नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।

अठारहवीं लोकसभा के लिए दूसरे चरण का मतदान हो चुका है। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। नॉलेज सीरीज में बात मिडिल क्लास के मुद्दों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 इसे लेकर कहा जा रहा है और माना भी जा रहा है कि यह एजुकेशन सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव ला देगी। इस पॉलिसी के ऐसे कौन से फैक्टर है जिसे आप मैजिकल मानते हैं। दुर्गेश त्रिपाठी कहते हैं कि भारत ही नहीं दुनिया का कोई भी देश तीन चीजों से आगे बढ़ा है। इसमें शिक्षा, रिसर्च, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी बड़ा फैक्टर है। देश आगे बढ़ने का बड़ा फैक्टर जीडीपी का बढ़ना है। एनईपी में डिजिटल इनक्लूजन, ओपन सोर्स के रिसोर्सेज का इस्तेमाल, क्रेडिट ट्रांसफर की बात हो रही है। साथ ही इसमें ओपननेस की बात हो रही है। यह आपको किसी एक संकाय में बांधती नहीं है। आने वाले दस साल में एनईपी का प्रभाव शानदार होगा।

प्रत्येक सरकार नीति बनाती है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है उस नीति को प्रभावी रूप से धरातल पर उतारना। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार करने के बाद उस पर शत-प्रतिशत अमल हो यह कैसे सुनिश्चित होगा। इसे लेकर डा. मनीष भल्ला कहते हैं कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों में इस बात को लेकर डर रहता है कि शिक्षा हमारे जीवन स्तर को कैसे बदल सकती है हालांकि इसमें बड़ा बदलाव आया है। एनईपी के माध्यम से गुणवत्ता में बदलाव आएगा। कुरीकलम में फ्लैक्सिबिलिटी के माध्यम से छात्रों के लिए मौके के साथ-साथ नए आयाम बढेंगे। एनईपी गेम चेंजर है। यह लोगों के पास करियर के विकल्प बढ़ाएगा। भल्ला कहते हैं कि इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार लोग तैयार होंगे। ऐसे में उद्योगों के लिहाज से लोग तैयार हो सकेंगे। विश्व में भारत के भीतर सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या है, जो शिक्षा ग्रहण करने में आगे हैं। नई शिक्षा नीति सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां पढ़ाने वाले युवाओं को स्किल्ड बनाया जा रहा है, क्योंकि अभी तक पारंपरिक पाठ्यक्रम से सिर्फ शिक्षा हासिल की जाती थी। यह पहली बार है कि विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ ही कौशल आधारित शिक्षा प्रदान हो रही है। ऐसा करने से देश में यंग वर्क फोर्स तैयार होगा, जिससे हम स्किल्ड कह सकेंगे। ये खुद का व्यवसाय कर सकेंगे।

चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने शिक्षा पर बहुत अधिक खर्च किया, वहीं हम आज तक उचित बजट की बाट जोह रहे हैं। अनुसंधान एवं विकास पर भारत का खर्च सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.6 प्रतिशत है और विश्व औसत 1.8 प्रतिशत से काफी नीचे है। दुर्गेश त्रिपाठी का कहना है कि छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए किसी संस्थान में इंटर्नशिप करने की अनुमति होगी या किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करने की अनुमति होगी। छात्रों को इन पांच विषयों के अलावा अपनी मनपसंद कोई भी एक भारतीय भाषा भी सिखाई जाएगी। एनईपी का लक्ष्य है अधिक स्टूडेंट-सेंट्रिक होना, जिससे स्टूडेंट अपने स्किल्स के साथ अपने पैशन को भी आगे बढ़ा सके। 9वीं से 12वीं क्लास के दौरान बच्चे अपने फेवरेट (मनपसंद) सब्जेक्ट्स को सिलेबस में शामिल कर पाएंगे। सब्जेक्ट्स के कॉम्बिनेशन में लचीलापन लाया गया है और इसे मल्टी-डिसिप्लिनरी बनाया गया है। अर्थात मैथ्स-साइंस, मैथ्स-बायो, कॉमर्स, और आर्ट्स विषयों के कई कॉम्बिनेशंस लिए जा सकेंगे। हाल के दिनों में वर्कफोर्स में लचीलापन, प्रैक्टिकल नॉलेज, इनोवेशन और अडैप्टेबिलिटी की आवश्यकता बढ़ गई है। हायरिंग से लेकर परफॉर्मेंस रिव्यू तक, इन स्किल्स को हमेशा प्राथमिकता दी जाती है। उम्मीद करते है नई शिक्षा नीति, वर्तमान शिक्षा प्रणाली की स्टूडेंट्स में इन क्वालिटीज को डेवलप न कर पाने की कमी को पूरा करेगी।

मिडिल क्लास के लिए सबसे बड़ी ख्वाहिश होती है कि एक ऐसा प्रोफेशनल कोर्स अपने बच्चों को करा दें जिससे उन्हें एक बढ़िया नौकरी मिल जाए। ऐसे में दो चीजें अहम होती है आपका कौशल और नौकरी। मौजूदा समय में स्किल और इनोवेशन पर सरकार का भी जोर है और संस्थानों का। आप इस फैक्टर को किसी छात्र के लिए कितना अहम मानते हैं।