नई दिल्ली, जागरण प्राइम। अठारहवीं लोकसभा के पांच चरण के लिए मतदान हो चुके हैं। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जा रही है। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। हम इस अंक में चर्चा देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा और इससे जुड़ी चुनौतियों की करेंगे। सुरक्षा के क्षेत्र में आजादी से अब तक की उपलब्धियों और आज की चुनौतियों पर हमने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी से बात की।

सशस्त्र बलों ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिला उम्मीदवारों के लिए प्रवेश खोल दिया है। वायुसेना और नेवी में महिला अधिकारियों को शामिल करने की कवायद जोरों पर है। रक्षा सेक्टर में हर जगह महिलाओं की भागीदारी बढ़ना कितना बड़ा शुभ संकेत हैं और यह भविष्य की सुनहरी राह को कैसे प्रशस्त करेगा? आजादी के इतने सालों के बाद महिला तस्करी के मामले समाप्त नहीं हो रहे। सीमा पर अकसर ऐसी घटनाएं सुनने में मिल जाती हैं। महिलाओं का इस्तेमाल अब सोने और ड्रग्स की तस्करी में भी किया जा रहा है। बॉर्डर पर यह कितनी बड़ी चुनौती है?

भारतीय समाज में महिलाओं को हमेशा सम्मान की निगाह से ही देखा जाता है। वहीं देश के विकास में हमेशा महिलाओं ने पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर काम किया है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं कि देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और आजादी के संघर्ष में महिलाओं की हमेशा अहम भूमिका रही है। इतिहास में कई ऐसी वीरांगनाओं का जिक्र मिलता है जिन्होंने पर देश के दुश्मनों के कड़ी टक्कर दी हैं। सुभाष चंद्र बोस ने भी आजाद हिंद फौज में रानी लक्ष्मी बाई नाम से महिलाओं की अलग से सेना बनाई थी।

हम भारतीय सेनाओं में महिलाओं की मेडिकल सर्विसेज से एंट्री शुरू हुई। पहले महिलाएं कुछ शॉट सर्विस कमीशन के जरिए आईं और बाद में उन्हें परमानेंट कमीशन कर दिया गया। आज लगभग 108 महिलाएं भारतीय सेना में यूनिटों को कमांड कर रही हैं। आज भारतीय महिलाएं प्रमुख रूप से इंजीनियर, ऑर्डिनेंस और सर्विस कोर में काम कर रही हैं। भारतीय सेना में महिलाओं के लिए अब आर्टिलरी में दरवाजे खोल दिए गए हैं। अब सिर्फ इन्फेंट्री और आर्मर्ड (टैंक जैसे हथियार) में एंट्री रह गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें काम का नेचर बहुत ज्यादा सख्त है। लेकिन जल्द ही यहां भी महिलाओं के लिए रास्ते खुल जाएंगे। हमें हमेशा ये ध्यान रखना होगा कि जब कोई सैनिक बनता है तो वो सैनिक होता है। उसके साथ महिला या पुरुष के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। वहीं एयरफोर्स में महिलाओं की भूमिका काफी बढ़ चुकी है। आज के समय में महिलाएं सभी तरह के आधुनिक विमान उड़ा रही हैं। नेवी में भी महिलाओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द ही कोई भारतीय महिला सेना अध्यक्ष के तौर पर भारतीय सेना का नेतृत्व करे।

सीमाओं के जरिए महिलाओं की तस्करी एक बेहद गंभीर मुद्दा है। लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि महिलाओं की तस्करी जैसे अपराध मूल रूप से गरीबी और कम शिक्षा जैसी स्थितियों से होने वाले क्राइम हैं। विकसित देशों में इस तरह के अपराध कम हैं। दरअसल आज के समय में देश में कोई सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है। बहुत से लोग गरीबी में जी रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक तौर पर अपराध बढ़ता है। वहीं अपराधों को घटाने में शिक्षा का भी विशेष महत्व होता है। कुछ लोग नासमझी के कारण या कम शिक्षा के कारण ऐसे अपराध कर देते हैं जिससे उनका पूरा जीवन मुश्किल में पड़ जाता है। इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए हमें गरीबी कम करनी होगी और शिक्षा को बढ़ाना होगा।