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किसान आंदोलन: बंद पड़ी दिल्ली की सीमा खोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने 43 किसान संगठनों को जारी किया नोटिस

कोर्ट ने तमाम किसान संगठनों को नोटिस जारी कर दिया है। हरियाणा सरकार ने अर्जी दाखिल कर 43 किसान संगठनों के पदाधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है। इस मामले पर अदालत अब 20 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 02:27 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 02:42 PM (IST)
किसान आंदोलन: बंद पड़ी दिल्ली की सीमा खोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने 43 किसान संगठनों को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली, माला दीक्षित। किसान आंदोलन के चलते बाधित पड़ी दिल्ली की सीमा खोलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है। बता दें कि किसान आंदोलन के चलते यूपी और हरियाणा को दिल्ली से जोड़ने वाली सड़कें बंद पड़ी हैं, जिसको खुलवाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई थी। अब इसपर कोर्ट ने तमाम किसान संगठनों को नोटिस जारी कर दिया है। हरियाणा सरकार ने अर्जी दाखिल कर 43 किसान संगठनों के पदाधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है। इस मामले पर अदालत अब 20 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।

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वहीं, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत की याचिका पर सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं नहीं होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता। सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा कि क्या किसी मामले के अदालत में लंबित रहने के दौरान विरोध प्रदर्शन जारी रखा जा सकता है। क्या विरोध प्रदर्शन का अधिकार पूर्ण अधिकार है। बता दें कि किसान महापंचायत की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जंतर मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत मांगी गई है। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा हम इस पर विचार करेंगे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा रखी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, 'हमने कानूनों के अमल पर रोक लगा रखी है। केंद्र ने भी कहा है कि वह फिलहाल उन्हें लागू नहीं करना चाहता। फिर विरोध किस बात का करना चाहते हैं?' सुप्रीम कोर्ट ने इसी दौरान कहा कि मामला लंबित रहते याचिकाकर्ता विरोध प्रदर्शन कैसे कर सकता है। आप जल्द सुनवाई के अनुरोध कर सकते हैं। वहीं, किसानों की तरफ से वकील ने कहा कि हम सिर्फ कानून का विरोध नहीं कर रहे। और भी मांगें हैं।


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