नई दिल्ली, विवेक तिवारी। गर्मी रोज नए रिकॉर्ड बना रही है। बुधवार दोपहर दिल्ली के मुंगेशपुर में अधिकतम तापमान 52.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। (हालांकि, भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि वह किसी भी संभावित त्रुटि के लिए सेंसर और डेटा की जांच कर रहा है।)  विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ती गर्मी बड़ा स्वास्थ्य खतरा बन कर उभर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक मौसम के चलते होने वाली मौतों में बढ़ती गर्मी एक बड़ा कारण बन गई है। वहीं ज्यादा गर्मी से दिल और किडनी पर दबाव बढ़ता है। बढ़ते तापमान से दिल के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही आने वाले दिनों में मधुमेह, मानसिक स्वास्थ्य, अस्थमा तथा ऐसी दूसरी बीमारियों का खतरा और बढ़ सकता है। गर्मी सेसंक्रामक रोगों के फैलने का जोखिम भी बढ़ रहा है। WHO के मुताबिक हीटवेव के चलते हीटस्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ये एक चिकित्सा आपातकाल जैसी स्थिति है। इसमें मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है।

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के कारण भीषण गर्मी के चलते होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 2000 2004 और 2017-2021 के बीच 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए गर्मी से संबंधित मृत्यु दर में लगभग 85% की वृद्धि हुई है। WHO के मुताबिक 2000-2019 के बीच हर साल गर्मी से लगभग 489000 मौतें हुईं हैं, इनमें से 45% एशिया में और 36% यूरोप में दर्ज की गई हैं। अकेले यूरोप में 2022 की गर्मियों में, गर्मी से लगभग 61672 अतिरिक्त मौतें हुईं।

जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी की स्थिति को बना कर रखती है। यहां तक कि कम और मध्यम तीव्रता वाली हीटवेव भी कमजोर आबादी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में शामिल विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण 21वीं सदी में अत्यधिक गर्मी और गर्म हवाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि जारी रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में दिन के साथ ही रात में भी उच्च तापमान बना रहना एक बड़ी मुश्किल बन रही है। इससे हमारे शरीर पर दबाव बढ़ता है। ऐसे में गर्मी से बीमारी और मौत का खतरा बढ़ जाता है।

गर्मी से शरीर के अंगों पर पड़ता है असर

हमारे शरीर में महसूस होने वाली गर्मी कई आधारों पर निर्भर करती हैं। इसमें प्रमुख रूप से पर्यावरणीय हीट स्ट्रेस (उदाहरण के लिए, उच्च तापमान, उच्च आर्द्रता, कम हवा, उच्च ऊष्मीय विकिरण) के कारण हमारी मेटाबोलिक प्रक्रिया के चलते उत्पन्न होने वाली ऊष्मा, शरीर से निकलने वाली गर्मी को रोकने वाले कपड़े और पर्यावरण की गर्मी शामिल हैं।

शरीर के अंदर मौजूद गर्मी जब निकल नहीं पाती तो थकावट और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। शरीर खुद को ठंडा करने के लिए कई प्रयास करता है जिससे दिल और किडनी पर दबाव बढ़ता है। ऐसे में अत्यधिक गर्मी के चलते पुरानी बीमारियों (हृदय, मानसिक, श्वसन और मधुमेह से संबंधित बीमारियों) से होने वाले हेल्थ रिस्क बढ़ जाते हैं। गर्मी के कारण मृत्यु और अस्पताल में भर्ती होने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। बेहद गर्मी से आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं भी बाधित हो सकती हैं। ज्यादा गर्मी पड़ने पर बिजली आपूर्ति और परिवहन व्यवस्था के लिए भी मुश्किल बढ़ती है। गर्मी से काम करने की उत्पादकता कम हो जाती है और दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ जाता है।

एम्स कार्डियोलॉजी के पूर्व निदेशक संदीप मिश्रा कहते हैं कि हार्ट रेट वेरिबिएलिटी अचानक से होने वाली मौत का एक बड़ा कारण बन कर सामने आया है। हार्ट रेट वेरिबिएलिटी कम होने से अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत का खतरा बढ़ जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव या अधिक गर्मी बढ़ने से हार्ट रेट वेरिबिएलिटी घट जाती है। वेरिबिएलिटी कम होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाती है। योग और अन्य तरह के व्यायाम करके दिल की हार्ट रेट वेरिबिएलिटी को बढ़ाया जा सकता है। तापमान में अंतर आने या गर्मी बढ़ने से दिल तक जाने वाली सभी धमनियों पर भी असर पड़ता है। गर्मियों में धमनियां खुल जाती हैं वहीं सर्दियों में सिकुड़ जाती हैं। तापमान में ज्यादा बदलाव होने पर इस पर भी असर होता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि हीटवेव से बचाव के लिए हमें खास तौर पर अपने खानपान की आदतों पर ध्यान देना होगा। हमें अपने आहार में ऐसी चीजें बढ़ानी होंगी जिससे हमारे शरीर में पानी की कमी न हो। वहीं हमें ऐसी चीजों को खाने से बचना होगा जो शरीर में पानी की कमी पैदा करती हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की ओर से आम लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है जिसमें भीषण गर्मी या हीटवेव की स्थितियों में होने वाली बीमारियों के बारे में बताया गया है।

एडवाइजरी में कहा गया है कि भीषण गर्मी या हीटवेव के दौरान चाय, कॉफी, सोडा या ज्यादा चीनी युक्त पेय पदार्थों को लेनें से बचें। वहीं शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस का घोल, शिकंजी, छाछ जैसी चीजें लेने के लिए कहा गया है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी कहते हैं कि गर्मियों के मौसम में या हीटवेव के दौरान हमें खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें तली भुनी, चाय, कॉफी, सोडा या ऐसी चीजें खाने से बचना चाहिए जो बॉडी को डीहाइड्रेट करती हों। हमें ऐसी चीजें भी नहीं खानी चाहिए जिन्हें पचाने में शरीर को काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। गर्मियों के मौसम में प्रोटीन सप्लीमेंट या बहुत ज्यादा प्रोटीन लेने से बचना चाहिए। प्रोटीन शरीर में अमीनो एसिड बनाते हैं। ऐसे में इसे फिल्टर करने के लिए किडनी का काम काफी बढ़ जाता है।

अगले दो दिन में मिल सकती है रिकॉर्ड तोड़ गर्मी से राहत

मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को दिल्ली में सबसे ज्यादा तापमान मुंगेशपुर में दर्ज किया गया। यहां अधिकतम तापमान 52.3 डिग्री तक पहुंच गया। वहीं शाम को दिल्ली और एनसीआर के कई हिस्सों में धूल भरी हवाओं और बारिश के चलते गर्मी से कुछ राहत मिली। सफदरजंग में अधिकतम तापमान 46.5 डिग्री रहा। वहीं पालम में अधिकतम तापमान 47.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी के मुताबिक एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है। इसके चलते शुक्रवार से तापमान में कुछ कमी दर्ज की जाएगी है। इससे दिल्ली और एनसीआर के लोगों को हीटवेव और भीषण गर्मी के दौर से राहत मिलेगी।