प्राइम टीम, नई दिल्ली। बीते कुछ समय में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में लोगों की बचत का अनुपात कम हुआ है और कर्ज का बढ़ा है। यही नहीं, कर्ज बढ़ने की सालाना दर बचत बढ़ने की दर की तुलना में लगभग तीन गुना रही है। इसका एक प्रमुख कारण तो यह है कि लोगों ने रियल एस्टेट जैसे फिजिकल एसेट में ज्यादा पैसे लगाए हैं। वैसे, 2023-24 में यह ट्रेंड बदलने का अनुमान है। यानी बचत दर बढ़ेगी और कर्ज वृद्धि की दर कम होगी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) लोगों की बचत को तीन श्रेणी में बांटता है- फाइनेंशियल ऐसेट, फिजिकल एसेट (जिसमें मुख्य रूप से रियल स्टेट होता है) और सोना-चांदी। एनएसओ के नए आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में फिजिकल एसेट यानी रियल स्टेट के माध्यम से होने वाली बचत जीडीपी का 12.9% थी। उसके बाद फाइनेंशियल ऐसेट 5.3% और सोना-चांदी 0.2% थी।

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स रिसर्च के मुताबिक, महामारी से पहले लोगों की (हाउसहोल्ड) बचत का औसत जीडीपी का 20.1% था। महामारी के ठीक बाद के साल में लॉकडाउन की वजह से खर्च कम होने के कारण यह बढ़कर 22.7% हो गया। लेकिन उसके बाद जब बाजार खुले तो लोगों का खर्च भी बढ़ा और बचत दर 2022-23 में जीडीपी का 18.4% रह गई। कुल घरेलू (डोमेस्टिक) बचत में हाउसहोल्ड बचत 60% है।

लोग कहां लगा रहे हैं बचत का पैसा

सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने 8 मई को एक कार्यक्रम में कहा था, “हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग्स 2022-23 में कम रही और इसे लेकर चिंता जताई जा रही है। कहा गया कि लोग कम पैसे बचा रहे हैं। लेकिन वास्तव में पोर्टफोलियो बदला है। लोग अपनी बचत को रियल एस्टेट में लगा रहे हैं। उससे पहले अप्रैल में भी एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही थी।”

नागेश्वरन की बात इस रिपोर्ट से भी साबित होती है। महामारी के बाद लोगों ने अपनी बचत का रियल एस्टेट में काफी निवेश किया। यह 2020-21 में जीडीपी के 10.5% तक गिरने के बाद बढ़कर 12.2% हो गया। 2020-21 से 2022-23 के दौरान रियल एस्टेट में बचत हर साल 17.5% बढ़ी।

वित्त वर्ष 2020-21 में लोगों की बचत का लगभग 60.1% रियल एस्टेट में था। तब उनकी नेट फाइनेंशियल सेविंग यानी शुद्ध वित्तीय बचत 38.8% थी। 2022-23 में रियल एस्टेट का हिस्सा बढ़कर 70.2% हो गया जबकि नेट फाइनेंशियल सेविंग घट कर 28.5% पर आ गई। होम लोन रेट में कमी, रियल एस्टेट पर रिटर्न में वृद्धि और कुछ राज्यों में स्टांप ड्यूटी कम करने की वजह से रियल एस्टेट में लोगों का निवेश बढ़ा।

बैंकों का रिटेल कर्ज 2023-24 में 17.7% बढ़ा, हालांकि 2022-23 के 21% की तुलना में इसमें कमी आई है।

रियल एस्टेट में निवेश करना लोगों ने पिछले वित्त वर्ष में भी जारी रखा। क्रिसिल रिसर्च के अनुसार देश के 10 बड़े शहरों में आवासीय रियल एस्टेट की बिक्री 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 9% बढ़ी, लेकिन 2022-23 और 2023-24 में इसमें लगभग 20% वृद्धि हुई है।

प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक के अनुसार वर्ष 2023 में देश के सात बड़े शहरों में 4.77 लाख यूनिट घरों की बिक्री हुई, जो एक साल पहले की तुलना में 31% ज्यादा है। जनवरी-मार्च 2024 में भी इन शहरों में घरों की बिक्री 14% बढ़ी है।

