नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। देश की आईटी इंडस्ट्री बदलावों के दौर से गुजर रही है। एआई के रूप में एक बड़ा अवसर, चुनौतियों के साथ हमारे सामने है। डेटा से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल पर हम सभी की नजरें हैं। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री ने भी भारत में एक बड़ी छलांग मारी है। इन सभी मामलों पर जागरण न्यू मीडिया के एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराग मिश्र ने बात की देश के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मामलों के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर से।

चैट जीपीटी के प्रमुख सैम ऑल्टमैन अभी भारत आए थे। उन्होंने कहा कि भारत ने ChatGPT को सही मायनों में अपनाया है। एआई को लेकर उन्होंने भारत की तारीफ भी की। सरकार AI इनिशिएटिव्स में भारी निवेश भी कर रही है। भारत जीपीएआई की अध्यक्षता भी कर रहा है। एआई को लेकर लोगों के मन में शंकाएं हैं। लोगों को लगता है कि एआई से नौकरियां जा सकती है। सरकार का इस बारे में क्या विजन है? एआई को कैसे रेगुलेट किया जाएगा?

जब इनोवेशन होते हैं तो ऐसे सवाल आते ही है। मैं नहीं मानता कि एआई का नौकरियों पर असर होगा। एआई की जिस दुनिया को आज हम देख रहे हैं वो प्रारंभिक अवस्था है। एआई को काफी दूर जाना है। आज के दिन अगर एआई को देखेंगे तो एआई टास्क कर सकता है लेकिन मानव को रिप्लेस नहीं कर सकता है। मानव जो दस टास्क करेगा वो एआई एक टास्क में कर देगा। ये नैरेटिव बना है कि एआई से नौकरियां जाएगी ऐसा फिलहाल नहीं है। ऐसा उस स्थिति में हो सकता है जब मानव बिहेवियर एआई मिमिक कर पाएगा, एआई रीजनिंग कर पाएगा। एजीआई, इंटेलीजेंस एआई के जमाने में ऐसा संभव होगा।

इसके एथिकल होने और दुरुपयोग को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इसे आप किस तरह देखते हैं?

इंटरनेट का एक नैरेटिव था कि वह अच्छा भी कर सकता है और यूजर्स हॉर्म भी। एआई के दो पहलू है इफीशियंसी भी, टास्क मैनेजमेंट भी, लर्निंग मॉडल भी। वहीं दूसरा पहलू है यूजर हॉर्म और दुरूपयोग का। मैं जब सैम ऑल्टमैन से मिला तो हमने कहा कि भारत सरकार का जो रवैया है कि हम यूजर हॉर्म को रेगुलेट करेंगे। हम ये कभी नहीं कहेंगे कि ये इनोवेशन नहीं होना चाहिए । जो भी इनोवेशन हो वह देश के नागरिक की डिजिटल सेफ्टी और विश्वास को न तोड़ें। हम रेगुलेशन करेंगे। सैम ऑल्टमेन भी इससे सहमत थे।

बार-बार ये नैरेटिव गढ़ा जाता है कि 65 साल में जो नहीं हुआ वह बीते 9 साल में कर दिखाया। आईटी सेक्टर में इस अवधि की क्या उपलब्धि है?

प्रधानमंत्री और मैंने कभी यह नहीं कहा कि 65 साल में कुछ नहीं हुआ। यूपीए के दस सालों को देखें तो आप टेक्नोलॉजी के नैरेटिव और निवेश को देखें औऱ आज के नौ साल की तुलना करें तो बड़ी आसानी से यह स्थापित हो जाता है कि 2014 के पहले देश में टेक्नोलॉजी की बात होती थी तो टू जी स्कैम, अंतरिक्ष देवास स्कैम, बीएसएनएल स्कैम की बात होती थी। नोकिया, टेलीनॉर जैसी कंपनियां देश से भाग रही थी। एक नैरेटिव था कि टेक्नोलॉजी का कंज्यूमर था, प्रोड्यूसर नहीं था। इन नौ साल में देखें तो आईटी, आईटीईस को आगे बढ़ाया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, इंटरनेट कंज्यूमर, एआई, क्वाटंम आदि में भारत की काबीलियत का डंका बज रहा है।

आंकड़े बताते हैं कि भारत की डिजिटल इकोनॉमी का इकोनॉमी का योगदान 2014 में 3.5 फीसद था जो नौ साल में अब दस फीसद हो गया है। 2025-26 में यह बीस फीसद हो जाएगा। कौन से फैक्टर इसे ड्राइव कर रहे हैं ?

मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूं कि जब मैं मंत्री बना उसके दो से तीन माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे यूके भेजा और मैं तीस स्टॉर्टअप के साथ यूके सरकार से संवाद के लिए गया। जब मैं पहुंचा तो मुझे बताया गया कि सात मंत्री यूके में मुझसे मिलना चाहते हैं। वो मुझसे नहीं, हमारे स्टॉर्टअप से मिलना चाहते थे। उस दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मेरा हाथ पकड़ मुझे कहा कि आपके मोदी जी इन युवाओं को ऐसी क्या प्रेरणा देते हैं जो ये इतने प्रतिस्पर्धी और काबिल है। मैंने कहा कि मोदी जी ने युवाओं को प्रोत्साहित और सशक्त किया है। हमारी क्षमताओं को पहचान एवं दिशा दी है।

भारत की ग्लोबल छवि बनी है पर विपक्ष विदेशों में जाकर फ्री स्पीच, लोकतंत्र को लेकर निशाना साधता रहता है। इसे लेकर आप कई बार हमलावर हुए हैं?

संसद की बिल्डिंग का हम उदघाटन कर रह थे। देश सेलिब्रेट कर रहा था लेकिन ये नाराज थे। हमारी डिजिटल इकोनॉमी आगे बढ़ रही है। हम टेक्नोलॉजी के प्रोड्यूसर बन चुके हैं। दुनिया ऐसा मान रही है हमें इसे सेलिब्रेट करना चाहिए। सब छोड़ साल में आपको साल में साठ बार विदेश जाना है। आपको आरोप लगाना है कि हमारी न्यायपालिका नहीं चलती, लोकतंत्र खतरे में है। इसका इलाज कौन करेगा मुझे यह नहीं मालूम। एक फिल्म आई थी अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है। अब राहुल गांधी ही बताएं उन्हें गुस्सा क्यों आता है। क्यों उन्हें मोहब्बत की दुकान सजानी पड़ती है वहीं बताएं।

आपने बात की यूके में हमारे स्टॉर्टअप का भव्य स्वागत हुआ। बोरिस जॉनसन ने भी आपसे इसके बारे में पूछा। स्टार्टअप इंडिया की अगर बात करें तो 2014 में करीब 350 स्टार्टअप थे लेकिन आज 92,683 स्टार्टअप चल रहे हैं। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। बतौर मंत्री आप इस तरक्की को कैसे पारिभाषित करते हैं। साथ ही स्टार्टअप सिस्टम में बीते समय आई चुनौतियों के लिए क्या प्लान है ?

इसके पीछे बड़ा फैक्टर है कि प्रधानमंत्री ने हर सेक्टर में अवसर बनाए हैं। मैं आपको उदाहरण देता हूं कि मार्च, 2022 में स्पेस पॉलिसी की घोषणा की। स्पेस में प्राइवेट इंटरप्रिन्योर आ सकते हैं। मई, 2023 में मुझे बेंगलुरू में बुलाया गया तब 138 स्टार्टअप आ चुके थे। प्रधानमंत्री ने युवाओं को प्रोत्साहित किया। इसके परिणामस्वरूप ही ऐसा हुआ। नाविक सैटेलाइट लॉन्च होने के साथ ही भारत को एक मजबूत सैटेलाइट सिस्टम मिल गया है। दरअसल इस सिस्मट को सिविल एविएशन सेक्टर की जरूरतों को देखते हुए डेवलप किया गया है। बड़ी बात है कि नाविक का चिप भारत में डिजाइन किया है। मोबाइल, गाड़ियों में भी आने वाले समय में यह चिप लगेंगे।

एपल और सैमसंग भारत में अपना प्रोडक्शन बढ़ाना चाहते हैं। देश लैपटॉप, सर्वर, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स के लोकल प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए किस तरह की योजना है।

मोदी जी ने पीएलआई स्कीम बनाई है। इसका मूलभूत मकसद है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग ज्यादा से ज्यादा हो। हर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में विदेशी के साथ-साथ भारत के ब्रांड भी हो। एपल हो, सैमसंग हो, लावा हो, नॉइज हो, बोट हो, माइक्रोमैक्स हो, लावा हो। यह बिलकुल स्पष्ट है। 2014 से पहले 82 फीसद मोबाइल इंपोर्ट होता था जीरो फीसद एक्सपोर्ट होता था। अब सौ फीसद भारत में मैनुफैक्चर होते हैं। भारत में एपल के विस्तार से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में कर्नाटक को एक नया प्रोत्साहन मिलेगा।

सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयत्नशील है। इस दिशा में काम कितना आगे बढ़ा है? और कब भारत चिप मैन्युफैक्चरर बनेगा?

