नई दिल्ली। संदीप राजवाड़े। केंद्रीय बजट में देश के 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ नर्सिंग कॉलेज खोलने की घोषणा देश में नर्सिंग सेवा में सुधार की दिशा में बड़ी पहल है। इन नर्सिंग कॉलेजों में हर साल 15700 नर्सें तैयार होंगी जिन्हें आधुनिक तकनीक की भी जानकारी होगी। विशेषज्ञों और राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का कहना है कि इसका सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेगा। वहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी। स्किल्ड नर्सों को रोजगार के भी अच्छे अवसर उपलब्ध होंगे। नर्स फेडरेशन और संगठनों का कहना है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज खुलने से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र भी कम फीस में अच्छे नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाई कर पाएंगे। साथ ही, 2-4 कमरों में चल रहे निजी नर्सिंग कॉलेजों की तुलना में उन्हें तकनीकी रूप से अच्छी ट्रेनिंग मिलेगी। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि नर्सों को मिल रही कम सैलरी और रोजगार की कमी जैसी विसंगति को सुधारना सबसे बड़ी चुनौती है। इसे लेकर नई योजनाएं बनानी होंगी।

सबसे ज्यादा 28 नर्सिंग कॉलेज यूपी में खुलेंगे

केंद्रीय बजट 2023-24 में 2014 से 2022 के दौरान देश में खुले 157 मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज खोलने की घोषणा हुई है। अलग-अलग राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 28 मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज खुलेंगे। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में 7, गुजरात में 5, बिहार में 3, उत्तराखंड में 4, ओडिशा में 7, पंजाब में 3 नर्सिंग कॉलेज खुलेंगे। इन नर्सिंग कॉलेजों से स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह सुधार होगा, इनसे निकलने वाली नर्सों में योग्यता के स्तर पर क्या बदलाव देखे जाएंगे, इसे लेकर जागरण प्राइम ने दो राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों, हेल्थ और नर्सिंग विशेषज्ञों, इंडियन नर्सिंग फेडरेशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से बात की।

विशेषज्ञों के अनुसार, देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में नर्सों की कमी है। कोविड के बाद हेल्थ सर्विस की डिमांड और बढ़ी है। प्रशिक्षित और आधुनिक मेडिकल मशीनरी-तकनीकों की जानकारी वाली नर्सों की जरूरत काफी बढ़ गई है। मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध नर्सिंग कॉलेजों में उन्हें सीखने का बेहतर अवसर मिलेगा। उन्हें मेडिकल साइंस में उपयोग हो रही नई टेक्नोलॉजी और इलाज की जानकारी होगी। इससे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में बहुत मदद मिलेगी।

गुजरात में 5 कॉलेज, स्थानीय छात्रों को मिलेगा फायदा

गुजरात के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ऋषिकेश पटेल के अनुसार केंद्रीय बजट में गुजरात को 5 नर्सिंग कॉलेज आवंटित किए गए हैं। ये राजकीय मेडिकल कॉलेज में खोले जाएंगे। नर्सिंग कॉलेज से गुजरात के छात्र-छात्राओं को काफी फायदा होगा। उन्हें स्किल और तकनीकी ट्रेनिंग मिलेगी और नर्सों की कमी भी दूर होगी।

गुजरात के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज अग्रवाल ने बताया कि राज्य में राजपीपला, मोरबी, गोधरा, पोरबंदर और नवसारी में नर्सिंग कॉलेज शुरू किए जाएंगे। इनमें कुल 500 सीटें होंगी। उन्होंने बताया कि अभी तक जो नर्सें 10वीं या 12वीं पास हैं, वे भी निजी अस्पतालों में सेवा दे रही हैं। उनमें स्किल और ट्रेनिंग की कमी से कई तरह की दिक्कतें आती हैं। निजी अस्पतालों को भी नर्सिंग कॉलेजों की योग्य नर्सों का लाभ मिलेगा। योग्य नर्स होने पर वेतनमान भी अधिक होगा। सरकारी नर्सिंग कॉलेज से निकलने नर्सों को सीधे मेडिकल कॉलेज में नौकरी मिल सके, इसकी व्यवस्था भी की जाएगी। इसके अलावा जिन निजी नर्सिंग कॉलेजों में व्यवस्था नहीं है और शिक्षक नहीं हैं, उन पर भी नियंत्रण रहेगा। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग काउंसिल को नर्सिंग मानदंडों का पालन नहीं करने वाले कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी प्रस्ताव दिया है।

