स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। प्रिंट और टीवी समेत सभी मास मीडिया में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध के चलते तंबाकू कंपनियां अब सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रचार में जुट गई हैं। इसके साथ ही, क्रिक्रेट और फुटबॉल जैसे लोकप्रिय खेल टूर्नामेंट के दाैरान भी ये कंपनियां सेरोगेट एडवरटाइजिंग के जरिए युवाओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। गैर-सरकारी संस्था वाइटल स्ट्रैटेजीज के एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है।

वाइटल स्ट्रैटेजीज के मीडिया मॉनिटरिंग सिस्टम, द टोबैको एनफोर्समेंट एंड रिपोर्टिंग मूवमेंट (टीईआरएम) ने भारत, इंडोनेशिया और मैक्सिको में तंबाकू कंपनियों की गतिविधियों की निगरानी की। इसमें सामने आया कि तंबाकू कंपनियों ने फीफा विश्वकप के दौरान इंडोनेशिया में लिमिटेड-एडिशन वर्ल्ड कप सिगरेट पैक तैयार किए। सेरोगेट एडवरटाइजिंग के लिए फुटबॉलर लियोनेल मेसी के स्टारडम का भारत में उपयोग किया गया और मेक्सिको में ई-सिगरेट की बिक्री का प्रचार किया गया।

फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 15 सितंबर, 2022 और 31 दिसंबर, 2022 के बीच सार्वजनिक रूप से उपलब्ध पोस्ट से इंडोनेशिया, भारत और मैक्सिको में तंबाकू की मार्केटिंग के 354 उदाहरण मिले।

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है और तंबाकू कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं। इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल का उदहारण देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 सीजन में पान मसाला, ज़र्दा और गुटखा बेचने वाली तंबाकू कंपनियां टूर्नामेंट की छठी सबसे बड़ी विज्ञापनदाता थीं। 2020 सीजन में दो टीमों को तंबाकू कंपनियों के गैर तंबाकू ब्रांड्स ने प्रायोजित किया था। फीफा विश्वकप के दौरान देश में एक बीड़ी कंपनी ने "मेसी बीड़ी" श्रृंखला का प्रचार किया, जिसके पैकेट पर मेसी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था।

हाल ही में भारत के सात राज्यों दिल्ली, असम, गोवा, हरियाणा, दिल्ली, असम, गोवा, हरियाणा, दिल्ली, असम, गोवा, हरियाणा में पांच संगठनों की ओर से किए गए अध्ययन में भी सामने आया था कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध के बावजूद ये ई-सिगरेट तंबाकू की दुकानों में आसानी से उपलब्ध हैं और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बेची जा रही हैं। वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया, वॉयस, नाडा इंडिया, नेशनल लॉ स्कूल यूनिवर्सिटी इंडिया, बैंगलोर ने यह अध्ययन किया था।

वाइटल स्ट्रैटेजीज में ग्लोबल पॉलिसी एंड रिसर्च की वाइस प्रेसिडेंट नंदिता मुरुकुतला कहती हैं, प्रचार के पारंपरिक चैनलों ने तंबाकू का विज्ञापन करना बंद कर दिया है, ऐसे में तंबाकू कंपनियों ने अपने उत्पादों को खेल, खासतौर पर फुटबॉल से जोड़ने और युवाओं से सीधा संपर्क साधने के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर उपयोग किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तंबाकू का प्रचार कर युवाओं को न सिर्फ गुमराह किया जा रहा है, बल्कि उन्हें इनका आदी बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

मुरुकुतला ने कहा कि सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों को एक साथ इन हानिकारक उत्पादों के प्रचार पर अंकुश लगाना चाहिए। साथ ही स्पोर्ट्स टीमों और इसके खिलाड़ियों को तंबाकू विज्ञापनों और इसके झूठे दावों से खुद को दूर करने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए।

वाइटल स्ट्रैटेजीज़ इंडिया के दक्षिण एशिया, पॉलिसी एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन की एसोसिएट डायरेक्टर वैशाखी मलिक ने कहा, तंबाकू के प्रचार पर फीफा का प्रतिबंध एक अच्छा कदम है, लेकिन अभी भी सख्त प्रावधानों की जरूरत है। फीफा, फुटबॉल से जुड़ी हस्तियों और विश्व कप से संबंधित उद्योगों को सख्ती से और स्पष्ट रूप से तंबाकू उद्योग और युवाओं को बहकाने वाले विज्ञापनों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। इसके अलावा भारत को तंबाकू की ऑनलाइन मार्केटिंग को रेगुलेट करने के लिए कानून को और भी मजबूत बनाना चाहिए।