Budget 2024-25: कर्ज में आसानी और क्रेडिट असेसमेंट प्रक्रिया में सुधार से एमएसएमई के लिए बेहतर वातावरण बनेगा
टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के लिए फंड जुटाना आसान होगा। बैंक कर्ज लेने की असेसमेंट प्रक्रिया में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की भूमिका खत्म करना स्वागतयोग्य बदलाव है। वित्त मंत्री का बैंकों को अपना रिस्क असेसमेंट मॉडल विकसित करने का निर्देश लंबी समय से चली आ रही चिंता दूर करता है। इससे क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के पास जाने के खर्च के बोझ और देरी से भी मुक्ति मिलेगी।
केंद्रीय बजट में स्थिरता को प्राथमिकता देने के साथ एमएसएमई सेक्टर को महत्वपूर्ण बूस्ट दिया गया है। एक बड़ा कदम नई क्रेडिट गारंटी स्कीम है। बिजनेस अब बिना कोलैटरल या थर्ड पार्टी गारंटी के 100 करोड़ रुपये तक की मशीनरी खरीदने के लिए लोन ले सकते हैं। प्रोजेक्ट असेसमेंट की जटिल प्रक्रिया खत्म होने से बिजनेस इकाइयों के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के लिए फंड जुटाना आसान होगा।
बैंक कर्ज लेने की असेसमेंट प्रक्रिया में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की भूमिका खत्म करना स्वागतयोग्य बदलाव है। वित्त मंत्री का बैंकों को अपना रिस्क असेसमेंट मॉडल विकसित करने का निर्देश लंबी समय से चली आ रही चिंता दूर करता है। इससे क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के पास जाने के खर्च के बोझ और देरी से भी मुक्ति मिलेगी।
स्पेशल मेंशन एकाउंट (एसएमए) कैटेगरी में आने वाले एमएसएमई के रिवाइवल में मदद के लिए फंड गठित करने की घोषणा भी एक सकारात्मक कदम है। हालांकि इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए ब्रांच स्तर के अधिकारियों को अधिकार देना जरूरी है। मुद्रा स्कीम में कर्ज की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने से माइक्रो इकाइयों को काफी राहत मिलेगी।
ट्रेड्स (ट्रेड रिसीवेवल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम) प्लेटफॉर्म पर आवश्यक लिस्टिंग के लिए मझोले उपक्रमों को शामिल करना और टर्नओवर की सीमा करना सकारात्मक कदम है। इससे वर्किंग कैपिटल जुटाना आसान होगा। एक प्रस्ताव सेक्टर-विशेष से हटकर, सभी एमएसएमई में रोजगार सृजन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) स्कीम का था। बजट में उन इंडस्ट्री के लिए तीन खास स्कीमें घोषित की गई हैं जिनमें बड़े पैमाने पर रोजगार की संभावना है।
एमएसएमई के लिए अलग बैंक का प्रस्ताव बजट में शामिल नहीं है, लेकिन तीन वर्षों में सिडबी के नेटवर्क का सभी प्रमुख एमएसएमई क्लस्टर में विस्तार का कदम स्वागत योग्य है। इस वर्ष 24 नई शाखाएं खुलने से 242 क्लस्टर में से 168 इसके दायरे में आ जाएंगे। इससे एमएसएमई की पहुंच बढ़ जाएगी।
सरकारी निजी साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब बनाने की घोषणा की गई है। इससे निर्यात करने वाली एमएसएमई को बेहतर रेगुलेटरी और लॉजिस्टिक्स फ्रेमवर्क मिलेगा। बजट में सस्ती इंडस्ट्रियल जगह उपलब्ध कराने की पुरानी मांग भी पूरी की गई है। इसके लिए निवेश के लिए तैयार ‘प्लग एंड प्ले’ इंडस्ट्रियल पार्क बनाने का प्रस्ताव है। करीब 100 शहरों में बनने वाले इन इंडस्ट्रियल पार्क में सभी इंफ्रास्ट्रक्चर होंगे।
बजट में घोषित जलवायु परिवर्तन से जुड़ी एक घोषणा की चर्चा बहुत कम है। बजट में इन्वेस्टमेंट ग्रेड एनर्जी ऑडिट का प्रस्ताव है। इसमें एनर्जी एफिशिएंसी सुधारने के लिए विस्तृत वित्तीय फिजिबिलिटी का अध्ययन किया जाएगा। इससे कार्बन इंटेंसिटी कम करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री ने इसके साथ ऑडिट के लिए किए जाने वाले उपायों में वित्तीय मदद का भी प्रस्ताव किया है। इस स्कीम को आगे चलकर 100 और क्लस्टर में लागू किया जाएगा।
बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान और डिजिटलाइजेशन के लिए राज्यों को इन्सेंटिव देने की पहल भी सकारात्मक कदम है। स्टांप ड्यूटी में कमी, ई-कॉमर्स ऑपरेटर के लिए टीडीएस दर में कटौती और इनकम टैक्स असेसमेंट में किए गए बदलावों से एमएसएमई के लिए इस ऑफ़ डूइंग बिजनेस बेहतर होगी।
बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता को प्राथमिकता दी गई है और उसके लिए एमएसएमई सेक्टर के माध्यम से विकास को गति देने के महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं। कर्ज में आसानी, क्रेडिट असेसमेंट प्रक्रिया में सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से एमएसएमई के लिए बेहतर वातावरण तैयार होने की उम्मीद है।