रिपोर्ट के अनुसार, फाइनेंशियल सेविंग्स में बैंक डिपॉजिट पारंपरिक रूप से लोगों का पसंदीदा इंस्ट्रूमेंट रहा है। हालांकि दूसरे इंस्ट्रूमेंट में रिटर्न ज्यादा मिलने के कारण महामारी के बाद ग्रॉस फाइनेंशियल सेविंग्स यानी सकल वित्तीय बचत का हिस्सा कम हुआ है। महामारी के बाद महंगाई भी बढ़ी, शायद इसलिए भी लोगों ने ज्यादा रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट का रुख किया। एक और तथ्य यह है कि महामारी के बाद लोग अपने पास ज्यादा नकद राशि भी रखना चाहते हैं।

कर्ज में तेजी से हुई वृद्धि

क्रिसिल के अनुसार, लोगों का कर्ज 2022-23 में जीडीपी के 5.8% पर पहुंच गया। यह वैश्विक वित्तीय संकट के बाद सबसे अधिक है। महामारी से पहले एक दशक का औसत सिर्फ 3.4% था। 2020-21 से 2022-23 तक सकल वित्तीय बचत 10.3% सालाना की दर से बढ़ी, लेकिन लोगों का कर्ज 30.1% की दर से बढ़ा। हालांकि शुद्ध वित्तीय बचत सिर्फ 2.2% सालाना की दर से बढ़ी। देनदारी बढ़ने के कारण फाइनेंशियल बचत में भी कमी आई। यह जीडीपी का 5.3% रह गई, जबकि महामारी से पहले के दशक का औसत 7.6% था।

कर्ज में वृद्धि का एक कारण तो यह है कि 2017-18 से रिटेल क्रेडिट तेजी से बढ़ा। हालांकि इसके बढ़ने की दर 2019-20 और 2020-21 में थोड़ी कम हुई, लेकिन उसके बाद बैंकों तथा एनबीएफसी के जोर देने से इसमें फिर तेज वृद्धि हुई। नई एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों के आने से लोगों के लिए कर्ज लेना आसान हुआ। बैंकों की बैलेंस शीट बेहतर होने के कारण क्रेडिट की सप्लाई भी बढ़ी।

कुल रिटेल कर्ज 2016-17 में जीडीपी का 12.1% था। यह 2022-23 में बढ़कर 19.4% हो गया। बैंकों का रिटेल कर्ज जीडीपी के 10.5% से बढ़कर 15.5% और एनबीएफसी का 1.6% से बढ़कर 3.9% हुआ है। वर्ष 2023-24 में कुल रिटेल कर्ज जीडीपी के 23% तक पहुंच जाने का अनुमान है।

रिटेल कर्ज में क्रेडिट कार्ड जैसे शॉर्ट टर्म और ऑटो तथा होम लोन जैसे लॉन्ग टर्म दोनों कर्ज में वृद्धि हुई है। हालांकि हाल के वर्षों में गिरावट के बावजूद लंबी अवधि वाले सिक्योर्ड कर्ज का हिस्सा अब भी काफी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2016-17 में बैंकों के रिटेल लोन में होम लोन 53.1% था जो 2023-24 में 47.4% रह गया है। दूसरी तरफ ऑटो लोन का हिस्सा 10.5% से बढ़कर 12% और क्रेडिट कार्ड का हिस्सा भी 3.2% से बढ़कर 5.2% हुआ है। अन्य कर्ज का अनुपात 23.2% से बढ़कर 27.7% हो गया है। वित्त वर्ष 2021 से 2024 के दौरान होम लोन बढ़ने की दर 14.5%, ऑटो लोन की 15%, एजुकेशन लोन की 11.6%, क्रेडिट कार्ड की 21.3% और अन्य लोन की 18.5% रही है।

