असम से संदीप राजवाड़े की ग्राउंड रिपोर्ट

बचपन को जीवन के सबसे सुहाने दिन कहा जाता है, लेकिन अगर पढ़ने-खेलने की उम्र में ही गोद में बच्चा आ जाए तो वह जिंदगी का सबसे बड़ा संत्रास भी बन सकता है। वैसे तो देश में आज भी 20 फीसदी से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह होता है, लेकिन असम शीर्ष 5 राज्यों में है। यहां हर तीसरी बालिका ‘वधू’ बनती है। अनेक मां-बाप 13-14 साल की उम्र में ही बेटियों की शादी कर देते हैं। इस वजह से यह राज्य मातृ मृत्यु दर में देश में सबसे ऊपर और शिशु मृत्यु दर में तीसरे स्थान पर है। हालात बदलने के लिए राज्य सरकार ने कठोर कार्रवाई की और सिर्फ तीन माह में 3098 लोगों पर पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारियां कीं। हालांकि इस कार्रवाई पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ऐतराज जताते हुए कहा कि बाल विवाह मामले में पॉक्सो एक्ट लगाना सही नहीं है। आखिर क्या कारण है कि मां-बाप खुद अपनी बेटियों को अंधकार भरी जिंदगी की ओर धकेल देते हैं, इसे समझने के लिए जागरण प्राइम ने असम के चार जिलों का दौरा किया। पेश है ग्राउंड रिपोर्ट…

परंपरा और सोच के कारण बाल विवाह

जागरण प्राइम टीम गुवाहाटी, दरांग, बारपेटा, उदलगुरी जिलों के कई गावों में गई। हमने पाया कि अधिकतर मामलों में परिवार ने ही नाबालिग बेटियों का विवाह उनसे उम्र में काफी बड़े व्यक्ति से करा दिया था। स्थिति यह है कि 13-14 साल की होते-होते लड़कियों की शादी कर दी जाती है और 14-15 की उम्र में वे मां बन जाती हैं। इनमें से अधिकतर तो शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित भी नहीं हो पाती हैं। ज्यादातर बाल विवाह गरीबी और घर का बोझ कम करने के नाम पर होते हैं। कुछ लोग परंपरा के नाम पर ऐसा कर रहे हैं, तो कुछ की सोच है कि बेटियां जितनी जल्दी शादी कर ससुराल चली जाएं उतना अच्छा। जिन जिलों बाल विवाह ज्यादा हो रहे हैं, वहां अशिक्षा और गरीबी तो है ही, लोगों में जागरूकता की भी कमी है। ऐसे मामले भी मिले जहां इलाज के नाम पर पिता ने 9 साल की बेटी को बेच दिया।

असम शासन से मिले आंकड़ों के अनुसार फरवरी में ही बाल विवाह के 4235 मामले दर्ज किए गए और 3 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मार्च तक गिरफ्तारी का आंकड़ा 3141 हो चुका था। अब भी नाबालिग से विवाह करने वाले करीब साढ़े तीन हजार आरोपियों की तलाश की जा रही है। सरकार इसे बाल विवाह पर अंकुश लगाने की पहल बता रही है तो एक वर्ग सख्त कार्रवाई का विरोध भी कर रहा है।

पॉक्सो एक्ट में हो रही गिरफ्तारी

असम सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए फरवरी से अभियान चला रखा है। उसने सख्ती बरतते हुए 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। इसके अलावा, 14 से 18 साल की उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत केस दर्ज किया जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि असम में मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दर अधिक है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बाल विवाह है। इसे कम करने के लिए ही यह कार्रवाई की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी दुबे कहते हैं कि सरकार कानून के अनुसार काम कर रही है। कानून का पालन सबको करना चाहिए। कानून ने शादी के लिए एक उम्र तय की है जिसका पालन किया जाना चाहिए।हालांकि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बाल विवाह के नाम पर बड़े स्तर पर हो रही गिरफ्तारी को लेकर फटकार लगाते हुए कहा कि सभी आरोपियों की पॉक्सो एक्ट जैसी धाराओं के तहत गिरफ्तारी सही नहीं है। मिले आंकड़ों के अनुसार 3141 गिरफ्तारियों में से 3098 के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धाराएं लगाई थीं। इनमें से 60 फीसदी लोगों को जमानत मिल चुकी है।

