नई दिल्ली, प्राइम टीम । अप्रैल माह के शुरुआती हफ्ते में हीटवेव का प्रकोप देश के कई हिस्सों में दिखने में लगा है। मध्य और दक्षिण भारत के कई हिस्सों के लिए मौसम विभाग ने हीटवेव जैसी स्थितियों का अलर्ट भी जारी किया है। बढ़ती गर्मी और हीटवेव के चलते बीते कुछ सालों में देश में मौतें बढ़ी है। कई वैज्ञानिक रिपोर्ट इस बात की तसदीक करती है कि हीटवेव से हीटस्ट्रोक, हृदयाघात, ब्रेन हैमरेज, बेहोशी की स्थिति होना जैसी बीमारियां बढ़ी है। साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया कि हीटवेव जैसी स्थितियां एक दिन दर्ज होती हैं तो दैनिक मृत्यु दर में 12.2% की वृद्धि होती है। यह अध्ययन भारत सहित दुनिया के कई वैज्ञानिकों की ओर से 'भारत में मृत्यु दर पर हीटवेव का प्रभाव' विषय पर देश देश 10 बड़े शहरों के डेटा पर किया गया। इन शहरों में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरू, अहमदाबाद, पुणे, वाराणसी, शिमला और कोलकाता शामिल थे। स्थिति की गंभीरता का आंकलन करते हुए मौसम विभाग ने हीट इंडेक्स शुरू किया है। यह हीट इंडेक्स आपको आगाह करता रहेगा कि मौजूदा समय में गर्मी का स्तर कितना जानलेवा है।

क्या है हीट इंडेक्स

दिल्ली में मौसम विभाग ने हीट इंडेक्स की शुरुआत की है। इस इंडेक्स के तहत मौसम के तीन कारकों जैसे हवा की स्पीड, तामपान और नमी के स्तर के आधार पर वास्तविक गर्मी का विश्लेषण किया जाता है। सहनीय और असहनीय गर्मी के आधार पर मौसम विभाग ने रंगों का एक चार्ट बनाया है। मौसम विभाग हर दिन अपने बुलेटिन में हीट इंडेक्स के आधार पर भी जानकारी देगा।

हीट इंडेक्स में 0 से 40 तक की रेटिंग आती है तो कोई चेतावनी नहीं जारी की जाएगी। इसे हरे रंग से दर्शाया जाएगा। वहीं इंडेक्स पर अगर 40 से 50 के बीच रेटिंग आती है तो यलो अलर्ट जारी होगा। लोगों को जागरूक रहने के लिए एडवाइजरी जारी होगी। 50 से 60 की रेटिंग पर ओरेंज अलर्ट जारी होगी। इसके तहत लोगों को किसी भी मुश्किल हालात के लिए तैयार रहने का अलर्ट दिया जाएगा। अगर रेटिंग 60 के ऊपर आती है तो इसे लाल रंग से दिखाया जाएगा। लोगों को सावधानी बरतने के लिए एडवाइजरी जारी की जाएगी।

हीटवेव से बचाव के लिए सरकार की तैयारी

देश के कई हिस्सों में तापमान तेजी से बढ़ रहा है। मध्य और दक्षिण भारत के कई हिस्सों के लिए मौसम विभाग ने हीटवेव जैसी स्थितियों का अलर्ट भी जारी किया है। बढ़ती गर्मी और हीटवेव के चलते आम लोगों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। हालात की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार भी काफी सतर्क है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने हाल ही में हीटवेव से होने वाली बीमारियों से लोगों को बचाने के लिए तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक की है। वहीं राज्यों से हीटवेव से होने वाली मौतों और बीमारियों का फील्ड स्तर पर आंकड़े साझा और एक केंद्रीय डेटाबेस बनाने की बात कही है। इस डेटाबेस के आधार पर स्थिति का वास्तविक आकलन किया जा सकेगा।

खानपान का रखना होगा ध्यान

विशेषज्ञों का मानना है कि हीटवेव से बचाव के लिए हमें खास तौर पर अपने खानपान की आदतों पर ध्यान देना होगा। हमें अपने आहार में ऐसी चीजें बढ़ानी होंगी जिससे हमारे शरीर में पानी की कमी न हो वहीं हमें ऐसी चीजों को खाने से बचना होगा जो शरीर में पानी की कमी पैदा करती हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की ओर से आम लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है जिसमें भीषण गर्मी या हीटवेव की स्थितियों में होने वाली बीमारियों के बारे में बताया गया है। एडवाजरी में कहा गया है कि भीषण गर्मी या हीटवेव के दौरान चाय, कॉफी, सोडा या ज्यादा चीनी युक्त पेय पदार्थों को लेनें से बचें। वहीं शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस का घोल, शिकंजी, छाछ जैसी चीजें लेने के लिए कहा गया है।