बहुत जल्द चिप बनेगा। दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकंडक्टर नीति का ऐलान किया। उसके पश्चात करीब 23 डिजाइन स्टार्टअप शुरु हुए हैं। टेस्ला के चीफ एआई आर्किटेक्ट जिम केलर ने दो फर्म बेंगलुरू में शुरू किए हैं। केलर को AMD K7 प्रोसेसर डिजाइन करने के लिए जाना जाता है। यह 1 gigahertz प्रोसेसिंग स्पीड, AMD K8 प्रोसेसर, Apple A4 और A5 चिपसेट हासिल करने वाला पहला कंप्यूटर चिपसेट था। इतना ही नहीं, जिम केलर एमडी में डिजाइन टीम में अपने लीडिंग रोल के लिए भी जाने जाते हैं। मैं मंत्री बनने के बाद 54 कॉलेज में जा चुका है। मैं तीस साल से टेक्नोलॉजी में हूं। युवाओं का विश्वास बढ़ा है। सरकार की नीतियां भी युवाओं के साथ है। कैपिटल भी उपलब्ध है। युवाओं के आइडिया चाहिए। ये बदला हुआ इंडिया है। दूसरा और तीसरा पहलू सेमीकंडक्टर में है पैकेजिंग और फैब। पैकेजिंग के भी काफी प्रस्ताव आए हैं। फेब सबसे जटिल है। मैनुफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी कुछ गिनी-चुनी कंपनियों सैमसंग, इंटेल, ग्लोबल बाउंड्री आदि के हाथ में है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बात चल रही है। जब बात हो जाएगी तो उनको भी अप्रूवल दे देंगे। मोटे तौर पर चिप पैकेजिंग 2024- 2025 तक हो जाएगी और चिप मैनुफैक्चरिंग 2026 तक हो जाएगी। ये मेरा अनुमान है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री आने वाले समय में सेमीकंडक्टर के एक्सपोर्ट के मामले में कितना बड़ा मार्केट बन सकता है। इसका स्कोप कितना है। सेमीकंडक्टर की इतनी बड़ी आवश्यकता को पूरा करने के लिए निर्माण कार्य में कितने लोगों की जरूरत होगी?

सेमीकंडक्टर को अकेली इंडस्ट्री मत देखिए। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम का हिस्सा मानिए। इलेक्ट्रॉनिक्स को तीन हिस्सों में बांट कर देखिए। ऑटोमेटिव इंडस्ट्री, कंप्यूटर और स्मॉर्टफोन, वायरलैस और टेलीकॉम। इन तीन कैटेगरी में बहुत ज्यादा क्षमताएं है। हमारा मानना है कि डिजिटल-टेक्नोलॉजी क्षेत्र में 2026 तक 6 करोड़ तक नौकरियां होंगी।

भारत सरकार डिजिटल डाटा इंडिया एक्ट लाने जा रही है। क्या नये कानून का मसौदा तैयार कर लिया गया है और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र की नई चुनौतियों से निपटने के लिए इसमें क्या-क्या प्रावधान होंगे?

एक डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, दूसरा नेशनल डाटा गर्वेनेंस पॉलिसी, तीसरा है डिजिटल डाटा इंडिया एक्ट। दो तैयार हो गए हैं। तीसरा कंसलटेशन के लिए शुरू होगा। हमारी उम्मीद है कि वह भी इस साल ही पास हो। डिजिटल इंडिया का मुख्य मकसद इंटरनेट यूजर्स के अधिकारों को सुरक्षित करना और आने वाली जोखिमों को कम से कम तक सीमित करना होगा। इस एक्ट में इंटरनेट यूजर्स की निजता का उल्लंघन करने वाल प्लेटफॉर्म को लेकर सख्त प्रावधान शामिल किए जाएंगे। इस बिल का मुख्य मकसद स्वतंत्र और सुरक्षित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना है। बाजार में इंटरनेट से जुड़ी नई टेक्नोलॉजी के लिए इसमें कड़े प्रावधान बनाए जाएंगे ताकि हर हाल में यूजर्स की निजता को सुरक्षित किया जा सके। एक तरह से भारत की ग्लोबल छवि को मजबूत करेगा।

मौजूदा दौर में दुनिया मिसइंफॉर्मेशन के खतरे से जूझ रही है। सरकार इसे लेकर काफी गंभीर है। प्रधानमंत्री भी इसे लेकर कई बार कह चुके हैं। मिसइंफॉर्मेशन पर लगाम लगाने के लिए सरकार की क्या योजना है।

