नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। पुरा-पाषाण काल में नमक का इस्तेमाल खाने को संरक्षित रखने के लिए करते थे वहीं अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान नमक मासिक भत्ते के तौर पर मिलता था। एक जमाने पहले आवश्यकता के तौर पर प्रयोग होने वाले नमक का प्रयोग बाद में ज्यादातर स्वाद के रुप में होने लगा लेकिन नमक का सीमा से अधिक इस्तेमाल कई रोगों को दावत देने लगा। हाल में ही आई विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर नमक का संतुलित तरीके से प्रयोग किया जाए तो 70 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है। वहीं डब्ल्यूएचओ समेत कई रिपोर्ट कहती है कि विकासशील देशों के लोग, जिसमें भारत भी शामिल है में अधिक नमक का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि विकसित देशों में रोजाना नमक खाने की आदत में सुधार आया है और वे नमक खा रहे हैं, जिससे वे स्वस्थ भी हो रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि केवल 5 प्रतिशत देश अनिवार्य और व्यापक सोडियम कटौती नीतियों से सुरक्षित हैं, जबकि भारत सहित 73 प्रतिशत देशों में ऐसी नीतियों के कार्यान्वयन की पूरी श्रृंखला का अभाव है। कई अध्ययनों से पता चला है कि खाद्य पदार्थो में नमक का अधिक सेवन करने से समय से पहले मौत का खतरा बढ़ सकता है। उभरते सबूत भी उच्च सोडियम सेवन और गैस्ट्रिक कैंसर, मोटापा, ऑस्टियोपोरोसिस और गुर्दे की बीमारी जैसी अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के बढ़ते जोखिम को जोड़ते हैं।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि, दुनिया भर में अस्वास्थ्यकर भोजन से मृत्यु और बीमारी का एक प्रमुख कारण है और अत्यधिक सोडियम का सेवन इनमें से प्रमुख रूप से जिम्मेवार है।

नौ देशों ने ही बनाए नियम

दुनिया के कुछ देशों ने ही नमक कम करने को लेकर नियम बनाए हैं। यह नौ देश ब्राजील, चिली, चेक गणराज्य, लिथुआनिया, मलेशिया, मैक्सिको, सऊदी अरब, स्पेन और उरुग्वे है लेकिन इन देशों के अलावा दूसरे देशों में भी इस तरह की नियम बनाने की जरूरत है। पूरी दुनिया में औसत नमक का सेवन हर रोज 10.8 ग्राम होने का अनुमान है। इसे कमा कर हर दिन 5 ग्राम यानी एक चम्मच करने का विचार किया जा रहा है क्योंकि अभी जो फिलहाल हमलोग जिस तरीके से नमक का यूज कर रहे हैं वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हिसाब से दोगुना से भी अधिक है।

नमक का सीमा से अधिक लंबे समय तक सेवन खतरनाक

शारदा अस्पताल के डिपॉर्टमेंट ऑफ जनरल मेडिसिन के डा. श्रेय श्रीवास्तव कहते हैं कि

सोडियम एक आवश्यक पोषक तत्व है, लेकिन बहुत अधिक नमक खाने से यह आहार और पोषण संबंधी मौतों के लिए शीर्ष जोखिम कारक बन जाता है। सोडियम का मुख्य स्रोत टेबल सॉल्ट होता है। वह कहते हैं कि सोडियम के अधिक इस्तेमाल से आपको अधिक प्यास लगने, ब्लॉटिंग और रक्तचाप जैसी दिक्कतें होती है। लंबे समय तक नमक का अधिक सेवन दिल के रोग, किडनी रोग, किडनी स्टोन, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन जैसी समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। डा. श्रीवास्तव कहते हैं कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और 2020-2025 डायटरी गाइडलाइंस के अनुसार 2300 मिग्रा नमक से अधिक का सेवन न करें। डब्ल्यूएचओ के डिपॉर्टमेंट ऑफ न्यूट्रिशियन फॉर हेल्थ एंड डेवलपमेंट के निदेशक डा. फ्रांसेको ब्रांका कहते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सोडियम कम करने की सिफारिशों को अगर लागू किया जाए तो 2025 तक बीस लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है और 2030 तक 70 लाख लोगों की जान बच सकती है। हम रोजाना अपने खाने में कम नमक का इस्तेमाल करने की आदत डालें।

खाने में नमक मिलाने से उम्र पर पड़ रहा असर

खाने में अलग से नमक मिलाने से पुरुषों की जीवन प्रत्याशा दर में दो साल और महिलाओं की लाइफ एक्स्पेक्टेंसी में डेढ़ साल की कमी होती है। ब्रिटेन में 50 साल की उम्र के आसपास के पांच लाख लोगों तक नौ साल तक रिसर्च में यह बात सामने आई है। अमेरिका के न्यू ओरलींस में ट्यूलैंड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर लू की ने दावा किया है कि पहली बार इस तरह का अध्ययन हुआ है।

