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शहर के मंदिर : ऊॅ नम: शिवाय

राजपुरा के प्राचीन शिव मंदिर नलास में महाशिवरात्रि पर लगने वाले मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस बार मेले में पहुंचने वाले करीब दस लाख श्रद्धालुओं में महिलाओं की ओर से की जाने वाली कलश परिक्रमा के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Feb 2018 03:50 PM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 03:50 PM (IST)
शहर के मंदिर : ऊॅ नम: शिवाय

राजपुरा के प्राचीन शिव मंदिर नलास में महाशिवरात्रि पर लगने वाले मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस बार मेले में पहुंचने वाले करीब दस लाख श्रद्धालुओं में महिलाओं की ओर से की जाने वाली कलश परिक्रमा के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। मंदिर कमेटी ने कलश परिक्रमा के लिए अलग से शिव¨लग व मंदिर की स्थापना करवाई है। वहीं स्वयं प्रकट होने वाले शिव¨लग पर बने मंदिर मे पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए 100 के करीब बैरीकेड लगाए गए हैं। एक हजार के करीब भोले बाबा की फौज के सेवादार भी हर वक्त चौकस और श्रद्धालुओं को हर समस्या से निजात दिलवाएंगे। मंदिर कमेटी की ओर से तीसरी आंख के रूप में जहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं।

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मंदिर कमेटी के सेवादार प्रेम कुमार ने बताया कि मंदिर सभा की ओर से 24 घंटे तक लंगर की सेवा व मेडिकल सुविधा सुचारू रूप से चलती रहेगी। इसके लिए एक समय में पचास हजार श्रद्धालुओं के बैठने की भी व्यवस्था की गई है। डंडौत करने वाले व वीआइपी लोगों के लिए अलग से रास्ता बनाकर मंदिर में प्रवेश करवाने की व्यवस्था बनाई गई है ताकि श्रद्धालुओं को कोई भी बाधा न पहुंचे।

एतिहासिक शिव मंदिर नलास में लगाया 140 फीट उंचा त्रिशुल

श्री शानालेश्वर महादेव शिव मंदिर नलास में महाशिवरात्रि की तैयारियों के मद्देनजर मंदिर के प्रांगण में 140 फीट ऊंचे त्रिशुल को स्थापित किया गया है। मंदिर के मुख्य सेवादार महंत इन्द्र गिरी जी महाराज व महंत लाल गिरी महाराज ने बताया कि शुद्ध स्टील से बने इस त्रिशुल को स्थापित करने के लिए क्रेन की मदद ली गई है। इसी स्थान पर भगवान शिवजी की 108 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई है।

स्वयं शिव¨लग प्रकट हुआ था नलास में

गांव नलास में 550 वर्ष पुराने प्राचीन शिव मंदिर के बारे मान्यता है कि शिव मंदिर नलास में किसी भी श्रद्धालु की ओर से शिव¨लग स्थापित नहीं किया गया, बल्कि स्वयं शिव¨लग प्रकट हुआ था। संवत 1592 में महाराजा पटियाला ने अपने हाथों से मंदिर बनवाया व कर्मगिरी को मंदिर का महंत नियुक्त किया।


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