथ के हिस्सों को आप घर ले जा सकते हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इन हिस्सों की नीलामी की जाती है। पिछले साल रथ के इन हिस्सों की नीलामी से मंदिर प्रशासन कमेटी को 55 लख रुपए मिले थे।

    भगवान जगन्नाथ के रथ (Jagannath's Nandighosh chariot) के पहिए की कीमत तीन लाख रुपए होगी, जो पहले एक लाख रुपए थी। बलदेव के रथ तालध्वज (Balabhadra's Taladhwaja chariot) के पहिए की कीमत दो लाख रुपए होगी, जो पहले 60 हजार रुपए थी।

    वहीं, सुभद्रा के रथ दर्पदलन (Subhadra's Darpadalana chariot) के पहिए की कीमत डेढ़ लाख रुपए तय की गई है, जो पहले 50 हजार रुपये थी। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां करें क्लिक…

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    मंदिर में नहीं जाता कोई अविवाहित जोड़ा

    पुरी मंदिर में कोई भी अविवाहित जोड़ा साथ में दर्शन नहीं करता है। कहते हैं कि एक बार राधा रानी की इच्छा जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन करने की हुई। उनके वहां पहुंचने के बाद मंदिर के पुजारी ने उनको प्रवेश करने से रोक दिया।

    द्वार पर खड़ी राधा रानी ने जब पुजारी से इसकी वजह पूछी, तो पुजारी ने बताया कि आप श्री कृष्ण की प्रेमिका हैं। इसलिए आपको मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके बाद उन्होंने श्राप दे दिया था जो भी अविवाहित जोड़ा इस मंदिर में दर्शन करने आएगा, उसका प्रेम सफल नहीं होगा। इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यहां करें क्लिक…

    यह भी पढ़ें- Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए इंद्रद्युम्न सरोवर से आएगा जल, क्यों है यह महत्वपूर्ण

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।