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    Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ के रथ को कौन खींच सकता है, क्या मिलता है इसका फल… जानिए सबकुछ

    Updated: Wed, 18 Jun 2025 12:24 PM (IST)

    Jagannath Rath Yatra 2025 जगन्नाथ पुरी मंदिर में 27 जून को रथ यात्रा का आयोजन होगा जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। अक्षय तृतीया से रथों का निर्माण शुरू हुआ था। लाखों भक्त भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा के रथ को खींचने के लिए इस धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में एकत्रित होते हैं।

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    Jagannath Rath Yatra 2025: रथ यात्रा में शामिल होने से यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन 27 जून को रथ यात्रा निकाली जाएगी। इसकी तैयारियां पूरे जोरों शोर से चल रही हैं। अक्षय तृतीया के दिन से रथों का निर्माण कार्य शुरू हो गया था।

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    इस मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इन रथों को कौन खींच सकता है? रथों को खींचने का क्या फल होता है? यदि आप रथ न भी खींच पाए, तो जगन्नाथ यात्रा में शामिल होने का क्या फल मिलता है? इसके क्या नियम होते हैं? 

    भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। हालांकि, रथ खींचने के लिए भक्तों की संख्या कोई निश्चित नहीं होती है। यह एक सामूहिक प्रयास होता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। इसका कोई नियम नहीं होता है। 

    यात्रा में चलते हैं 3 रथ  

    सबसे आगे बलभद्र का रथ होता है, जिसका नाम तालध्वज है। इसके बाद सुभद्रा का रथ दर्पदलन चलता है। सबसे पीछे के रथ नंदीघोष में भगवान जगन्नाथ सवार होते हैं। इन रथों पर सवार होकर वह करीब 3 किमी दूर स्थित गुंडीचा माता के मंदिर जाते हैं, जहां भगवान जगन्नाथ 10 दिन विश्राम करते हैं। 

    रस्सियों के भी होते हैं नाम 

    क्या आपको पता है कि भगवान के इन तीनों रथों के जिस तरह से नाम अलग-अलग होते हैं। उसी तरह से उन्हें खींचने वाली रस्सियों के नाम भी अलग-अलग होते हैं। भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले नंदीघोष रथ की रस्सी को शंखाचुड़ा नाड़ी के नाम से पुकारा जाता है। 

    वहीं, 14 पहियों वाले बलभद्र के रथ की रस्सी को बासुकी कहा जाता है। बीच में चलने वाले 12 पहियों के रथ को स्वर्णचूड़ा नाड़ी के नाम की रस्सी से खींचा जाता है।  

    कौन खींच सकता है रथ 

    कोई भी व्यक्ति जो आस्था के साथ पुरी पहुंचता है, वह रथ की रस्सियों के जरिए उसे खींच सकता है। चाहें वह किसी भी पंथ का हो, जाति का हो, धर्म का हो। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति रथ की रस्सियों को पकड़कर खींचता है, वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।  

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    कोई भी व्यक्ति सिर्फ कुछ दूरी तक ही रथ को खींच सकता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रथ खींचने का मौका मिल सके। वहीं, यदि आप रख को नहीं खींच पाते हैं, तो भी कोई समस्या नहीं है। इस रथ यात्रा में पूरे भक्तिभाव से शामिल होने पर ही हजारों यज्ञों के बराबर का पुण्य मिलता है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।