युवाओं में क्रेडिट की डिमांड ज्यादा

सेंटर फॉर एडवांस्ड फाइनेंशियल रिसर्च एंड लर्निंग (CAFRAL) की इंडिया फाइनेंस रिपोर्ट 2023 के अनुसार एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों के कारण युवाओं में क्रेडिट की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ी है। एनबीएफसी और फिनटेक ने 70% कर्ज 35 साल से कम उम्र के लोगों को दिए हैं। 2015 से 2021 के दौरान इस वर्ग को इनका कर्ज दोगुना हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार युवा महंगे आइटम के बजाय व्यक्तिगत इस्तेमाल की चीजें खरीदने के लिए अधिक लोन लेते हैं। नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से एनबीएफसी या फिनटेक के लिए यह समझना आसान हुआ है कि किसी व्यक्ति की कर्ज लेने की क्षमता कितनी है।

फिनटेक कंपनियों के आसानी से कर्ज देने के कारण महामारी के बाद अनसिक्योर्ड लोन तेजी से बढ़ा। अनसिक्योर्ड लोन (पर्सनल और क्रेडिट कार्ड से खर्च) में जोखिम को देखते हुए आरबीआई ने नवंबर 2023 में बैंकों और एनबीएफसी का रिस्क वेटेज 100% से बढ़ाकर 125% कर दिया था। यानी इस तरह के कर्ज के बदले बैंकों-एनबीएफसी को ज्यादा रकम रिजर्व में रखना पड़ रहा है। इसका मकसद यह होता है कि अगर ये लोन एनपीए बनते हैं तो बैंक उसे झेलने की मजबूत स्थिति में होंगे।

इसके बावजूद कई महीने तक अनसिक्योर्ड लोन में तेज वृद्धि जारी रही। क्रेडिट कार्ड से होने वाला ट्रांजैक्शन नवंबर के 1.61 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बढ़ कर जनवरी 2024 में 1.66 लाख करोड़ रुपये हो गया था। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर-दिसंबर 2023 में बड़े बैंकों के कुल कर्ज में अनसिक्योर्ड कर्ज 9.3% था। एक तिमाही पहले यह 9.2% था।

आईसीआईसीआई डायरेक्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 की दूसरी तिमाही में बैकों का अनसिक्योर्ड लोन एक साल पहले की तुलना में 34% और एनबीएफसी का 50% बढ़ा था। सभी बड़े बैंकों के अनसिक्योर्ड रिटेल लोन सालाना आधार पर 20-60 प्रतिशत तक बढ़े।

2023-24 के लिए अनुमान

बीते वित्त वर्ष के लिए सरकारी आंकड़े अभी आने हैं। क्रिसिल का अनुमान है कि हाउसहोल्ड बचत 2023-24 में बढ़ी है और कर्ज का अनुपात कम हुआ है। कुल घरेलू बचत 2022-23 के 10.7% की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ने का अनुमान है। सकल वित्तीय बचत बढ़ने के भी संकेत हैं। इसमें बड़ा हिस्सा बैंक डिपॉजिट का होता है और वह 2023-24 में 13.5% बढ़ा है। एक साल पहले इसमें 9.6% वृद्धि हुई थी। बैंक डिपॉजिट में वृद्धि, नॉमिनल जीडीपी में 9.1% वृद्धि की तुलना में भी अधिक है। रेपो रेट बढ़ना डिपॉजिट बढ़ने का एक प्रमुख कारण हो सकता है।

बीते वर्षों की तुलना में म्यूचुअल फंड में लोगों का निवेश भी 2023-24 में ज्यादा तेजी से बढ़ा है। 2023-24 में एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में करीब 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ जबकि 2022-23 में 1.55 लाख और 2019-20 में सिर्फ एक लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। शेयर बाजार में लगातार तेजी ने निवेशकों को आकर्षित किया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, होम लोन और ऑटो लोन में वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं, लेकिन अनसिक्योर्ड लोन का लगातार बढ़ना चिंता पैदा करता है। चिंता इस कारण और बढ़ जाती है कि युवा इस श्रेणी के लोन ज्यादा ले रहे हैं। अगर उन्होंने समय पर कर्ज नहीं लौटाया तो उनकी क्रेडिट रेटिंग खराब हो सकती है, जिससे आगे चलकर उन्हें लोन पर घर या गाड़ी खरीदने में परेशानी हो सकती है।