Budget 2024-25: गरीब राज्यों में परियोजनाओं से रोजगार बढ़ेगा, शहरों के बेहतर विकास और उन्हें चलाने की चुनौती
‘विकास केंद्रों के रूप में शहर’ को भारत सरकार ने विशिष्ट भूमिका प्रदान की है। तीस लाख से ऊपर आबादी के 14 बड़े शहरों के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) योजनाएं बनेंगी जिसमें आवागमन तथा शहरी विकास नियम और भी आधुनिक किए जाएंगे। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये 14 शहर भारत की जीडीपी में आधे से अधिक का योगदान देते हैं।
बजट 2024 पर आपने बहुत कुछ सुना, पढ़ा और देखा होगा। जो नहीं देखा वह है भारत के राज्यों की प्रति व्यक्ति औसत आय। बिहार की आय से पांच गुना आय है महाराष्ट्र, तमिलनाडु या गुजरात की। उत्तर प्रदेश की आय भारत की औसत आय की आधी है। इसलिए ‘पूर्वोदय’ कार्यक्रम की नितांत आवश्यकता है, जिसमें पूर्वी भारत के गरीब राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
‘विकास केंद्रों के रूप में शहर’ को भारत सरकार ने विशिष्ट भूमिका प्रदान की है। तीस लाख से ऊपर आबादी के 14 बड़े शहरों के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) योजनाएं बनेंगी, जिसमें आवागमन तथा शहरी विकास नियम और भी आधुनिक किए जाएंगे। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये 14 शहर भारत की जीडीपी में आधे से अधिक का योगदान देते हैं। मौजूदा शहरों के रचनात्मक ब्राउनफील्ड पुनर्विकास के लिए रूपरेखा बनेगी। भारत तभी विकसित होगा जब हमारे लोग गांवों से शहरों में जाकर अधिक आमदनी कमा सकेंगे। मेरा अनुमान है कि देश की शहरी जनसंख्या 2042 तक 50% का आंकड़ा पार कर लेगी। अमृत काल में भारत की एक प्रमुख चुनौती शहरों को भली-भांति बनाने और चलाने की रहेगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुल बजट 48.21 लाख करोड़ रुपये में से 11.11 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं। वस्तुतः कुल बजट में स्कीम एक्सपेंडिचर 20.22 लाख करोड़ रुपये में से 11.11 लाख करोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हैं। देश के गरीब राज्यों में परियोजनाओं से रोजगार व विकास बढ़ेगा। बिहार में पटना-पूर्णिया, बक्सर-भागलपुर व अन्य द्रुतगामी सड़कें बनेंगी। बक्सर में गंगाजी पर एक पुल और बिहार तथा अन्य राज्यों में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के लिए विशेष निर्माण किए जाएंगे।
2014 से एनडीए की सरकारें निरंतरता व वित्तीय जिम्मेदारी के साथ बजट प्रस्तुत करती आई हैं। यही कारण है कि आज भारत की वित्तीय स्थिति और आर्थिक वृद्धि दर विश्व के सबसे अग्रणी देशों में है। आज सही कार्यक्रमों में सरकार खर्च कर रही है, व व्यवस्था को सुधारने के कारण सरकार की आय भी बढ़ गई है। आशा है कि यह कुशल वित्तीय प्रबंधन अगले सालों में भी देखने को मिलेगा। यह भी आशा है कि भारत के 28 राज्यों में भी वित्तीय जिम्मेदारी से काम होगा।