समुद्रयान मिशन खोलेगा विकास के नए आयाम, ब्लू इकोनॉमी बढ़ाएगी देश में आर्थिक समृद्धि

चंद्रयान के जरिए दूर आसमान में पहुंचने के बाद भारत अब गहरे समुद्र में झांकने की तैयारी कर चुका है। चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी ने...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली, जागरण प्राइम। नई दिल्ली, जागरण प्राइम। चंद्रयान के जरिए दूर आसमान में पहुंचने के बाद भारत अब गहरे समुद्र में झांकने की तैयारी कर चुका है। चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी ने समुद्रयान मिशन के तहत 'मत्स्य 6000' नाम की पनडुब्बी को 6000 मीटर गहरे समुद्र में भेजने की तैयारी कर ली है। पनडुब्बी में तीन वैज्ञानिक गहरे समुद्र में जाएंगे और अध्ययन करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट की सफलता दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाएगी। वहीं समुद्र की गहराई में कई ऐसे राज खुलेंगे जो पूरी मानव जाति के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इस अभियान से भारत की ब्लू इकोनॉमी को भी बढ़ावा मिलेगा। इस अभियान की बारीकियों पर जागरण न्यू मीडिया ने 'मत्स्य 6000' को बनाने वाली संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) के निदेशक रहे डॉक्टर एमए आत्मानंद एवं नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओशन रिसर्च (NCAOR) के निदेशक रह चुके डॉक्टर प्रेम चंद्र पांडेय से बातचीत की।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी दो सालों से मत्स्य 6000 नामक पनडुब्बी बना रहा है। 2024 की शुरुआत में इसे चेन्नई तट के पास बंगाल की खाड़ी में पहले समुद्री परीक्षण के लिए उतारने की तैयारी है। जून 2023 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में पर्यटकों को ले जाते समय टाइटन नाम की पनडुब्बी के फटने के बाद वैज्ञानिक इसके डिजाइन पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन के मुताबिक समुद्रयान मिशन गहरे महासागर मिशन के हिस्से के रूप में चल रहा है। 2024 की पहली तिमाही में 500 मीटर की गहराई पर समुद्री परीक्षण करने की तैयारी है। इस मिशन के तहत जाने वाले वैज्ञानिक हाइड्रोथर्मल सल्फाइड , निकेल, कोबाल्ट, मैंगनीज और गैस हाइड्रेट्स की तलाश करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिशन की सफलता से पूरी दुनिया में भारत का सम्मान और बढ़ेगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) के पूर्व निदेशक डॉक्टर एमए आत्मानंद कहते हैं कि समुद्रयान मिशन देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण मिशन है। अब तक चुनिंदा देश ही समुद्र की गहराई में पहुंच सके हैं। समुद्र की गहराई में कई ज्वालामुखी हैं, दुर्लभ खनिज हैं, बहुत से ऐसे जीव हैं जिनके बारे में अब तक दुनिया में लोगों को जानकारी नहीं है। इस गहराई में हमें बेहद असाधारण जीव मिल सकते हैं। इन जीवों में मिलने वाले तत्वों से हमारी असाध्य बीमारियों की वैक्सीन तक बनने की संभावना है। पानी के इतने दबाव के बीच ये जीव कैसे रह लेते हैं, ये भी अध्ययन का विषय है। क्लाइमेट चेंज के चलते समुद्र की लगभग 300 मीटर तक की गहराई तक पानी गर्म हुआ है। वैज्ञानिक इस बात की भी जानकारी जुटाएंगे की सागर की गहराई में भी क्या क्लाइमेट चेंज का कुछ असर हुआ है।
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