25 जिलों में बाल विवाह दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा

असम शासन के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक बाल विवाह वाले 5 जिलों में चार मुस्लिम बहुल हैं। इनमें धुबरी (बाल विवाह 50.8%), साउथ शालमारा- मनकछार (44.7%), दरांग (42.8%), नगांव (42.6%) और गोआलपारा (41.8%) शामिल हैं। इनमें नगांव को छोड़ बाकी चार जिलों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। बाकी जिलों में भी बाल विवाह की दर ज्यादा है, वहां कुछ में मुस्लिम तो कुछ में हिंदू जनसंख्या अधिक है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार नेशनल चाइल्ड मैरिज का ट्रेंड 23.3 है, जबकि असम के 33 में 25 जिलों में बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से 150 से 200 फीसदी ज्यादा है। सर्वेक्षण के अनुसार असम में 18 की उम्र से पहले शादी का आंकड़ा 31.8 फीसदी है। यहां सर्वे के दौरान 15 से 19 आयु की 13.6 फीसदी लड़कियां गर्भवती पाई गई थीं। राज्य में एक साल की उम्र तक शिशु मृत्यु दर 31.9 फीसदी है। यहां मातृ मृत्यु दर 195 (प्रति एक लाख पर) है जो देश में सबसे ज्यादा है। शिशु मृत्यु दर में असम तीसरे स्थान पर है।

भारत में हर साल 15 लाख बाल विवाह- यूनिसेफ

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार भारत में बाल विवाह वाले टॉप 5 राज्यों में चार पूर्व और पूर्वोत्तर के हैं। बाल विवाह का राष्ट्रीय औसत 23.3% है। इसकी तुलना में पश्चिम बंगाल में यह 41.6%, बिहार में 40.8%, त्रिपुरा में 40.1%, झारखंड में 32.5%, असम में 31.8%, आंध्र प्रदेश में 29.3%, राजस्थान में 25.4%, तेलंगाना में 23.5% और अरुणाचल प्रदेश में 18.9% है। यूनिसेफ की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 15 लाख नाबालिगों की शादी 18 की उम्र के पहले कर दी जाती है, जो कुल शादियों का 16 फीसदी है।

ग्राउंड रिपोर्ट 1 - जिला बारपेटा

सिर्फ 15 की उम्र में मां बनी

गुवाहाटी से करीब 100 किमी दूर बारपेटा की जनिया तहसील के एक गांव में जागरण प्राइम टीम पहुंची। (नाबालिग की पहचान उजागर न हो, इसलिए गांव का नाम नहीं लिख रहे)। शादीशुदा नाबालिग सुल्ताना (बदला हुआ नाम) की गोद में एक महीने का बच्चा है। एक साल पहले 14 साल की उम्र में उसकी शादी घरवालों ने उससे 11 साल बड़े युवक से कर दी थी। परिजन बताते हैं कि सुल्ताना के दादाजी ने यह रिश्ता तय किया था और उनकी इच्छा के कारण शादी की गई थी। शादी के एक महीने बाद वह गर्भवती हो गई। पिछले माह उसने 8 महीने के प्री-मेच्योर शिशु को जन्म दिया। 15 साल की उम्र में मां बनी सुल्ताना शारीरिक रूप से कमजोर है।

जनिया तहसील में लंबे समय से बाल विवाह रोकने को लेकर काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता रफीकुल इस्लाम बताते हैं कि उस नाबालिग मां के अंदर वैसा भाव और वैसी ममता नहीं आ पा रही है, जो एक मां में आनी चाहिए। मां और बच्चा, दोनों शारीरिक रूप से कमजोर हैं। बच्चे का वजन सिर्फ 1.4 किलो है और उसकी हालात नाजुक है। शारीरिक रूप से विकसित न होने के कारण सुल्ताना बच्चे को स्तनपान भी नहीं करा पा रही है।

रफीकुल के अनुसार, फरवरी में शासन की कार्रवाई देख गर्भवती नाबालिग को ससुरालवाले मायके छोड़ गए थे। उन्हें गिरफ्तारी का डर था। काउंसिलिंग के दौरान पता चला कि ससुरालवाले बच्ची को टॉर्चर भी करते थे। बच्ची की उम्र को देखते हुए आशा कार्यकर्ताओं ने उसकी डिलीवरी सिटी अस्पताल में करवाई। अधिकतर मामलों में तो यही होता है कि नाबालिग की डिलीवरी परिवारवाले घर पर या किसी छोटे-मोटे निजी अस्पताल में करा देते हैं। 

