नई दिल्ली, विवेक तिवारी । जलवायु में आने वाले बदलावों ने अन्य जीवों के साथ मच्छरों को भी आक्रामक बना दिया है। मच्छरों में जीवन और व्यवहार में कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं। केन्या मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक मलेरिया का मच्छर पहले की तुलना में अब ज्यादा खतरनाक और जानलेवा हो गया है। पहले ये मच्छर एक निश्चित मौसम में ही मलेरिया फैलाते थे, लेकिन इनमें अब पूरे साल बीमारी फैलाने की क्षमता विकसित हो गई है। इन पर कीटनाशकों का असर भी कम हो गया है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इन मच्छरों की प्रजनन दर में वृद्धि और इनके प्रभाव का तेजी से बढ़ता इलाका काफी चिंता की बात है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक एनोफेलीज स्टीफेंसी मच्छर पहले सिर्फ दक्षिण एशिया और अरेबियन पेनिनसुला के कुछ हिस्सों में ही मलेरिया फैलाता था, लेकिन अब ये केन्या सहित कई ऐसे देशों में पहुंच चुका है जहां पहले नहीं पाया जाता था।

लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक बदलती जलवायु के चलते पूरी दुनिया में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है। मच्छरों की प्रजनन दर के साथ उनके काटने की दर में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में आने वाले दिनों में मच्छरों से होने वाली बीमारियों में तेजी से बढ़ोतरी होगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इसी साल जारी वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में मच्छर से फैलने वाली बीमारी और मलेरिया से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। साल 2021 में मलेरिया के चलते पूरी दुनिया में लगभग 619000 लोगों की जान चली गई। उस साल मलेरिया के लगभग 24.7 करोड़ ममाले दर्ज किए गए थे।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च के वैज्ञानिक डॉक्टर हिम्मत सिंह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते पूरी दुनिया में मच्छरों के लिए अनुकूल माहौल बना है। मच्छरों के प्रजनन वाले इलाके बढ़े हैं। गर्मी बढ़ने के साथ मच्छरों के जीवन चक्र में तेजी आती है और अंडे से एक व्यस्क मच्छर बनने का समय कम हो जाता है।

एनोफेलीज स्टीफेंसी मच्छर शहरों में पाया जाता है। भारत में भी शहरीकरण बढ़ने से इन मच्छरों का इलाका बढ़ा है। डेंगू के मच्छर की तरह ये भी घरों में किसी टूटे बर्तन, गमले, पानी की टंकी या कहीं भी जहां थोड़ा पानी जमा होता हो वहां अंडे देता है। ये मच्छर शहरों में पूरे साल मलेरिया फैला सकता है। खास बात ये है कि ये मच्छर गर्मी को भी बर्दाश्त कर लेता है। शहरों में काफी समय तक केमिकल के छिड़काव के चलते इन मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हो गई है।

मलेरिया फैलाने वाले अन्य मच्छर जैसे एनोफेलीज क्यूलिसिफेसिस सामान्य तौर पर साफ पानी के स्रोतों जैसे तालाब या खुली जगहों पर इकट्ठा पानी में अंडे देते हैं। ऐसे में ये मच्छर ज्यादातर गांवों में मलेरिया फैलाते हैं। पर ये बहुत अधिक गर्मी या सर्दी बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसलिए निश्चित सीजन, खास तौर पर बारिश के मौसम में ही मलेरिया फैलाते हैं।

तेजी से बढ़ेंगी डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियां

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ता तापमान, बारिश और समुद्र में बढ़ती गर्मी मच्छरों की जनसंख्या बढ़ाने के लिए बेहतरीन माहौल तैयार कर रही है। इसके चलते श्रीलंका और दक्षिण भारत के कई इलाकों में मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। मच्छरों की संख्या बढ़ने के साथ ही डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ेगा। अध्ययन में शामिल न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर येसिम तोजान के मुताबिक क्लाइमेट चेंज के चलते आने वाले दिनों में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया आदि तेजी से फैलेंगी। जलवायु में बदलाव और मौसम के डेटा का इस्तेमाल कर इसे रोकने का प्रयास किया जा सकता है। अलनीनो पर अध्ययन से मच्छरों की प्रजनन दर बढ़ने का भी अनुमान लगाया जा सकता है।

मच्छरों का इलाका बढ़ा

ICMR सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर क्लाइमेट चेंज एंड वेक्टर बॉर्न डिजीज के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर रहे डॉक्टर रमेश धीमान बताते हैं कि जल जनित और वेक्टर जनित रोग पैदा करने वाले जीव जलवायु के प्रति संवेदनशील होते हैं। बीमारी फैलाने वाले मच्छरों, सैंड फ्लाई, खटमल जैसे कीटों का विकास और अस्तित्व तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करता है, ये रोग वाहक मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी एन्सेफलाइटिस, कालाजार जैसी बीमारी बहुत तेजी से फैला सकते हैं। बदलते मौसम के चलते पूरी दुनिया में मच्छरों के प्रजनन के लिए एक बेहतर माहौल बना है। अब मच्छर ऐसे इलाकों में भी पाए जाने लगे हैं जहां पहले नहीं थे। भारत में हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति बहुत संवेदनशील है। तापमान में वृद्धि के कारण ठंडे इलाके भी मलेरिया और डेंगू के लिए उपयुक्त हो गए हैं।

बुखार आए तो तुरंत कराएं जांच

डॉक्टरों के मुताबिक आपको दो से तीन दिन अगर बुखार बार-बार उतरता और चढ़ता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखा कर उसकी जांच करानी चाहिए। दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी कहते हैं कि अगर ठंड के साथ बुखार आ रहा है और बुखार बार-बार चढ़ता-उतरता है तो तुरंत जांच करानी चाहिए। आपको मलेरिया हो सकता है। मलेरिया भी दो तरह का है फेल्सीपेरम और वाइवैक्स है। प्लाज्मोडियम फेल्सीपेरम होने पर पहले क्लोरोक्विन दी जाती थी, लेकिन अब इसके प्रति अब मच्छरों में रजिस्टेंस देखा जाने लगा है। ऐसे में डॉक्टर आपकी जांच के बाद ही आपको सही दवा दे पाएगा।

मलेरिया से बचाव के लिए क्या करें

  • घर के आसपास पानी इकट्ठा न होनें दें
  • मच्छरदानी लगाकर सोएं और ध्यान रखें कि आसपास सफाई हो
  • घर के अंदर मच्छर मारनेवाली दवा छिड़कें। मोस्कीटो रिपेलेंट मशीनों का इस्तेमाल करें
  • घर के दरवाज़ों और खिड़कियों पर जाली लगाएं
  • हल्के रंग के ऐसे कपड़े पहनें जिससे आपका शरीर पूरी तरह ढंके।
  • ऐसी जगह न जाएं जहां झाड़ियां हों क्योंकि वहां मच्छर हो सकते हैं।
  • ऐसी जगह न जाएं जहां पानी इकट्ठा हो क्योंकि वहां मच्छर पनपने का खतरा होता है।