सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, सूखे में अनाज के लिए राशनकार्ड क्यों जरूरी?
जब लोग सूखे से मर रहे हों तो अनाज बांटने के लिए राशनकार्ड की अनिवार्यता क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो टूक सवाल पूछ बिना राशनकार्ड के अनाज बांटे जाने का इशारा कर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जब लोग सूखे से मर रहे हों तो अनाज बांटने के लिए राशनकार्ड की अनिवार्यता क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो टूक सवाल पूछ बिना राशनकार्ड के अनाज बांटे जाने का इशारा कर दिया है। मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राशनकार्ड के अलावा निवास का कोई और सबूत जैसे मतदाता पहचान पत्र या आधार कार्ड पेश करने पर भी अनाज क्यों न मिले? इस पर केंद्र ने कोर्ट के सुझाव पर कहा कि जो लोग खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पात्र है उन्हें राशन कार्ड के अलावा अन्य पहचान पत्रों पर भी अनाज देने पर विचार किया जाएगा।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सूखा प्रभावित 10 राज्यों का पूरा ब्योरा मांगा है। साथ ही पूछा है कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में कितना फंड आवंटित हुआ है और उसमें से कितना जारी हुआ है। मनरेगा के ब्योरे के साथ कोर्ट ने राज्यों में सूखे की घोषणा का ब्योरा भी पेश करने को कहा है। केंद्र को ये सारी जानकारी अगले मंगलवार को कोर्ट में होने वाली सुनवाई में पेश करनी होगी। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर व न्यायमूर्ति एनवी रमना की पीठ ने सरकार को ये निर्देश 10 सूखा प्रभावित राज्यों में राहत और मदद देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
मंगलवार को पीठ ने कहा कि वे तीन बिंदुओं पर विचार कर रहे हैं। सूखा घोषित होना, खाद्य सुरक्षा कानून का लागू होना और सब्सिडी। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसीटर जनरल पी. नरसिम्हन ने मिड डे मील व अन्य योजनाओं के बारे में बताना शुरू किया। उन्होंने कहा कि जो लोग योजना में लाभ पाने की पात्रता रखते हैैं, जैसे जिनके पास राशन कार्ड है उन्हें अनाज दिया जाता है। पीठ ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राशन कार्ड के अलावा निवास स्थान का कोई और सबूत जैसे मतदाता पहचान पत्र या आधार कार्ड पेश करने पर भी क्यो न अनाज दिया जाए।
इस पर नरसिम्हन ने कहा कि सरकार ने पात्रता के मानक तय कर रखे है। राशन कार्ड से तय होता है कि यह व्यक्ति बहुत जरूरतमंद है और इसे रियायती दर का अनाज मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि दो तिहाई जनसंख्या के पास राशनकार्ड है। गांवों में 75 और शहरों में 50 फीसद लोगों के पास राशन कार्ड है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी के पास राशन कार्ड नहीं होगा तो क्या उसको राशन नहीं दिया जाएगा। मान लो किसी गांव में सौ लोग है और किसी कारणवश 50 के पास राशन कार्ड नहीं है तो क्या उन्हें राशन नहीं मिलेगा। कोर्ट के सुझाव पर नरसिम्हन ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून में जो लोग सब्सिडी का अनाज पाने के पात्र हैैं उन्हें कोई और प्रमाण पेश करने पर भी अनाज देने पर विचार किया जा सकता है। वे इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करेंगे।
सरकार से मांगा सूखे का ब्योरा
कोर्ट ने केंद्र सरकार से दस सूखा प्रभावित राज्यों का पूरा ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार सूखा प्रभावित राज्य का जिलेवार तालुकावार ब्योरा पेश करे और यह भी बताए कि उस राज्य में कुल कितनी जनसंख्या सूखा प्रभावित है। इसके अलावा केंद्र से राज्यों द्वारा सूखा घोषित करने की अधिसूचनाओं का भी ब्योरा दे। यह भी पूछा है कि सरकार ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के तहत कितना फंड आवंटित किया है और उसमें से कितना जारी हो चुका है। साथ ही सरकार मनरेगा में मुहैया कराए गए काम का ब्योरा भी पेश करेगी। ये सारा ब्योरा अगली सुनवाई मंगलवार को पेश करना है।
सरकार ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का किया विरोध
कोर्ट ने जब सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के अमल की निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की बात कही तो केंद्र ने इसका विरोध किया। सरकार ने कहा कि पूरा सरकारी तंत्र और विधायी व्यवस्था मौजूद है कोर्ट आदेश करे सरकार उसका पालन करेगी। लेकिन कमिश्नर नियुक्त कर एक समानान्तर व्यवस्था न दे। ये ठीक नहीं होगा। सरकार का कहना था कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होता है या किसी को मदद नहीं मिलती है तो वो कोर्ट से शिकायत कर सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या आंध्र प्रदेश का व्यक्ति जिसे मनरेगा का वेतन नहीं मिला होगा, सुप्रीमकोर्ट आकर शिकायत करेगा। सरकार क्या समझती है कि उसकी सारी योजनाएं ठीक से लागू हो रही हैैं। कमिश्नर कोर्ट को योजनाओं और आदेशों पर अमल की जानकारी कोर्ट को देगा। पीठ ने कहा कि सरकार कमिश्नर का विरोध कर रही है तो क्या वो बताएगी कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद क्यों जारी किया गया मनरेगा का 8000 करोड़ और जून में क्यों जारी किया जाएगा 4000 करोड़। मनरेगा में काम के दिनों और देरी से भुगतान का मुद्दा भी उठा
हरियाणा को फिर पड़ी फटकार
सुप्रीमकोर्ट ने हरियाणा को कड़ी फटकार लगाते हुए बारिश का ताजा आंकड़ा पेश करने वाला नया हलफनामा स्वीकार करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यहां कोई मजाक या तमाशा नहीं चल रहा है। राज्य को दोबारा क्यों सुना जाए। कोर्ट दोबारा आंकड़े क्यों मिलाए। पिछली बार राज्य ने 2013-14 के आंकड़े दिये थे अब 2014-15 का आंकड़ा लेकर आयी है। पीठ ने कहा वे नया हलफनामा स्वीकार नहीं करेंगे।
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