रफीकुल ने बताया कि इस नाबालिग का पति हफ्तेभर पहले ही अपने गांव की 15 साल की दूसरी नाबालिग को लेकर भाग गया और उससे शादी कर ली। इसकी सूचना भी पुलिस में दर्ज कराई गई है। उनके परिवार में जैसे ही बच्ची 13-14 की उम्र की हुई, शादी कर देते हैं। इन लोगों का मानना है कि बेटी कहीं किसी के साथ प्रेम-प्रसंग में पड़कर न चली जाए। इसके अलावा, हर परिवार में 4-6 बच्चे हैं। गरीबी और अशिक्षा के कारण वे बड़ी बेटी की जल्दी शादी कर देते हैं, ताकि घर में एक सदस्य का खर्च या खाने का बोझ कम हो जाए। 

बारपेटा जिला चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर का प्रभार देख रहे असिस्टेंट कमिश्नर (एसीएस) दीपांकर कलिता ने बताया कि इस जिले में बाल विवाह के कई केस सामने आए हैं। लोगों में इसे लेकर लेकर जागरूकता नहीं है। यहां ऐसी नाबालिग बेटियां मिल जाएंगी जिनका विवाह 13-14 की उम्र हुआ और वे 15 की उम्र में मां बन गई।  लोगों को जागरूक करने का लगातार अभियान चलाया जा रहा है। यहां फरवरी में कार्रवाई के दौरान 174 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

ग्राउंड रिपोर्ट 2 - जिला उदलगुरी

गिरफ्तारी के डर से गर्भवती को मायके छोड़ा

उदलगुरी जिले का भूतनीडूबा मुस्लिम बहुल गांव है। जागरण प्राइम की टीम स्टेट चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसायटी के अधिकारियों के साथ यहां के कुछ घरों में गई। हमारी गाड़ी जैसे ही रजिया (बदला हुआ नाम) के घर के बाहर रुकी, पूरा परिवार बाहर आ गया। आसपास के घरों के लोग भी आ गए। समझाने पर रजिया के पिता हमें घर के अंदर ले गए। वहां 17 साल की रजिया गोद में एक महीने के बच्चे को लिए बैठी थी। वह बहुत कमजोर दिख रही थी। पिता ने बताया कि डेढ़ साल पहले 15 साल की उम्र में रजिया पास के गांव के एक युवक के साथ प्रेम-प्रसंग में घर से चली गई और उससे निकाह कर लिया। कुछ दिन दोनों कर्नाटक में थे। फरवरी में जब वे लौटे तो उसी समय असम सरकार की तरफ से कानूनी कार्रवाई शुरू की गई थी।

रजिया के पिता ने बताया कि दामाद ने गर्भवती बेटी को मायके में छोड़ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। तब से बेटी मायके में ही है और उसने यहीं बच्चे को जन्म दिया। दामाद को जमानत मिल गई है, लेकिन कोर्ट के आदेश के मुताबिक बेटी के 18 साल होने के बाद ही वे उसे ससुराल भेजेंगे।

हमारे साथ गए उदलगुरी और दरांग जिला चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर गौतम सहारिया ने बताया कि इस गांव में 5-6 ऐसी शादीशुदा नाबालिग हैं, जिन्हें उनके ससुरालवालों ने पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए मायके भेज दिया है। उनमें से कुछ के पति गिरफ्तार हो चुके हैं। नाबालिग लड़कियां चोरी-छिपे मायके में ही रह रही हैं। अब बाल विवाह करने पर जेल जाने का डर है, इसलिए हाल के दिनों यहां ऐसा कोई केस सामने नहीं आया है।

