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    गुरु ग्रंथ साहिब के 328 पावन स्वरूप का मामला; सीएम मान बोले- जांच होगी, ये धार्मिक मामले में हस्तक्षेप नहीं, कानूनी अधिकार है

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 04:56 PM (IST)

    पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरु ग्रंथ साहिब के 328 पावन स्वरूपों के मामले पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होगी और यह धार्मिक ...और पढ़ें

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    मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम भगवंत मान।

    कैलाश नाथ, चंडीगढ़। गुरु ग्रंथ साहिब के गायब हुए 328 पावन स्वरूप के मामले में श्री अकाल तख्त और पंजाब सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती जा रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा हैं कि यह धार्मिक मामले में हस्तक्षेप नहीं है। सरकार के पास गायब स्वरूपों की जांच के लिए कानूनी अधिकार है। 

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    यह जानना बेहद जरूरी हैं कि 328 पावन स्वरूप किसके पास हैं। क्योंकि जब बेअदबी होती है तो सवाल उठते हैं कि पुलिस क्या कर रही थी। अब एसआईटी इस बात की जांच कर रही हैं, वह गायब स्वरूप कहां हैं तो कहा जा रहा हैं कि यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 में जागत जोत श्री गुरु ग्रंथ साहिब सत्कार एक्ट 2008 विधान सभा में पास करवाया गया था।

    इस एक्ट के जरिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब को छापने का अधिकार एसजीपीसी को सौंप दिया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब इस एक्ट को विधान सभा में पास करवाया गया तो धार्मिक मामलों में सरकार की हस्तक्षेप नहीं हुई। क्योंकि उस समय शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। 

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    सीएम ने 2020 में एसजीपीसी की बैठकों के फैसले जनतक किए

    मुख्यमंत्री ने सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की 27-8-2020 को हुई आंतरिक बैठक में पास किए गए प्रस्तावों को जनतक किया। जिनमें हवाला देते हुए कहा कि उस समय यह फैसला लिया गया था कि एसजीपीसी के तत्कालीन जरनल सेक्रेटरी (अब प्रधान हैं) एडवकोट हरजिंदर सिंह धामी की अगुवाई में एक सब कमेटी गठित की जाएगी। 

     इतना ही नहीं, वह दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करवाएगे। प्रस्ताव में बड़े स्तर पर एसजीपीसी के पदाधिकारियों के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई करवाने के प्रस्ताव को भी पास किया गया। एसजीपीसी के सीए सतिंदर सिंह कोहली, जोकि सुखबीर बादल के भी सीए हैं, से 15 दिन के भीतर रिकार्ड लेने और उनकी सेवाएं खत्म करने को भी मंजूरी दी गई थी, जो आज तक नहीं हुआ।  

    यही नहीं इस बैठक के कुछ दिन बाद ही एक और बैठक हुई। जिसमें यह फैसला लिया गया कि एसजीपीसी ही इन गायब स्वरूपों की जांच करेगी। फौजदारी मामले दर्ज नहीं करवाए जाएंगे।

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    श्री अकाल तख्त साहिब को ढाल बनाया जा रहा 

    मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इसलिए डर लग रहा हैं क्योंकि एसआईटी जब संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों को बुलाएगी तो काफी चिट्ठे खुलेंगे। इसलिए श्री अकाल तख्त को ढाल बनाकर सामने रखा जा रहा है।

    बता दें कि रविवार को सिखों के सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिंह साहिब की बैठक के उपरांत जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज ने कहा था कि गायब 328 पावन स्वरूपों से जुड़ा मामला पंथक व धार्मिक है।

    एसजीपीसी इसे हल करने में सक्षम है। सरकार का सिख धर्म के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप स्वीकार नहीं हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि गड़गज अभी पूर्ण रूप से जत्थेदार नहीं बने हैं। क्योंकि उन्हें कई संस्थानों ने मान्यता नहीं दी है।

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