पे-पेरिटी की मांग को लेकर वेटरनरी डॉक्टरों का रोष प्रदर्शन, संगरूर व मालेरकोटला में सेवाएं रहीं ठप
संगरूर और मालेरकोटला के वेटरनरी डॉक्टरों ने पे-पेरिटी की मांग को लेकर दो दिवसीय आंदोलन किया, जिससे पशुपालन विभाग की सेवाएं ठप रहीं। डॉक्टरों ने सरकार ...और पढ़ें

ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑफ वेट्स फॉर पे पेरिटी के आह्वान पर जिला संगरूर और मालेरकोटला में प्रदर्शन किए गए।
जागरण संवाददाता, संगरूर। ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑफ वेट्स फॉर पे पेरिटी के आह्वान पर जिला संगरूर और मालेरकोटला के वेटरनरी डॉक्टरों ने दो दिवसीय आंदोलन के तहत पशुपालन विभाग की वेटरनरी सेवाएं पूरी तरह ठप रखीं। इस दौरान सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया।
आंदोलन के दूसरे दिन संगरूर के पशु अस्पताल सहित जिले के विभिन्न पॉलीक्लीनिकों में सभी आवश्यक सेवाएं बंद रहीं, जिससे पशुपालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रदर्शन के दौरान मेडिसिन, सर्जरी, गायनेकोलॉजी एवं ऑब्सटेट्रिक्स, लैबोरेटरी टेस्ट सहित सभी प्रकार की वेटरनरी सेवाएं ठप रहीं।
वेटरनरी डॉक्टरों ने बताया कि वे पिछले पांच वर्षों से अपनी जायज मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन पंजाब सरकार लगातार झूठे आश्वासन देकर उन्हें टालती आ रही है। मजबूरी में डॉक्टरों को सड़कों पर उतरकर धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
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2021 की जारी अधिसूचना की प्रतियां जलाई गई
दो दिवसीय आंदोलन के तहत डॉक्टरों ने जिले के पॉलीक्लीनिकों में एकत्र होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद पंजाब सरकार के वित्त विभाग द्वारा 4 जनवरी 2021 को जारी पत्र और पशुपालन विभाग की ओर से 12 जनवरी 2021 को जारी अधिसूचना की प्रतियों को फूंककर विरोध दर्ज कराया गया।
डॉक्टरों का आरोप है कि इन आदेशों के जरिए धोखे से उनकी पे-पेरिटी को खत्म किया गया।
42 वर्षों तक पे-पेरिटी रही डॉक्टरों के समान
वेटरनरी डॉक्टरों ने कहा कि वर्ष 1977 से लेकर करीब 42 वर्षों तक उनकी पे-पेरिटी मेडिकल डॉक्टरों के समान रही है। इसके साथ ही डीएसीपी स्कीम भी मेडिकल डॉक्टरों की तरह ही लागू थी। लेकिन वर्ष 2021 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए सरकार ने इसे समाप्त कर दिया, जो समान कार्य, समान वेतन के सिद्धांत के खिलाफ है।
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इस मौके पर डॉ. मुकेश गुप्ता, डॉ. विक्रम कपूर, डॉ. प्रभजोत सिंह, डॉ. सागर, डॉ. खुशविंदर सिंह और डॉ. नवरीत सिंह ने कहा कि सरकार उनकी प्रमुख मांगों, जैसे- मेडिकल डॉक्टरों के साथ पे-पेरिटी की बहाली, डीएसीपी 4-9-14 स्कीम की पुनर्बहाली और एचआरए व एनपीए को दोबारा लागू करने, पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर जल्द समाधान की मांग की और चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
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