ग्राउंड रिपोर्ट 3 - जिला गुवाहाटी

शादीशुदा व्यक्ति ने नाबालिग से किया विवाह

गुवाहाटी जिले के एक गांव की 14 साल की दुर्गा (बदला हुआ नाम) अपनी आपबीती खुद सुनाती हैं। गुवाहाटी के नवजीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर में रह रही दुर्गा ने बताया कि माता-पिता पहले ही गुजर गए थे, घर पर वह बीमार दादी साथ में रहती थी। बड़ा भाई मजदूरी के लिए दूसरे शहर में रहता था। ऐसे में 10-11 साल की आयु में ही अपना और दादी का पेट भरने के लिए घरों में साफ-सफाई और बर्तन धोने का काम करने लगी। उसी दौरान पास रहने वाले 31 साल के एक शख्स से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। उसने मुझे भरोसा दिलाया कि वह मुझसे प्यार करता है और शादी करेगा। कुछ दिनों बाद उसने मंदिर में मुझसे शादी कर ली और अपने गांव लेकर गया, जहां उसका पूरा परिवार रहता था। वहां पहुंचने पर मुझे पता चला कि वह पहले से शादीशुदा है और उसका एक बच्चा भी है। मोहल्ले के लोगों ने ही चाइल्ड लाइन को फोन किया और मुझे वहां से निकाला। अब मैं यहां केंद्र में रहकर पढ़ाई कर रही हूं। मैंने इंसान पहचानने और कम उम्र में शादी कर जो गलती की, उसका पछतावा है। मेरी किस्मत अच्छी थी कि गांव वालों ने उस चंगुल से निकलने में मदद की, लेकिन हर नाबालिग के साथ ऐसा नहीं हो पाता है।

नवजीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर की इंचार्ज भनिता बरुवाह ने बताया कि सेंटर में रहने वाली 13 बच्चियों में बाल विवाह के बाद रेस्क्यू की गई नाबालिगों के साथ पॉक्सो मामले की पीड़िता भी हैं। यहां काउंसिलिंग के बाद उन्हें स्कूली शिक्षा के साथ रोजगारोन्मुखी ट्रेनिंग भी दी जाती है। यहां रहने वाली अधिकतर बच्चियां अब पढ़-लिखकर कुछ बड़ा बनना चाहती हैं।

ग्राउंड रिपोर्ट 4 - जिला बारपेटा

14 की उम्र में शादी, अब मायके में

असम के बारपेटा जिला की मंडिया तहसील का एक गांव। (नाबालिग की पहचान उजागर न हो, इसलिए गांव का नाम नहीं लिख रहे)। यहां 16 साल की मुस्कान (बदला हुआ नाम) घर के अंदर अपने नवजात बच्चे को गोद में लिए बैठी है। दो साल पहले जब मुस्कान 8वीं कक्षा में पढ़ रही थी, तब वह पास के एक गांव के 23 साल के युवक के प्रेम-प्रसंग में घर से चली गई। युवक ने उससे निकाह किया। डेढ़ साल बाद उसने बेटे का जन्म दिया। असम शासन की तरफ से फरवरी में चलाए गए ऑपरेशन के दौरान उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया था। दो महीने जेल में रहने के बाद वह जमानत पर है। कोर्ट की अनुमति न होने के कारण मुस्कान ससुराल नहीं जा सकती। तीन भाई-बहनों में वह सबसे बड़ी है।

मंडिया में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता को लेकर काम कर रहीं चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर रूमी ककापी बताती हैं, इस क्षेत्र में नाबालिगों की शादी आम बात है। लेकिन राज्य सरकार के अभियान के बाद लोगों में डर आया है। हालांकि उन्हें अब भी नाबालिग बेटी की चिंता नहीं, बल्कि गिरफ्तारी का डर ज्यादा है। यहां सामाजिक चलन के नाम पर नाबालिगों की शादी करा दी जाती है। कम उम्र में मां बनने से कई बार नाबालिग मां या शिशु की मौत हो जाती है।

