भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल अब भी अच्छे, बाजार स्थिर होने के बाद कम वैल्यूएशन पर मिल रहे शेयरों को खरीदने की सलाह
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही शेयर बाजार में उठापटक जारी है। मंगलवार को सेंसेक्स करीब 4500 अंक नीचे गिर गया तो बुधवार को इसमें 2300 अंकों की तेजी देखने को मिली। कोविडकाल में शेयर बाजार में पहली बार प्रवेश करने वाले निवेशकों के लिए यह पहला बड़ा झटका है। यहां से बाजार की चाल कैसी होगी निवेशकों को क्या करना चाहिए? बता रहे हैं विशेषज्ञ...
प्राइम टीम, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों के बाद शेयर बाजार में भारी उठापटक शुरू हो गई है। नतीजों के दिन यानी मंगलवार को तो सेंसेक्स करीब 4500 अंक नीचे गिर गया, जो अंकों के लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। वहीं, बुधवार को इसमें 2300 अंकों की तेजी देखने को मिली। कोविड काल में शेयर बाजार में पहली बार प्रवेश करने वाले निवेशकों के लिए यह पहला बड़ा झटका है। यहां से बाजार की चाल कैसी होगी? कौन-कौन से फैक्टर इसको प्रभावित करेंगे? कौन से सेक्टर में बेहतर ग्रोथ की उम्मीद है? इन सारे सवालों के जवाब दे रहे हैं शेयर बाजार के दिग्गज।
चुनाव के नतीजों में हुआ क्या?
सभी एग्जिट पोल अनुमानों के विपरीत भाजपा को 2024 के आम चुनावों में लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इसका अर्थ है, 10 साल बाद एक बार फिर गठबंधन की राजनीति केंद्र में वापस आ गई है। इसने शेयर बाजार को चिंतित कर दिया और फ्रंटलाइन सूचकांकों में 5-8% की गिरावट आ गई। बीते कुछ दिनों में अच्छी तेजी दर्ज करने वाले सेक्टरों जैसे कि इंडस्ट्रियल, पीएसयू, पावर और रियल एस्टेट में ज्यादा गिरावट देखने को मिली। जबकि आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और एफएमसीजी जैसे सेक्टर में अपेक्षाकृत कम गिरावट रही।
बाजार में चल रही तेजी-मंदी को सिर्फ एक शोर मानते हुए मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल के मुताबिक, फैक्ट यह है कि भाजपा अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है। फैक्ट यह है कि एनडीए के पास लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का जनादेश है। फैक्ट यह है कि आर्थिक सुधार जारी रहेंगे। और फैक्ट यह है कि पीएम मोदी की 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की महत्वाकांक्षा बरकरार है।
अग्रवाल के मुताबिक, निश्चित रूप से भारत की राजनीति कुछ हद तक अस्थिर हो गई है। हालाकि, अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत बनी हुई है। देश की जीडीपी वृद्धि 8.2% पर है। विदेशी मुद्रा भंडार 650 अरब डॉलर के आकर्षक स्तर पर है। महंगाई कम है और वैश्विक तेल की कीमतें नरम होती दिख रही हैं। आरबीआई से नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद है। इस साल मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है। यह सब फैक्टर सुनिश्चित करेंगे कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहे। इसका असर कंपनियों की आय पर भी दिखाई देगा जो शेयर बाजार के प्रमुख ड्राइवर्स में से एक है। ऐसे में निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपनी इंडिया पॉलिटिक्स रिपोर्ट में कहा है कि बहुमत में कमी के बावजूद उम्मीद है कि मोदी 2.0 का नीतिगत एजेंडा जैसे कि निवेश-आधारित विकास, पूंजीगत व्यय, बुनियादी ढांचे का निर्माण, विनिर्माण आदि कुछ बदलावों के साथ जारी रहेगा। यह भी उम्मीद है कि चुनाव के नतीजों को देखते हुए गांवों में तनाव को दूर करने के लिए कुछ लोकलुभावन उपाय किए जाएंगे। सरकार खपत को रिवाइव करने के उपाय, टैक्स में कुछ राहत और जीएसटी संरचना में सुधार करने का कदम उठा सकती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हालांकि इन सबके बावजूद व्यापक राजकोषीय अनुशासन अभी भी बनाए रखा जाएगा और दीर्घकालिक प्राथमिकताएं जैसे कि ग्रीन एनर्जी, बिजली में निवेश, पीएलआई आदि पर जोर जारी रहेगा। आरबीआई से उम्मीद से अधिक मिला लाभांश और ब्रेंट क्रूड की कीमतों में हाल ही में आई नरमी के चलते सरकार के पास इसकी गुंजाइश है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार की निगाह अब कैबिनेट खासकर वित्त, रक्षा, सड़क, ऊर्जा, वाणिज्य और रेलवे जैसे प्रमुख कैबिनेट विभागों के मंत्रियों पर होगी।
एचडीएफसी सिक्युरिटीज के इंस्टीट्यूशनल रिसर्च प्रमुख वरुण लोहचब भी मानते हैं कि एनडीए सरकार बनने और विकास को बढ़ावा देने वाला बजट पेश करने से निवेशकों की घबराहट दूर होगी। इससे बाजारों में स्थिरता लौटेगी। हालांकि, इनमें से किसी भी मोर्चे पर निराशा मिलने पर आगे तेज करेक्शन भी आ सकता है।
लोहचब कहते हैं, हम इस चुनाव नतीजों के चलते किसी भी आय में गिरावट की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। देश गठबंधन सरकारों के कार्यकाल में भी 6% से 8% तक की ग्रोथ रेट से बढ़ने में सक्षम रहा है।
देश के सबसे पुराने ब्रोकरेज हाउसेस में शुमार प्रभुदास लीलाधर के डायरेक्टर रिसर्च अमनीश अग्रवाल कहते हैं, हमारा मानना है कि एनडीए सरकार के पोर्टफोलियो आवंटन और भविष्य की नीतियां बाजार की चाल का एक प्रमुख निर्धारक होंगी। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भाजपा को लगा करारा झटका पीएसयू विनिवेश, जीएसटी, श्रम कानून, कृषि, रिटेल/ईकॉमर्स से संबंधित कठिन सुधारों को रोक सकता है।
आनंद राठी समूह के सह-संस्थापक और उपाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता कहते हैं, चुनाव परिणामों को लेकर बाजार में जो गिरावट आई, वह मुख्य रूप से एक्जिट पोल और वास्तविक परिणामों के बीच भारी अंतर के कारण रही। लेकिन, डेटा बताते हैं कि शुरुआती अस्थिरता के बावजूद, बाजार लंबी अवधि में ठीक हो जाते हैं और यहां तक कि फलते-फूलते भी हैं। उदाहरण के लिए, 2014 और 2019 के चुनावों के बाद भी, भारतीय शेयर बाजार ने चुनाव परिणामों के बाद के महीनों में ज्यादा तेजी देखी थी।
निवेशकों को विशेषज्ञों की सलाह
आनंद राठी समूह के सह-संस्थापक और उपाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता कहते हैं, निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करें। साथ ही विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो बनाएं और घबराहट में बिक्री करने से बचें। एचडीएफसी सिक्युरिटीज के इंस्टीट्यूशनल रिसर्च प्रमुख वरुण लोहचब ने कहा कि हम अस्थिरता से निपटने के लिए सावधानी बरतने और बॉटम-अप स्टॉक चुनने की सलाह देते हैं। हम फाइनेंशियल सेक्टर पर सकारात्मक बने हुए हैं, जो अच्छा रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो दिखा रहे हैं। कंज्यूमर स्टेपल, आईटी और फार्मा भी उचित मूल्यांकन पर दिख रहे हैं। जबकि इंडस्ट्रियल और चुनिंदा पीएसयू में अभी गिरावट जारी रह सकती है।