SC का केंद्र सरकार से तल्ख सवाल, सूखे को आपदा क्यों नहीं मानते ?
आजादी के करीब 69 साल के बाद भी भारतीय कृषि को जिस लक्ष्य को हासिल करना चाहिए था उस लक्ष्य से हम कोसों दूर हैं।
नई दिल्ली। आजादी के करीब 69 साल के बाद भी भारतीय कृषि को जिस लक्ष्य को हासिल करना चाहिए था उस लक्ष्य से हम कोसों दूर हैं। वजह बहुत से हैं जिनमें कुछ सरकारी नाकामी है तो कुछ प्रकृति की मार। देश के करीब 10 सूबे सूखे की चपेट में हैं। लोगों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। तो किसान प्यासी धरती को देखकर चिंता में डूबे हुए हैं उनका क्या होगा। इन सबके बीच देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार से सवाल किया कि आप लोग सूखे से निपटने के लिए बड़ी बड़ी योजनाओं की बात तो करते हैं। लेकिन जमीन पर आप लोगों के प्रयास नजर क्यों नहीं आते हैं। क्यों नहीं सरकार प्राकृतिक आपदाएं जिनमें सूखा शामिल है उसे डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के दायरे में क्यों नहीं लाते हैं। इस तरह के कदम उठाने में आप को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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दरअसल कई राज्य सूखे का सामना करना कर रहे हैं लेकिन उन राज्यों ने अपने आपको सूखाग्रस्त राज्य नहीं घोषित किया है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि इस मामले में उनके हाथ बंधे हुए हैं। सूखा राज्य सरकारों के कार्यक्षेत्र में आता है लिहाजा वो किसी राज्य पर दबाव नहीं बना सकते हैं। केंद्र सरकार के जवाब पर अदालत ने कहा कि ये तो आश्चर्य की बात है। लोग पीने के पानी की कमी से परेशान हैं जिसे आप लोग भी रोज देख रहे हैं फिर भी आपका ये कहना कि केंद्र सरकार दबाव नहीं डाल सकती समझ के परे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए एडिश्नल सॉलीसिटर जनरल पी एस नरसिंहा ने जब ये कहा कि सूखे से निपटने के लिए कोई वैधानिक व्यवस्था नहीं है जिसकी मदद से केंद्र सरकार दखल दे सके। इस जवाब पर सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि आप नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के जरिए सूखे से निपटने के लिए प्रभावी कार्रवाई कर सकते हैं। अदालत के इस सवाल पर केंद्र की तरफ से दलील देते हुए एडिश्नल सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट में सूखे का साफ तौर पर जिक्र नहीं हैं, बल्कि फसलों के नुकसान पर मुआवजा देिया जाने की व्यवस्था है।
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उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो सूखे से प्रभावित हुए लोगों की संख्या और राज्यों के बारे में जानकारी दे। केंद्र ने कहा कि वो 19 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में सूखे से संबंधित पूरा ब्यौरा अदालत को मुहैया करा देंगे।
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