सीएम अशोक गहलोत ने 'स्वास्थ्य का अधिकार' कानून को बताया जनहितैषी, कहा- चिकित्सकों के साथ सहमति बनना सुखद संकेत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को इलाज के अभाव में कष्ट नहीं हो इस सोच के साथ राज्य सरकार स्वास्थ्य का अधिकार लेकर आई है। राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। File Photo

जयपुर, ऑनलाइन डेस्क। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को इलाज के अभाव में कष्ट नहीं हो, इस सोच के साथ राज्य सरकार 'स्वास्थ्य का अधिकार' लेकर आई है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि राज्य सरकार द्वारा राइट टू हेल्थ बिल के संबंध में चिकित्सकों के समक्ष रखे गए प्रस्ताव पर सहमति बनी है। बता दें कि राजस्थान 'राइट टू हेल्थ' लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।
राइट टू हेल्थ पर सहमति बनना सुखद संकेत- सीएम
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि सभी प्रदेशवासियों ने इस बिल के पक्ष में राज्य सरकार का सहयोग किया और आगे बढ़कर इस जनहितैषी बिल का स्वागत किया है। अब चिकित्सकों की भी इस महत्वपूर्ण बिल पर सहमति बनना सुखद संकेत है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि सभी चिकित्सक तुरंत प्रभाव से काम पर वापस लौटेंगे और स्वास्थ्य का अधिकार, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना एवं आरजीएचएस जैसी योजनाओं को सरकारी एवं निजी अस्पताल मिलकर सफल बनाएंगे।
सीएम ने डॉक्टरों से उम्मीद की व्यक्त
सीएम ने विश्वास व्यक्त किया कि निजी एवं सरकारी अस्पतालों ने जिस तरह कोविड का बेहतरीन प्रबंधन कर मिसाल कायम की, उसी तरह इन योजनाओं को धरातल पर सफलतापूर्वक लागू कर राजस्थान मॉडल ऑफ पब्लिक हैल्थ पेश करेंगे।
सरकार और चिकित्सकों के बीच बनी सहमति
बता दें कि मंगलवार को राज्य सरकार एवं चिकित्सकों के बीच स्वास्थ्य का अधिकार बिल को लेकर सहमति बनी। मुख्य सचिव के अवास पर प्रमुख शासन सचिव, चिकित्सा शिक्षा सचिव टी. रविकांत एवं आईएमए, उपचार तथा पीएचएनएस के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई, जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर दोनों पक्षों की ओर से सहमति बनी।
राइट टू हेल्थ का क्या पड़ेगा प्रभाव?
समझौते के अनुसार, 'स्वास्थ्य का अधिकार' लागू करने के प्रथम चरण में 50 बेड से कम के निजी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा। जिन निजी अस्पतालों ने सरकार से कोई रियायत नहीं ली है या अस्पताल के भू-आंवटन में कोई छूट नहीं ली है, उन पर भी इस कानून की बाध्यता नहीं होगी।
इसके साथी ही प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर चल रहे अस्पतालों का कोटा मॉडल के अनुरूप नियमितीकरण पर विचार किया जाएगा। कोटा मॉडल के तहत उन अस्पतालों के भवनों को नियमों में शिथिलता प्रदान कर नियमित करने पर विचार किया जाएगा, जो आवासीय परिसर में चल रहे हैं।
समझौते के अनुसार, आंदोलन के दौरान दर्ज पुलिस एवं अन्य मामले वापस लिए जाएंगे। निजी अस्पतालों को लाइसेंस एवं अन्य स्वीकृतियां जारी करने के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम लाए जाने पर विचार किया जाएगा। निजी अस्पतालों को फायर एनओसी प्रत्येक पांच साल में देने के बिंदु पर विचार किया जाएगा। साथ ही, भविष्य में स्वास्थ्य के अधिकार कानून से संबंधित नियमों में बदलाव आईएमए के प्रतिनिधियों से चर्चा कर किया जाएगा।
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