क्वाड, चीन और आतंकवाद: नए वैश्विक समीकरण में मजबूत होती भारत-जापान की धुरी

जापान के रक्षा मंत्री का पहलगाम हमले के बाद आना दर्शाता है कि वह इस मुश्किल वक्त पर भारत के साथ साथ खड़ा है। यह दौरा बताने के लिए काफी है कि भारत और ज...और पढ़ें
जागरण न्यू मीडिया में एग्जीक्यूटिव एडिटर के पद पर कार्यरत। दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार ...और जानिए
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।
शिंजे आबे तीन बार भारत की यात्रा करने वाले पहले जापानी प्रधानमंत्री थे। 2007 में भारतीय संसद में उनके द्वारा दिए गए ऐतिहासिक भाषण "कंफ्लुएंस ऑफ द दु सीज" को भारत-जापान संबंधों में एक बड़ा लैंडमार्क माना जाता है। इस भाषण में उन्होंने कहा था कि इतिहास में कई बार जापान और भारत एक दूसरे के प्रति आकर्षित हुए हैं। विवेकानंद की मुलाकात तेनशिन ओकाकुरा से हुई, जो आधुनिक जापान के शुरुआती दौर के अपने समय से आगे के व्यक्ति थे और पुनर्जागरण के एक प्रकार के व्यक्ति थे। ओकाकुरा को तब विवेकानंद ने मार्गदर्शन दिया और विवेकानंद की वफादार शिष्या और एक प्रतिष्ठित महिला समाज सुधारक सिस्टर निवेदिता के साथ उनकी मित्रता भी रही। उन्होंने कहा था कि जापान ने "भारत की खोज" की है , जिसका अर्थ है कि हमने भारत को एक ऐसे भागीदार के रूप में फिर से खोजा है जो समान मूल्यों और हितों को साझा करता है और साथ ही एक ऐसे मित्र के रूप में भी जो स्वतंत्रता और समृद्धि के सागर को समृद्ध करने के लिए हमारे साथ काम करेगा, जो सभी के लिए खुला और पारदर्शी होगा।
हाल में जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातनी की भारत यात्रा ने फिर से भारत-जापान संबंधों की प्रगाढ़ता को दर्शाया है। यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब दुनिया के सामने पाकिस्तान का आतंकवाद का घिनौना चेहरा फिर बेनकाब हुआ है। जापानी रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दुखद आतंकवादी हमले पर अपनी संवेदना व्यक्त की और भारत को पूर्ण समर्थन देने की पेशकश की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत के साथ एकजुटता की मजबूत अभिव्यक्ति के लिए जापान सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत-जापान रक्षा संबंधों को गहरा करने में उनके अपार योगदान के लिए जनरल नाकातानी की सराहना की।
ओ.पी.जिंदल यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर गीतांजलि सिन्हा रॉय कहती है कि जापान के रक्षा मंत्री का पहलगाम हमले के फौरन बाद आना दर्शाता है कि वह इस मुश्किल वक्त पर भारत के साथ पुरजोर ताकत के साथ खड़ा है। यह दौरा बताने के लिए काफी है कि भारत और जापान के मौजूदा संबंध कितने शानदार है। चीन भी कहीं न कहीं थोड़ा प्रॉक्सी वार कर रहा है। चीन ने अप्रत्यक्ष तौर पर यह कहा था कि अगर आप अगर इंडस वैली संधि तोड़ेंगे पानी बंद कर देंगे तो हम फिर हम ब्रह्मपुत्र का पानी भी बंद कर देंगे। आस्ट्रेलिया ने भी आतंकवाद पर हमारे स्टैंड को सपोर्ट किया है। अगर आप क्वाड के नजरिए से देखेंगे तो भारत, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया क्वाड सदस्य है। गीतांजलि कहती है कि इस समय क्वाड के संदर्भ में देखा जाए तो कोई ठोस संयुक्त बयान सामने नहीं आया है, जबकि ऐसी स्थिति में आना चाहिए था। इसका संकेत यह भी हो सकता है कि अमेरिका, टर्म एडमिनिस्ट्रेशन के अधीन, किसी भी समय अपने हितों के अनुरूप निर्णय ले सकता है।

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