ग्राउंड रिपोर्ट 5 - जिला गुवाहाटी

पिता ने 9 साल की बेटी को बुजुर्ग को बेच दिया

गुवाहाटी से लगे एक गांव की 15 साल की प्रेरणा (बदला हुआ नाम) को उसके पिता ने 9 साल की उम्र में एक बुजुर्ग को बेच दिया था। नवजीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर में रह रही प्रेरणा बताती है, पिता के पास अपना इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे तो उन्होंने मुझे दूर गांव के एक बुजुर्ग के साथ भेज दिया। बुजुर्ग मुझसे दिनभर घर का काम कराते थे। न भरपेट खाना देते, न घर से बाहर कहीं जाने देते थे। घर जाने की बात कहने पर कहते थे कि तुझे तेरे पिता ने बेच दिया है, अब यही तेरा घर है। एक महीने बाद मैं किसी तरह मौका पाकर वहां से भाग गई। दो दिन ट्रेन की पटरी पर चलते-चलते एक रेलवे स्टेशन पहुंची। स्टेशन पर एक व्यक्ति मिला। उसने मुझे खाना खिलाया और अपने साथ घर ले गया। उसके परिवार में पत्नी और बच्चे भी थे। मैं कुछ दिन उनके साथ ही रही। वे अच्छे लोग थे। उन्होंने मेरी पढ़ाई का भी इंतजाम भी किया। वहां कुछ समय रहने के बाद मुझे इस सेंटर में भेज दिया गया। अब मैं यहां रहकर पढ़ रही हूं। मैं बड़ी होकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती हूं।

पीड़ितों के लिए 200 करोड़ का फंड

जनजातीय कार्य विभाग के डायरेक्टर बिभास मोदी ने बताया कि बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार सिर्फ गिरफ्तारी नहीं कर रही, बल्कि जागरूकता फैलाने के साथ पीड़ितों के उत्थान के लिए 200 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा भी की गई है। मायके लौटने वाली बाल विवाह पीड़ित लड़कियों को 25 हजार रुपये की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। हर समाज व समुदाय के लोगों को साथ में जोड़ने के अलावा गांव के मुखिया, सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर, शिक्षक और जनप्रतिनिधि के साथ मीटिंग कर उन्हें लोगों को जागरूक करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि बाल विवाह की सूचना देने और उसे तत्काल रोकने के लिए हर पंचायत सचिव को चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर बनाया गया है। चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी को फंड दिया गया है कि वे लगातार ब्लॉक व गांव स्तर पर जागरूकता कैंप आयोजित करें। रेडियो, टीवी और अखबारों के जरिए भी जागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं। गांव-गांव में असमिया, बोडो, अंग्रेजी, बांग्ला और हिंदी भाषा में लगवाए गए हैं। इस विषय पर तेजपुर विश्वविद्यालय के जरिए स्टडी कराई जा रही है। पूरी पहल इसलिए की जा रही कि बाल विवाह रोका जाए। इसके रुकने से राज्य में मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दर दोनों कम होंगे।

अभियान से आएगी जागरूकता, मृत्यु दर कम होगी

असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व चैयरमैन सुनीता चांगकाकोटी ने बताया कि बाल विवाह लंबे समय से असम की बड़ी समस्या रही है। आयोग के पास अनेक मामले सामने आते रहे हैं। अनेक मामलों में बच्चियां शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होती हैं। कई केस में जन्म के बाद या उस दौरान मां या नवजात की मृत्यु हो जाती है। असम में गरीबी-अशिक्षा के साथ कुछ जगहों पर परंपरा और लड़कियों के साथ भेदभाव के कारण बाल विवाह ज्यादा हो रहे हैं। राज्य की तरफ से हाल में हुई कार्रवाई से लोगों में डर आया है। बाल विवाह पर अंकुश लगने से शिशु मृत्यु दर और मातृ मुत्यु दर को कम किया जा सकता है।

अभियान से आई जागरुकता, बाल विवाह पर अंकुश से कम होगी मातृ- शिुशु मृत्यु दर 

राज्य चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसायटी की सचिव (एसीएस) डॉ. प्रीति लेखा डेका ने बताया कि बाल विवाह को लेकर पिछले कुछ महीनों से हो रही कार्रवाई और जागरुकता अभियान के कारण लोग इसे गंभीरता से ले रहे हैं। राज्य में अब ऐसे कई गांव या जिले हैं, जहां बाल विवाह ज्यादा होते थे, वहां से कोई केस सामने नहीं आ रहे हैं। सभी जिलों व पंचायतों में चाइल्ड प्रोटेक्शन की टीम निगरानी के साथ लोगों को बाल विवाह रोकने को लेकर जोड़ रही है। इस पहल में हर धर्म-समुदाय के लोगों और उनके जनप्रतिनिधियों को जोड़ा जा रहा है। इस अभियान का मुख्य पहल राज्य में बाल विवाह रोकना और उससे होने वाली मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। नाबालिग बेटियों की शादी की बजाय उन्हें शिक्षित करना और रोजगारोन्मुखी ट्रेनिंग से जोड़ने को लेकर सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं।