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हुबली-धारवाड़ के ईदगाह मैदान में ही मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी का उत्सव, कर्नाटक हाईकोर्ट ने दी अनुमति

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हुबली-धारवाड़ ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी उत्सव की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने हुबली ईदगाह में गणेश उत्सव की मंजूरी देते हुए कहा है कि वहां पर गणेश चतुर्थी मनाई जा सकती है।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 31 Aug 2022 12:23 AM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2022 08:01 AM (IST)
ईदगाह मैदान में ही मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी का उत्सव

बेंगलुरु, एजेंसियां: कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार देर रात हुई सुनवाई में धारवाड़ नगर आयुक्त के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें हुबली ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव आयोजित करने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह संपत्ति धारवाड़ नगरपालिका की है। अंजुमन-ए-इस्लाम 999 साल की अवधि के लिए एक रुपये प्रति वर्ष के शुल्क पर केवल एक पट्टा धारक था। नगर आयुक्त के आदेश को अंजुमन-ए-इस्लाम ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हुबली-धारवाड़ नगर निगम ने यहां ईदगाह मैदान में गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति देने का फैसला किया था। यह निर्णय निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ चली लंबी बैठक के बाद सोमवार देर रात लिया गया था।

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कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि उक्त संपत्ति प्रतिवादी की है और इसका इस्तेमाल नियमित गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। इससे पहले मंगलवार को दिन में सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया और दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि गणेश चतुर्थी की पूजा कहीं और की जा सकती है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने कहा, 'हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष रिट याचिका लंबित है और सुनवाई की तिथि 23 सितंबर निर्धारित है। सभी सवाल या मुद्दे हाई कोर्ट में उठाए जा सकते हैं। इस बीच दोनों पक्ष यथास्थिति बनाए रखेंगे। लिहाजा विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया जाता है।'

शीर्ष अदालत ने इस मामले पर अपने नियमित समय के बाद करीब दो घंटे तक सुनवाई की। इस मामले पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया के बीच मतभिन्नता होने की वजह से प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित ने मामला जस्टिस बनर्जी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ को संदर्भित किया था। सुनवाई के दौरान कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने कहा कि पिछले 200 साल में ईदगाह मैदान पर ऐसे धार्मिक उत्सवों का आयोजन नहीं हुआ। इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि मैदान किसका है, राज्य सरकार का या फिर वक्फ बोर्ड का? कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राजस्व अधिकारी के हवाले से बताया कि इस मैदान पर मालिकाना हक राज्य सरकार का ही रहा है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 26 अगस्त को राज्य सरकार को बेंगलुरु में चामराजपेट स्थित ईदगाह मैदान का इस्तेमाल करने की मांग से संबंधित बेंगलुरु के उपायुक्त (शहरी) को मिले आवेदनों पर विचार करने और उचित आदेश पारित करने की अनुमति दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने बुधवार और गुरुवार को ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव की अनुमति दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानेंगे, लेकिन कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे: सिटीजन फोरम

ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी मनाने के इच्छुक चामराजपेट सिटीजन फोरम ने मंगलवार को कहा कि वे निराश हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानेंगे और मैदान पर मालिकाना हक के मुद्दे पर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। फोरम ने कहा कि वे इस बार गणेश प्रतिमा कहीं और स्थापित कर लेंगे और उस दिन का इंतजार करेंगे जब इसी मैदान पर गणेश प्रतिमा स्थापित कर सकेंगे। कर्नाटक स्टेट बोर्ड आफ औकाफ के चेयरमैन मौलाना सफी सादी ने नई दिल्ली में कहा कि कर्नाटक के मुस्लिम गणेश उत्सव के विरोधी नहीं हैं, लेकिन ईदगाह वक्फ की संपत्ति है जहां 200 साल से मुस्लिम नमाज पढ़ते रहे हैं।


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