प्राइम टीम, नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) से उसकी वित्तीय सेवा कंपनी जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (JFS) गुरुवार को अलग हो गई। शेयर बाजार के एक विशेष सत्र के जरिए जेएफएस की कीमत तय की गई, जो कि 261.85 रुपए/शेयर रही। इसके साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत पिछले बंद 2841.85 रुपए से घटकर 2580 रुपए प्रति शेयर रह गई। खबर लिखे जाने तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 1.20% बढ़कर 2,611.05 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरधारकों को हर शेयर के बदले जेएफएस का एक शेयर मिला है। ज्यादातर निवेशकों ने पहली बार इस तरीके से किसी शेयर का डिमर्जर देखा है, ऐसे में उनके मन में इससे जुड़े कई सवाल उठ रहे हैं। फाइनेंशियल प्लानिंग अकादमी के सह-संस्थापक और सीईओ कीर्तन शाह ने जागरण प्राइम के पाठकों के लिए ऐसे ही कई सवालों के जवाब दिए।

रिलायंस से किस कंपनी का डिमर्जर हुआ?

रिलायंस इंडस्ट्रीज कई तरह के कारोबार करती है, जैसे कि पेट्रोलियम, रिटेल, टेलीकॉम, मीडिया, और फाइनेंशियल सर्विसेज आदि। रिलायंस इंडस्ट्री की एक सब्सिडरी थी रिलायंस स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड, इसे ही रिलायंस इंडस्ट्रीज से अलग किया गया है। इसका नाम जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (जेएफएस) कर दिया गया है और समूह की सभी वित्तीय सेवाएं इस कंपनी के अधीन आ जाएंगी।

रिलायंस ने डिमर्जर क्यों किया?

रिलायंस का मैनेजमेंट अपने फाइनेंस बिजनेस का आक्रामक तरीके से विस्तार करना चाहता है। साथ ही इसे अलग कर सूचीबद्ध कराने से वैल्यू अनलॉक होने की भी पूरी उम्मीद है।

जेएफएस के शेयरों की कीमत कैसे तय हुई?

कल रिलायंस के शेयर की कीमत 2841.85 रुपए थी, जो कि रिलायंस के भीतर सभी कारोबारों के निहित मूल्य को दर्शाती है। इसमें से फाइनेंस बिजनेस को अलग करना था। फाइनेंस बिजनेस के शेयर की क्या कीमत होगी, यह बाजार पर छोड़ दिया गया था। इसके लिए शेयर बाजार में गुरुवार सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इसमें निवेशकों को तय करना था कि जियो फाइनेंस के अलग होने के बाद वे रिलायंस की क्या वैल्यू देखते हैं। निवेशकों ने 2580 रुपए प्रति शेयर कीमत लगाई। जिसके बाद कल के बंद भाव 2841.85 रुपए से यह कीमत (2580) घटाकर जेएफएस की कीमत 261.85 रुपए तय की गई।

क्या इससे पहले भी किसी शेयर का डिमर्जर इस तरह हुआ है?

इससे पहले सिर्फ एक बार साल 2006 में इस तरह डिमर्जर हुआ था। तब भी यह रिलायंस में ही हुआ था।

निफ्टी में रिलायंस का वेटेज सबसे अधिक है। तो क्या रिलायंस के दाम गिरने से निफ्टी में गिरावट आ जाएगी?

सूचकांकों पर किसी भी प्रभाव से बचने के लिए जेएफएस को निफ्टी पर 51 वें शेयर के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा और यह तय किया जाएगा रिलायंस+जेएफएस का वेटेज उतना ही रहे जो बुधवार शाम तक रिलायंस का था। अब रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्टॉक में कारोबार होगा और जेएफएस स्थिर रहेगा। रिलायंस में हलचल सामान्य दिनों की तरह निफ्टी पर ही असर डालेगी, क्योंकि जेएफएस स्थिर रहेगा।

क्या जेएफएस बिना सूचीबद्ध हुए ही निफ्टी का हिस्सा बना रहेगा?

नहीं, यह सिर्फ वैकल्पिक व्यवस्था है। जेएफएस को 3 दिनों के बाद सूचकांक से हटा दिया जाएगा और रिलायंस का वजन वापस समायोजित कर दिया जाएगा। यह उन सभी सूचकांकों में किया जाएगा जिनमें रिलायंस शामिल है।

डिमर्जर के कारण रिलायंस के F&O कॉन्ट्रैक्ट्स का क्या होगा?

रिलायंस के इक्विटी डेरिवेटिव अनुबंध रिकॉर्ड तिथि से एक दिन पहले समाप्त हो जाएंगे। इसका मतलब है कि जुलाई, अगस्त और सितंबर के लिए रिलायंस के F&O कॉन्ट्रैक्ट्स 19 जुलाई को समाप्त हो जाएंगे। एक्सचेंज 20 जुलाई से नए F&O कॉन्ट्रैक्ट्स पेश करेगा।

जेएफएस शेयर बाजार में कब सूचीबद्ध होगा?

माना जा रहा है कि अगले दो से तीन महीने में इस शेयर की लिस्टिंग हो सकती है। रिलायंस की एजीएम में इसे लेकर स्पष्टता आएगी।

तब तक जेएफएस के शेयर की कीमत क्या होगी?

चूंकि लिस्टिंग तक जेएफएस के शेयर की खरीदफरोख्त नहीं होगी, इसलिए इसकी कीमत 261.85 रुपए पर स्थिर रहेगी।

जेएफएस का फाइनेंस इंडस्ट्री पर किस तरह असर पड़ेगा?

माना जा रहा है कि रिलायंस फाइनेंस मार्केट में भी उसी तरह हलचल मचा सकती है, जैसा उसने टेलीकॉम, डेटा और रिटेल बिजनेस में किया। कंपनी पहले से विभिन्न सेगमेंट में फाइनेंस बिजनेस करती है। कंपनी का व्हाट्सऐप के साथ पेमेंट सर्विस का करार है। कंपनी के पास पेमेंट बैंक का लाइसेंस है। वह पहले से यूपीआई पेमेंट में है। जेएफएस कंज्यूमर क्रेडिट बिजनेस में उतर सकती है। यह अपने बड़े थोक व्यापार नेटवर्क का लाभ उठाने के लिए बी2बी क्रेडिट व्यवसाय स्थापित करने पर भी विचार कर सकती है। जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की एंट्री सबसे पहले फिनटेक को प्रभावित कर सकती है।