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव का कहना है कि आज क्वालिफाइड नर्सों की काफी डिमांड है। मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध नर्सिंग कॉलेज से नर्सों को ज्यादा सीखने को मिलेगा। लेकिन इनके सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। आज भी अनेक नर्सें बेरोजगार हैं, उनके लिए योजना नहीं बनाई गई है। आज छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में नए मेडिकल कॉलेज खोलने की आवश्यकता है, जिससे दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक मरीजों को इलाज की बेहतर सुविधा मिल पाए। हमने केंद्र सरकार से मांग की है। नर्सिंग कॉलेज के लिए अभी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना होगा। इसकी तैयारी की जा रही है।

आधुनिक तकनीक व मशीनरी की ट्रेनिंग मिलेगी

इंडियन नर्सिंग काउंसिल के डायरेक्टर डॉ. टी. दिलीप कुमार का कहना है कि एम्स के मेडिकल कॉलेजों समेत कुछ अन्य संस्थानों में नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं। 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलने से स्किल और ट्रेंड नर्सों की एक बड़ी संख्या हर साल तैयार होगी। प्रत्येक कॉलेज में 100-100 नर्सिंग सीटें होंगी। इस तरह 157 कॉलेजों में कुल 15700 छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिलेगा। राज्यों में किन-किन मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज खोलने हैं, इसे लेकर प्रस्ताव मंगवाया गया है। इन कॉलेजों में क्वालिटी और ट्रेनिंग के स्तर पर तय स्टैंडर्ड का पालन होगा, इससे स्किल्ड नर्सें तैयार होंगी। आधुनिक मेडिकल तकनीक व मशीनरी की ट्रेनिंग मिलेगी। काउंसिल की तरफ से देश के नर्सिंग कॉलेजों का स्तर सुधारने के लिए उनके टीचरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें रेफरल सिमुलेशन सेंटर में ट्रेनिंग दी जाती है। अब तक 700 फैकल्टी को ट्रेंड किया जा चुका है।

निजी अस्पतालों में वेतन गाइडलाइन का पालन हो

डॉ. दिलीप का कहना है कि आज देश में 24 लाख नर्सें रजिस्टर्ड हैं। अलग-अलग राज्यों में शासकीय की तुलना में 80 फीसदी निजी नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इन कॉलेजों में तय मानक के अनुसार पढ़ाई हो रही है कि नहीं, इसे लेकर राज्य सरकार को निगरानी रखनी है। काउंसिल की तरफ से नर्सिंग शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले साल ही बीएससी नर्सिंग का पाठ्यक्रम बदला गया है। सेमेस्टर पद्धति से परीक्षा ली जा रही है। यह जरूर है कि मेडिकल कॉलेजों के साथ नए नर्सिंग कॉलेजों से ट्रेंड नर्सों की संख्या बढ़ेगी, जिसकी आज कोरोना जैसे महामारी के बाद सबसे ज्यादा जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आयोग की तरफ से गाइडलाइन बनाई गई थी कि निजी अस्पतालों में काम करने वाली नर्सों के लिए मानक वेतन तय हो, लेकिन इसका पालन अधिकतर राज्यों या संस्थानों में नहीं किया जा रहा है। 200 से कम बेड वाले हॉस्पिटल में नर्सों को कम से कम 25 हजार रुपए वेतन दिया जाए। इससे ऊपर बेड वाले अस्पतालों में शासकीय अस्पतालों के नर्सों का वेतनमान हो। वेतन विसंगति को लेकर कड़ाई की जरूरत है। आज भी हमारे यहां एक हजार मरीज की तुलना में 1.7 नर्स का अनुपात है।