मई 2021 में और अक्तूबर, 2022 में सरकार दो नए आईटी रुल्स नोटिफाई किए हैं। कांग्रेस के जमाने में अकाउंटबिलिटी नहीं थी। इसमें हम एक नया फ्रेमवर्क स्टेकहोल्डर से बात के बाद जोड़ा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटमीडियरीज डिजिटल सिटीजंस के लिए जवाबदेह होंगे। नियम में कहा गया है कि दस कैटेगरी के कंटेट उनके प्लेटफॉर्म पर न रहें। चाइल्ड सैक्सुअल एब्यूज, धार्मिक भावना भड़काने वाले कंटेट, पेटेंट के कंटेंट, रिवेंज पॉर्न टाइप कंटेट, मिसइंफॉर्मेशन कंटेट। मिसइंफॉर्मेशन का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। एआई के दौर में इसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। सामाजिक भावना को भड़काने के लिए भी मिसइंफॉर्मेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। हम गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ सख्त है। हमने नियम 31 बी (5) में भी प्रावधान किया है। हम इस प्रावधान में फैक्ट चेकिंग लेकर आए हैं। मणिपुर में सेना को लेकर फेक नैरेटिव बनाया गया। ये खतरनाक ट्रेंड है। यह मामला काफी गंभीर है। सेफ इंटरनेट के लिए यह बेहद खतरनाक है। मिसइंफॉर्मेशन बहुत बड़ा खतरा है। फैक्ट चेकिंग यूनिट गलत जानकारी को लेबल करेगा। अगर फिर भी प्लेटफॉर्म इसे रखता है तो इसका फैसला कोर्ट करेगा।

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों 6003 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को मंजूरी दी। क्वांटम टेक्नोलॉजी अभी किस अवस्था में है, इसकी जरूरत क्यों है?

तीन ऐसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर है जिन पर सरकार ने निवेश किया है। एक आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, दूसरा सेमीकंडक्टर और तीसरा हाई परफॉर्मेस कंप्यूटिंग और क्वाटंम कंप्यूटिंग। क्वाटंम कंप्यूटिंग का मकसद है कि सिक्योरिटी की दुनिया में बेहतर रोल हो सकता है। क्लासिकल कंप्यूटर में कोई भी सूचना 0 और 1 के रूप में स्टोर होती है, लेकिन क्वांटम कंप्यूटर में 0 और 1 के अलावा और विकल्प भी हो सकते हैं। लेकिन 50 या 60 क्यूबिट (क्वांटम बिट) तक जाते-जाते इतनी अधिक संभावनाएं स्टोर करने की जरूरत पड़ जाती है कि वह सामान्य कंप्यूटर में संभव ही नहीं है। क्वांटम कंप्यूटर संभी संभावनाओं की एक साथ प्रोसेसिंग करता है, जबकि क्लासिकल कंप्यूटर एक-एक कर सभी संभावनाओं की प्रोसेसिंग करता है। यह टेक्नोलॉजी क्वांटम क्रिप्टोग्राफी की सुविधा भी देती है। अगर किसी सूचना को क्वांटम क्रिप्टोग्राफी से इन्क्रिप्ट किया गया है, तो क्वांटम कंप्यूटर से भी उसका इन्क्रिप्शन तोड़ा नहीं जा सकता है। वह सूचना पूरी तरह सुरक्षित होगी।

टेक्नोक्रेट से लेकर एक सफल राजनेता और मंत्री बनने के इस सुखद संयोग का आकलन आप कैसे करते हैं?

मैं सिलिकॉन वैली में इंजीनियर था। यहां आकर मोबाइल इंटरप्रिन्योरशिप में काम किया। 2006 में मैं राजनीति में आया।यह सफर सीखने वाला रहा है। 17 साल में मैंने काफी सीखा। इसका आकलन देशवासी करेंगे कि मैंने क्या किया है।

प्रधानमंत्री को एक लीडर, स्टेट्समैन के तौर पर देखते हैं। एक बॉस के तौर पर आप उन्हें कैसे देखते हैं? आपने उनसे क्या सीखा ?

मैं मोदी जी से बहुत कुछ सीखा हूं । प्रधानमंत्री मोदी का वर्क एथिक्स, लोगों को सुनना, काम के प्रति समर्पण। मैं जब एमपी था तब भी मुझे समय देते थे। सुनने की क्षमता उनकी गजब की है। ऐसे नेता जो दूसरों की सफलता में निवेश करते हैं वह प्रेरक है।