विशेषज्ञों ने गिनाए मिट्टी की जांच से फसल की मार्केटिंग तक एग्री स्टार्टअप के लिए अवसर

यहां हम 50 ऐसे अवसरों के बारे में बता रहे हैं जिनमें युवा प्रयास कर सकते हैं। इनमें से कुछ के सॉल्यूशन आ चुके हैं तो कुछ अछूते हैं। जिनके सॉल्यूशन आ च...और पढ़ें
एस.के. सिंह जागरण न्यू मीडिया में सीनियर एडिटर हैं। तीन दशक से ज्यादा के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में ...और जानिए
एस.के. सिंह, नई दिल्ली। पराली की समस्या से निजात दिलाने के लिए एक स्टार्टअप ने पराली से ग्राफीन बनाने की विधि विकसित की है, जो स्टील से 200 गुना तक मजबूत माना जाता है। एक स्टार्टअप ने ऐसा बायो-रिपेलेंट बनाया है जो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले पशु-पक्षियों को दूर भगाता है। एक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ऐसी तकनीक विकसित की जिससे यह पता लगाना आसान हो गया है कि मिट्टी में कौन सा पोषक तत्व कितना है, फसल में कब और कितना खाद या पानी देना है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए एक स्टार्टअप ने सीफूड की ट्रेसेबिलिटी का सॉल्यूशन तैयार किया है। ट्रेसेबिलिटी का खास तौर से निर्यात में बड़ी महत्व होता है।
ये चंद उदाहरण बताते हैं कि भारत में कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप ने किस तरह के इनोवेशन किए हैं। दरअसल, भारत में दुनिया का 2.3% भूक्षेत्र है, लेकिन आबादी दुनिया का 17.7% है। अर्थात 140 करोड़ से ज्यादा लोगों की खाद्य जरूरतें पूरी करने के लिए खेती में नवाचार जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों में स्टार्टअप के लिए संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। जैसे, अभी कुल उत्पादन में सिर्फ 15-20% हिस्सा अच्छी क्वालिटी के बीज का है। यह अनुपात बढ़े तो पैदावार पर काफी फर्क पड़ सकता है।
एग्री स्टार्टअप के लिए वर्ष 2023-24 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक्सेलरेटर फंड बनाने की घोषणा की है। उससे पहले केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक स्टार्टअप कांफ्रेंस में कहा था कि एग्री स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए 500 करोड़ रुपये का एक्सेलरेटर प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। जागरण प्राइम ने विशेषज्ञों से बातचीत कर यह जाना कि कृषि क्षेत्र में कहां-कहां इनोवेशन की संभावनाएं हैं। ये बुवाई से पहले मिट्टी की जांच और बीज की क्वालिटी से लेकर फसलों को नुकसान से बचाने और खेती की लागत में कमी, तैयार फसल के बेहतर भंडारण और प्रोसेसिंग जैसे अनेक क्षेत्रों में हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें- बजट में घोषित एग्री स्टार्टअप फंड के बाद जानिए कहां हैं संभावनाएं, सफलता के लिए किन बातों का रखना पड़ेगा ध्यान
फिर जलाई जाने लगी पराली, थोड़े मुनाफे के लिए किसान छीन रहे मिट्टी का जीवन
खेतों में घटते आर्गेनिक कार्बन से बिगड़ रही मिट्टी की सेहत, खाद्यान्न सुरक्षा के लिए बढ़ेगी चुनौती
ओजोन का बढ़ता प्रदूषण पैदा कर सकता है खाद्यान्न संकट, फसलों को पहुंचाता है भारी नुकसान
पराली से बनेगा 2जी एथनॉल, फसलों के अवशेष बेच कर भी किसान कर सकेंगे कमाई
भारत की 46% वर्कफोर्स कृषि क्षेत्र में, इसलिए कृषि आयात बढ़ने पर बड़ी आबादी के लिए बढ़ेगी मुश्किल
सब्सक्रिप्शन प्लान के ज़रिये जागरण PRIME का हिस्सा बनें और प्रीमियम अनुभव पाएं
गहन रिसर्च, विशेषज्ञों से बातचीत और विश्लेषण पर आधारित कंटेंट
प्रीमियम ऑफ़लाइन इवेंट्स,और मेंबर्स-ओनली कॉन्फ्रेंस के लिए विशेष निमंत्रण पाएं
रोज़ाना पाइए जागरण अख़बार का ई-पेपर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।