नर्सों का स्किल लेवल अच्छा होगा

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. शरद अग्रवाल का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों के नर्सिंग कॉलेजों में सेटअप अच्छा होने से उन्हें अच्छी ट्रेनिंग मिलेगी। उनकी स्किल बेहतर होगी। इसके पीछे कारण यह है कि मेडिकल कॉलेज के नॉर्म्स और स्टैंडर्ड उच्च होते हैं, उसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाती है। इसलिए यहां से निकलने वाली नर्सों की डिमांड होगी। लेकिन नर्सों की मानक सैलरी और रोजगार के अवसर को बढ़ाने को लेकर योजना का पालन होना चाहिए। नर्सिंग काउंसिल को इसे लेकर प्लानिंग करने के साथ ध्यान देना होगा।

छात्रों को फायदा, नौकरी की योजना बनाएं- नर्स फेडरेशन

ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्स फेडेरेशन की महासचिव जीके खुराना ने बताया कि केंद्र की यह घोषणा अच्छी है, इससे सबसे ज्यादा फायदा गरीब व आर्थिक वर्ग के उन छात्रों को मिलेगा, जो प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज में मोटी फीस देकर नहीं पढ़ाई कर पाते हैं। ट्रेंड और स्किल लेवल पर तो बेहतर नर्सें तैयार होंगी। केंद्र सरकार ने जरूर यह घोषणा कि है, इससे ट्रेंड नर्सों की संख्या भी बढ़ेगी, लेकिन उनके रोजगार को लेकर कोई योजना नहीं बनाई गई है। आज भी निजी अस्पतालों में नर्सों को बहुत कम सैलरी मिलती है। फेडरेशन ने वेतन विसंगति को लेकर सुप्रीट कोर्ट तक गुहार लगाई थी, इसके बाद इसके लिए बनाए गए आयोग ने नर्सों की सैलरी को लेकर गाइडलाइन तय की गई। इसके बाद भी उसका पालन नहीं किया जा रहा है। इस कम वेतन के कारण ही डेढ़-दो साल यहां काम करने के बाद ट्रेंड नर्सें विदेश अच्छे पैकेज में चली जाती हैं, यह गलत भी नहीं है।

विदेशों में भारतीय नर्सों की बहुत डिमांड हैं, लेकिन जाने वालों की संख्या बहुत ही कम है। अधिकतर नर्सिंग छात्र पढ़ाई पूरा करने के बाद भी बेरोजगार हैं। इसे लेकर सरकार को योजना बनाते हुए मानक वेतन देने का पालन सख्ती से कराना चाहिए।

ऑल इंडिया रजिस्टर्ड नर्सेज फेडरेशन के अध्यक्ष सूरज गुप्ता का कहना है कि 157 मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज खोलने की पहल ठीक है, लेकिन शासन को रोजगार उपलब्धता को लेकर योजना बनानी चाहिए। निजी अस्पतालों में नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले ट्रेंड नर्सों को नौकरी में प्राथमिकता देनी चाहिए। आज भी कई निजी अस्पतालों में नर्सों को वेतन 5 से 8 हजार रुपए दिया जा रहा है। हम संगठन की तरफ से लगातार शासन के सामने नर्सों के लिए रोजगार और सही वेतनमान देने की मांग उठाते रहे हैं।

2024 भारत में चाहिए 42 ट्रेंड नर्स, अभी सिर्फ 24 लाख ही

डब्ल्यूएचओ की पिछले साल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आबादी को देखते हुए 2024 तक करीबन 42 लाख ट्रेंड नर्सों की जरूरत है। अभी देश में एक हजार लोगों पर के अनुपात में 1.7 नर्स मौजूद हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रति हजार पर 4 नर्स होना चाहिए। भारत में इंडियन नर्सिंग काउंसिल की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक अभी 24,71222 रजिस्टर्ड नर्सें हैं।