नई दिल्ली, जागरण प्राइम । अठारहवीं लोकसभा चुनाव में अभी तीन चरण के लिए मतदान बाकी हैं। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाती है। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। हम इस अंक में चर्चा देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा और इससे जुड़ी चुनौतियों की करेंगे। इस विषय पर हमने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी से बात की।

हमने उनसे सवाल किया कि देश में सीमाओं से घुसपैठ करके आए रोहिंग्या जैसे शरणार्थी देश के लिए किस तरह का खतरा हैं? कई बार सामने आया है कि शरणार्थी अनैतिक और गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल रहते हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए किस तरह के कदम उठाए जाने की जरूरत है?

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि किसी भी देश के पास सीमित प्राकृतिक संसाधन होते हैं। देश का दायित्व होता है कि वो अपने देश के नागरिकों को बेहतर सहूलियत और संसाधन उपलब्ध कराए। जब किसी अन्य देश से कोई शरणार्थी भारत में आता है तो हमारे देश के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत में आने से ये समस्या देखी जा रही है। रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार या बांग्लादेश की सीमाओं से आ रहे हैं। ये बहुत बड़ी चुनौती है। भारत में आने के बाद इन शरणार्थियों के पास कोई काम होता नहीं है। आधार या कोई अन्य पहचान पत्र न होने के चलते इन्हें कोई काम नहीं मिलता है। ऐसे में ये अपराध करते हैं। ऐसे में देश में अपराध का ग्राफ बढ़ता है। रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या देश के सामने कई दशकों से है। वहीं इनको वापस भेजने की गति बहुत सुस्त है। गौरतलब है कि पिछले एक साल में मात्र 16 रोहिंग्या शरणार्थी वापस भेजा जा सके हैं।

ऐसे में इन शरणार्थियों को रोकने के लिए बेहद जरूरी है कि केंद्र सरकार सीमाओं पर सख्ती बढ़ाए। सीमाओं की फेंसिंग को और मजबूत किया जाए। सीमा सुरक्षा में लगी एजेंसियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि कहीं से भी घुसपैठ न हो। देश की सीमाओं पर की जाने वाली फेंसिंग बेहद मजबूत होती है। लेकिन देश के अंदर मौजूद कुछ लोग इन शरणार्थियों को देश में आने में मदद करते हैं।

अगर हमारा कोई नागरिक इन शरणार्थियों की मदद कर रहा है तो उसे पकड़ा जाना चाहिए। ये एक तरह का देशद्रोह है। ऐसे व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

देश में घुसपैठ रोकने के लिए सीमाओं पर आधुनिक तकनीक की मदद से निगरानी करनी होगी। आज हमारी सीमाओं पर लगी फेंसिंग पर फिजिकल पेट्रोलिंग ज्यादा होती है। कई जगह पर कैमरे भी हैं। लेकिन अब हमारी जरूरत इससे ज्यादा की है। अब ड्रोन और अन्य हाईटेक तकनीक के जरिए सीमाओं पर नजर रखनी होगी। वहीं हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सीमा पर किसी भी तरह की घुसपैठ की कोशिश हो तो तुरंत वहां पर क्विक एक्शन टीम पहुंचे और कार्रवाई करे।

हमें ध्यान रखना होगा कि किसी भी राजनीतिक व्यक्ति ने अगर किसी भी शरणार्थी की किसी भी तरह से मदद की हो, चाहे पहचान पत्र बनाने में या कैंप बनाने में, तो उनका किसी भी तरह के चुनाव में बहिष्कार किया जाना चाहिए। क्योंकि ये अगर यह प्रत्याशी किसी भी रिफ्यूजी को भारत में लेकर आया है तो वह किसी संवैधानिक पद पर पहुंच कर देश को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। खास तौर पर पहली बार वोट करने वाले युवा वोटरों को अपने प्रत्याशी के बारे में अच्छे से जांच पड़ताल करनी चाहिए।