चुनावी चौपाल: गंगा स्वच्छता को सरकार ने किया ठोस उपाय, विपक्ष ने बनाया मुद्दा
दैनिक जागरण की ओर से शुक्रवार को हरिद्वार जिले के चंडीघाट स्थित नमामि गंगे गंगा घाट पर आयोजित चुनावी चौपाल में अतिथियों और तीर्थयात्रियों ने अपने विचार रखे।
हरिद्वार, जेएनएन। गंगा को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनाने के लिए भले ही 1985 में गंगा एक्शन प्लान में करोड़ों रुपये खर्च हुए, मगर जो कार्य और गंगा की सफाई की अपेक्षा थी वह पूरी नहीं हो सकी। मोक्षदायिनी गंगा को प्रदूषण मुक्त कर उसे वास्तव में अविरल और निर्मल गंगा बनाने के लिए हाल के चार पांच साल में नमामि गंगे के तहत केंद्र सरकार ने जो बीड़ा उठाया था, वह धरातल पर साकार होता नजर आ रहा है, गंगा स्वच्छता के लिए सरकार ने नमामि गंगे परियोजना को धरातल पर फलीभूत कर दिया।
आज जहां गंगा में गिरने वाले नाले नालियों और मानव मलमूत्र को रोकने के लिए एसटीपी, श्मशान घाट बनाकर गंगा के दामन को दृढ़ इच्छा से उज्जवल करने का काम द्रुत गति से चल रहा है। भले ही विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बना रहा हो पर, केंद्र सरकार ने काम के जरिये गंगा की निर्मलता की ओर ठोस कदम बढ़ाया है। गंगाजल का अब भी प्रदूषित रहना चिंता का विषय जरूर है पर, यह भी साफ है कि जो कार्य हो रहे उनके पूरा होते ही यह समस्या अपने-आप समाप्त हो जाएगी। यह बात और विचार चंडीघाट स्थित नमामि गंगे गंगा घाट पर दैनिक जागरण की ओर से शुक्रवार को नमामि गंगे परियोजना विषयक आयोजित चुनावी चौपाल कार्यक्रम में अतिथियों और देश के विभिन्न हिस्सों से आए तीर्थयात्रियों ने रखी।
कलकल बहती गंगा के साक्षात दर्शन और आचमन के लिए गंगा तट पर जुटे लोगों ने यह माना कि केंद्र की वर्तमान सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से गंगोत्री से गंगासागर तक लंबी गंगा को साफ करने का बीड़ा उठाया। इसके पहले राजीव गाधी के नेतृत्व वाली सरकार ने 1985 में भले ही गंगा एक्शन प्लान वन टू के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन इसमें इच्छा शक्ति के अभाव के चलते अपेक्षित सफलता नहीं मिली। आज नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से न सिर्फ गंगा में प्रवाहित गंदगी को रोका जा रहा है।
अब गंगा स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी न रहकर जनांदोलन का हिस्सा बन गया है। पिछले दो दशक से हरिद्वार के चंडीघाट स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन से जुड़े मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिला निवासी संजय चतुर्वेदी ने गंगा स्वच्छता के लिए चल रहे प्रयास की हकीकत को काफी करीब से देखा है। वह कहते हैं कि 1985 से शुरू हुए प्रयास 2014 तक चले, लेकिन असर नहीं दिखा। 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से अपनी प्रत्याशिता घोषित होने के बाद कहा मुझे मां गंगा ने बुलाया है तभी से वह गंगा स्वच्छता के अपने विजन को साकार करने में दिन रात एक कर जुटे। पूर्व में उठे कदमों के सफल न होने का कारण वह बजट में 70 फीसद केंद्र और 30 फीसद राज्य सरकार के हिस्से को भी मानते हैं। क्योंकि कई प्रदेश सरकारों ने अपने हिस्से की राशि देने में आनाकानी की। लेकिन अब नमामि गंगे में पूरा हिस्सा केंद्र सरकार खुद उठा रही है।
अखिल भारतीय युवा तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष उज्जवल पंडित ने कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता हरिद्वार को जोड़े बिना संभव ही नहीं है। यहां हर साल करोड़ों की संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। हरिद्वार हरि यानी भगवान तक पहुंचने का द्वार है। मानव कल्याण के लिए भगीरथ प्रयास से शिव की जटाओं से होकर धरती पर पितरों को मोक्ष देने उतरीं गंगा को आज भले ही कुछ दल मुद्दा बनाने में लगे हैं, जबकि हकीकत यह है कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी गंगा का स्पर्श कर अपने चुनावी अभियान में उतरीं। यह अब हुए कार्य का प्रतिफल ही है।
बिजनौर उत्तर प्रदेश के गूढ़ा गांव से आए सीताराम मानते हैं केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना का असर गंगा स्वच्छता की दिशा में साफ दिख रहा है। इसका समर्थन नजीबाबाद के श्याम सिंह ने भी किया। हालांकि, लोगों ने इसमें और तेजी की अपेक्षा भी जताई। प्रेमपुर महादेव मंदिर बिजनौर उत्तर प्रदेश निवासी गौरव ने कहा पहले गंगा में स्नान करने से पहले सोचना पड़ता था लेकिन अब गंगा की निर्मलता से आस्था को सहारा मिला है। जौहर सिंह पाल गूढा नजीबाबाद निवासी हैं। वह बताते हैं कि पांच साल में पहले से अधिक काम हुआ है।
बोली जनता
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