Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ जी के बीमार होने से लेकर मंदिर लौटने तक, निभाई जाती हैं ये रस्में

    Updated: Sat, 28 Jun 2025 11:47 AM (IST)

    आषाढ़ माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) की शुरुआत होती है। ऐसे में 27 जून से जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जगन्नाथ रथयात्रा से जुड़ी कौन-सी ऐसी रस्में हैं जो 10 दिनों तक चलती हैं।

    Hero Image
    Jagannath Rath Yatra 2025 जानिए जगन्नाथ की यात्रा से जुड़ी खास रस्में।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उड़ीसा के पुरी में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इसके प्रति लोगों में गहरी आस्था है, जिसका पता इस बात से ही चलता है, कि इस यात्रा में भाग लेने के लिए लाखों की संख्या में भक्त यहां आते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी रथ में सवार होकर गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं। इस दौरान कई तरह के अनोखी रस में भी निभाई जाती हैं। चलिए जानते हैं  इसके बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सबसे पहले किया जाता है ये काम

    रथ यात्रा शुरू होने से पहले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को 108 घड़ो के सुंगधित जल से स्नान करवाया जाता है। उसके बाद से ही भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं।

    स्नान के बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं और 15 दिनों तक उन्हें अलग कक्ष में रखा जाता है, जिसे ओसर घर कहा जाता है। इन 15 दिनों की अवधि में भक्तों के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान आयुर्वेदिक तेलों जैसे फुल्लरी तेल आदि भगवान की मालिश की जाती है और उनकी देखभाल की जाती है।

    (Picture Credit: Freepik)

    पहले दिन की रस्म

    15 दिन बाद भगवान अपने विश्राम ग्रह से बाहर आते हैं। रथ यात्रा के पहले दिन छेरा पहरा रस्म की जाती है। इस दौरान पुरी के गजपति राजा, जो भगवान के पहले सेवक माने जाते हैं एक सोने की झाड़ू से रथों के आगे झाड़ू लगाते हैं। साथ ही चंदन से मिश्रित जल का छिड़काव भी करते हैं। इस रस्म के बाद ही भक्त रथ को खींचना शुरू करते हैं। यह यात्रा गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जो भगवान की मौसी का घर माना गया है।

    यह भी पढ़ें - Jagannath Rath Yatra 2025: सोने की झाड़ू से सफाई, यात्रा में बारिश… जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा की खास बातें

    मां लक्ष्मी करती हैं खोज

    रथ यात्रा के पांचवें दिन हेरा पंचमी की रस्म होती है, जिसमें मां लक्ष्मी गुडीचा मंदिर पहुंचती हैं। माना जाता है कि मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ की खोज में यात्रा पर निकलती हैं, क्योंकि वह उन्हें बिना साथ लिए ही चले जाते हैं।

    मौसी के घर विश्राम करते हैं भगवान

    गुंडिचा मंदिर तक पहुंचने के बाद ही रथ यात्रा पूरी मानी जाती है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र जी को  विधि-विधान पूर्वक स्नान करवाया जाता है। भगवान 7 दिनों तक गुंडिचा मंदिर में ही विश्राम करते हैं और आठवें दिन वापस जगन्नाथ मंदिर पहुंचने हैं।

    भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है। जगन्नाथ मंदिर पहुंचने के बाद भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को विधिवत रूप से स्नान करवाया जाता है और वैदिक मंत्रोच्चारण के बाद पुनः अपने स्थान पर प्रतिष्ठित कर दिया जाता है।

    यह भी पढ़ें - Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए इंद्रद्युम्न सरोवर से आएगा जल, क्यों है यह महत्वपूर्ण

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।