भारतीय खाते हैं दोगुना नमक

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से रोजाना के भोजन में सुझायी गयी नमक की मात्रा के मुकाबले भारत के लोग दोगुना नमक खाते हैं। इससे लोगों में हृदय रोग और जल्दी मृत्यु होने का खतरा बढ़ता है। जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की ओर से किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 19 वर्ष से ज्यादा आयु के भारतीय एक दिन में औसतन 10.98 ग्राम नमक खाते हैं जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से सिर्फ पांच ग्राम प्रति दिन की मात्रा अनुशंसित है। अध्ययन के अनुसार, भारत के दक्षिणी और पूर्वी राज्यों में नमक का सेवन ज्यादा मात्रा में होता है। त्रिपुरा में लोग सबसे ज्यादा, औसतन 14 ग्राम प्रतिदिन नमक खाते हैं। यह डब्ल्यूएचओ की अनुशंसित मात्रा से तीन गुना ज्यादा है।

अध्ययन के मुख्य लेखक क्लेयर जॉनसन ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में औसत भारतीय भोजन में बदलाव आया है। भारतीय कम मात्रा में दाल, फल और सब्जियां खा रहे हैं और प्रसंस्कृत और फास्ट फूड ज्यादा खा रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि इसके कारण उनके भाजेन में नमक, चीनी और नुकसानदेह वसा की मात्रा बढ़ गयी है जो उन्हें उच्च रक्तचाप, मोटापा, हृदय रोग जैसे दिल का दौरा जैसी बीमारियों की ओर ले जा रही है।

क्या कहता है डब्ल्यूएचओ और हार्वर्ड

डब्ल्यूएओ के मुताबिक रोजाना एक वयस्क इंसान को 4 ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए। हालांकि नमक में दो तत्व होते हैं सोडियम और क्लोराइड। हार्वर्ड मेडिकल जर्नल के मुताबिक सामान्य नमक में 40 प्रतिशत सोडियम और 60 प्रतिशत क्लोराइड होता है। हमें इनमें से सिर्फ 500 मिलीग्राम सोडियम की जरूरत होती है। इससे ज्यादा सोडियम हमारे लिए परेशानी पैदा कर सकती है। इससे हमें ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाएगा साथ ही हड्डियों से कैल्शियम का रिसाव शुरू हो जाएगा। अमेरिका में अमूमन 1.5 चम्मच नमक लोग रोजाना खा लेते हैं। इसमें करीब 3400 मिलीग्राम सोडियम होता है यानी जरूरत से 7 गुना ज्यादा। हमारे देश में लोग अमेरिकन से कहीं ज्यादा नमक खाते हैं। नमक में मौजूद सोडियम रक्त नलिकाओं को पतला कर देता है और इसकी वजह से दिल से जुड़ी तमाम समस्याएं होती हैं।

डब्ल्यूएचओ ने दिए सुझाव

  • खाद्य पदार्थों में नमक को कम करने के लिए सुधार करना और खाद्य पदार्थों और भोजन में सोडियम की मात्रा के लिए लक्ष्य निर्धारित करना
  • सार्वजनिक संस्थानों जैसे अस्पतालों, स्कूलों, कार्यस्थलों और नर्सिंग होम में नमक या सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों को सीमित करने के लिए सार्वजनिक खाद्य खरीद नीतियां स्थापित करना
  • नमक के पैकेट पर जानकारी का सही लेबल लगा होना, जिससे उपभोक्ताओं को कम सोडियम वाले उत्पादों का चयन करने में मदद मिलेगी
  • नमक या सोडियम की खपत को कम करने के लिए व्यवहार में बदलाव लाने के लिए प्रचार, प्रसार करना तथा मीडिया अभियान चलाना।

खाने में नमक कैसे नियंत्रित करें

खाने में नमक को कम से कम ही लें। सबसे जरूरी बात है कि अक्सर लोग खाने में ऊपर से नमक डालते हैं जो सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसके अलावा फास्ट फूड और जंक फूड लेने से बचें इनमें नमक की मात्रा काफी अधिक होती है। घर का बना खाना खाएं और डाइट में धनिया, काली मिर्च, जायफल, अदरक को शामिल करें ये मसाले अधिक नमक लेने की लत को छुड़ाने में मदद करते हैं। वहीं फूड खरीदते समय देखें कि उसमें लिखा हो कि इसमें सोडियम की मात्रा लो है। अगर किसी की फैमिली में बीपी, किडनी, हार्ट आदि बीमारी की हिस्ट्री रही है तो उन्हें नमक कम ही खाना चाहिए। खासकर बाहर के पैक्ड फूड, चाहे वह जूस ही क्यों न हो। आप नमक ज्यादा खा रहे हैं या कम इसके लिए आप न्‍यूट्र‍िशन‍िस्‍ट या डायटीश‍ियन की हेल्प ले सकते हैं। वहीं ब्लड टेस्ट से पता चल सकता है कि शरीर में सोडियम, पोटैशियम और इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा कितनी है। इसी सोडियम की मात्रा को देखकर डॉक्टर नमक का लेवल बता सकते हैं।