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भारत की चीन को चेतावनी, LAC पर यथास्थिति बदलने की न हो कोशिश, नया निर्माण फौरन रोके

चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा कि जमीन पर यथास्थिति बदलने की चीन की कोशिशों से द्विपक्षीय संबंधों में दरार पैदा हो सकती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 10:38 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 08:33 AM (IST)
भारत की चीन को चेतावनी, LAC पर यथास्थिति बदलने की न हो कोशिश, नया निर्माण फौरन रोके

बीजिंग, एजेंसियां। भारत ने चीन को पूर्वी लद्दाख में अपनी गतिविधियां तत्काल बंद करने की नसीहत देने के साथ स्पष्ट चेतावनी दी है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर बलपूर्वक यथास्थिति बदलने की किसी भी कोशिश से न केवल क्षेत्रीय शांति प्रभावित होगी, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी किसी कोशिश की प्रतिक्रिया होगी और उसके दुष्परिणाम भी चीन को झेलने होंगे। चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने शुक्रवार को साफ संदेश दे दिया कि जब तक चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर नया निर्माण करने का काम नहीं रोकेगा, तब तक दोनों देशों के बीच तनातनी बनी रहेगी। इस बीच नई दिल्ली में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पूर्वी लद्दाख में समग्र स्थिति और भारतीय सैन्य तैयारियों की जानकारी दी। 

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गलवन में चीन सेना की कार्रवाई से दोनों देशों के रिश्तों पर बुरा असर

भारतीय राजदूत ने बीजिंग में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गलवन पर चीन द्वारा बार-बार किए जा रहे दावे को अस्वीकार्य करार देते हुए कहा कि इस तरह के दावे से उसे कोई लाभ नहीं होगा। मिसरी ने कहा कि जमीन पर यथास्थिति बदलने की चीन की कोशिशों से द्विपक्षीय संबंधों में दरार पैदा हो सकती है। हाल ही में चीनी सेना की ओर से उठाए गए कदमों ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और भरोसे को काफी नुकसान पहुंचाया है। बेहतर संबंधों के लिए सीमा पर शांति बहुत जरूरी है। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना की गतिविधियों को लेकर कहा कि भारत ने एलएसी के अपने क्षेत्र में हमेशा से गतिविधियां जारी रखी हैं। अब यह पूरी तरह चीन की जिम्मेदारी है कि वह दोनों देशों के संबंधों की सावधानी से समीक्षा करे और फिर तय करे कि उसे किस दिशा में जाना है। भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में किसी भी प्रगति के लिए सीमा पर शांति एक आवश्यक शर्त है। हमारा नजरिया इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट है। चीन के सैनिकों को भारतीय सैनिकों के गश्त करने के काम में कोई अड़चन नहीं डालनी चाहिए। मिसरी ने गलवन घाटी पर चीन के दावे को खारिज करते हुए कहा इसे किसी तरह का समर्थन नहीं मिल सकता। बढ़-चढ़कर किए जा रहे दावों से मौजूदा हालात में किसी तरह की मदद नहीं मिलने वाली। 

हालात सामान्य करने के लिए चीन अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाए 

चीन की ओर से सीमा पर निर्माण कार्य को लेकर मिसरी ने कहा कि चीन को एलएसी के भारतीय हिस्से के क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू करने की कोशिशों को फौरन रोकना पड़ेगा। भारत को उम्मीद है कि चीन एलएसी के अपने पक्ष में वापस जाने के लिए सैनिकों को हटाने में और तनाव कम करने में अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। अब यह पूरी तरह चीन पर निर्भर है कि वह किस और अपना रुख करेगा। 

चीनी राजदूत को दिया जवाब

नई दिल्ली में चीन के राजदूत सुन वीडांग के गुरुवार को किए गए इस दावे कि तनाव घटाने की जिम्मेदारी भारत की है, पर मिसरी ने कहा कि हम इस मामले में बहुत स्पष्ट हैं। मौजूदा हालात के लिए इस क्षेत्र में चीन द्वारा की जा रही हरकतें जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल-मई से ही चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों के गश्त करने के काम में व्यवधान डाल रहे हैं। इसी कारण दोनों देशों के बीच तनातनी आई। 

सेना प्रमुख ने राजनाथ सिंह को दी हालात की जानकारी

इस बीच सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैन्य तैयारियों की जानकारी दी। नरवाने हालात का जायजा लेने के लिए 23 जून से दो दिवसीय दौरे पर लद्दाख गए थे, जबकि राजनाथ सिंह ने 22 से 24 जून के बीच रूस का तीन दिवसीय दौरा किया। सैन्य सूत्रों के मुताबिक नरवाने ने पूर्वी लद्दाख के हालात से रक्षामंत्री को अवगत कराया है।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साफ लहजे में चीन से कहा था कि उसे अपनी मनमानी छोड़नी होगी। श्रीवास्तव ने सीमा पर बिगड़े हालात के लिए पूरी तरह चीन को दोषी ठहराते हुए कहा था कि उसने पारस्परिक सहमति वाले सभी समझौतों के प्रति असम्मान दर्शाया है और अगर उसका रवैया नहीं बदला तो हालात और बिगड़ेंगे।


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