हीटवेव का ऐलान इन स्थितियों में होता है

आईएमडी का कहना है कि हीट वेव तब होता है, जब किसी जगह का तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। जब किसी जगह पर किसी ख़ास दिन उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज किया जाता है, तो मौसम एजेंसी हीट वेव की घोषणा करती है। यदि तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक है, तो आईएमडी इसे 'गंभीर' हीट वेव घोषित करता है। आईएमडी हीट वेव घोषित करने के लिए एक अन्य मानदंड का भी उपयोग करता है, जो पूर्ण रूप से दर्ज तापमान पर आधारित होता है। यदि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है, तो विभाग हीट वेव घोषित करता है। जब यह 47 डिग्री को पार करता है, तो 'गंभीर' हीट वेव की घोषणा की जाती है।

ह्यूमिड हीटवेव को लेकर बढ़ी चिंता

बढ़ती गर्मी के साथ हवा में आर्द्रता बढ़ने से मुश्किल और बढ़ जाती है। ऐसे में सभी जीवों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। वहीं हीट स्टोक का खतरा भी बढ़ जाता है। मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते ह्यूमिड हीटवेव का खतरा बढ़ता जा रहा है। खास तौर पर इसका खतरा दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, ओडिशा आदि शहरों में है। ह्यूमिड हीटवेव की स्थिति में जितना तापमान रिकॉर्ड किया जाता है इंसान सहित सभी जीवों का शरीर या फिर पेड़-पौधे असल में उससे कहीं अधिक तापमान महसूस करते हैं। मशीन में पारा कम दिखता है लेकिन शरीर पर गर्मी ज्यादा महसूस होती है। ऐसा वायुमंडल में नमी बढ़ने की वजह से होता है। तापमान और रिलेटिव ह्यूमेडिटी की एकसाथ गणना करने से वेट बल्ब टेम्परेचर या फिर किसी तय स्थान का हीट इंडेक्स निकाल सकते हैं। इससे तापमान और नमी वाली हीटवेव दोनों का पता लगाया जा सकता है।  

डिसकंफटेबल इंडेक्स बताता है शरीर पर तापमान और आर्द्रता का असर

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर हवा में आर्द्रता का स्तर 50 फीसदी से ज्यादा हो, हवा की स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटा से कम हो और तापमान अगर 32 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो तो ऐसा मौसम बन जाता हे जिसमें जितना तापमान होता है उससे कहीं अधिक गर्मी और उमस महसूस होती है। वैज्ञानिक इस मौसम को डिसकंफटेबल इंडेक्स के तहत नापते हैं। मौसम में असहजता को ध्यान में रखते हुए ही डिसकंफटेबल इंडेक्स को बनाया गया है। मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी के मुताबिक असुविधा सूचकांक एक सूचकांक है जो में हवा के तापमान और आर्द्रता को जोड़ता है, इसके जरिए इन पैरामीटर्स पर इंसान को महसूस होने वाली गर्मी का अनुमान लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब हवा में आर्द्रता का स्तर 70 डिग्री हो और तापमान 32 डिग्री सेल्सियस (90 डिग्री फ़ारेनहाइट) हो और हवा बहुत धीरी हो, तो किसी इंसान को महसूस होने वाली गर्मी लगभग 41 डिग्री सेल्सियस (106 डिग्री फ़ारेनहाइट) के बराबर होती है। इस गर्मी सूचकांक तापमान में 20% की एक अंतर्निहित (अस्थिर) आर्द्रता है।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रामित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, भारत के कुल हिस्से का 90 फीसदी हीटवेव को लेकर बेहद खतरनाक जोन हैं। वहीं दिल्ली में रहने वाले सभी लोग हीटवेव के इस डेंजर जोन में रह रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबकि आने वाले समय में हीटवेव की वजह से देश में लोगों की कार्यक्षमता 15 फीसदी तक घट सकती है। वहीं 480 मिलियन लोगों के जीवन की गुणवत्ता को कम कर सकती है। वहीं 2050 तक हीटवेव से निपटने के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 2.8 प्रतिशत खर्च करना पड़ सकता है।

इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंड और कनाडा की संस्था इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर की ओर से दिल्ली और राजकोट के शहरों के लिए हीटवेव दिनों की संख्या में वृद्धि का विश्लेषण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में दिल्ली में 49 दिनों तक हीट वेव दर्ज की गई जो 2019 में बढ़ कर 66 दिनों तक पहुंच गई जो एक साल में लगभग 35% की वृद्धि को दर्शाता है। वहीं 2001 से 10 के आंकड़ों पर नजर डालें तो हीट वेव के दिनों में 51% की वृद्धि दर्ज हुई। वहीं राजकोट की बात करें तो 2001-10 के बीच कुल 39 दिन हीट वेव दर्ज की गई। वहीं ये संख्या 2011 से 21 के बीच बढ़ कर 66 दिनों तक पहुंच गई।