आगरा संसदीय सीट का मिजाज बताती Ground Report, चुनाव में ये मुद्दे हैं अहम; तीसरे चरण में होगा मतदान
Agra Lok Sabha Seat Ground Report आंवलखेड़ा के रहने वाले चंद्रपाल सिंह का कहना है कि ‘हिंदुत्व के नाम पर अब तक मतदान करते रहे हैं’ पास के गांव गढ़ी मद्दे के रहने वाले गिर्राज सिंह का मत अलग है। वह हिंदुत्व पर मतदान करते हैं लेकिन इस बार प्रत्याशी से नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि ‘व्यवहार भी तो ठीक होना चाहिए।’
यशपाल चौहान, आगरा। मतदान की घड़ी करीब आने के साथ ही प्रत्याशी ओवरटाइम करने लगे हैं। आम मतदाता उजाले में है और धुंधले में सियासी बिसातें बिछ रही हैं। मुद्दे गौण हैं। बात अब मुद्दों से खिसककर बिरादरी और पार्टी तक आ चुकी है। नेता जातिगत आंकड़ों की चाल चल रहे हैं। मतदाताओं ने भी सबको परख कर मन ही मन सबकुछ तय कर लिया है। आगरा संसदीय सीट का मिजाज बताती यशपाल चौहान की रिपोर्ट...
सम्मान ते बड़ी चीज कछू नाय। जहां सम्मान ई नाय वहां का करें।’ बमान गांव में आशा पूर्णा देवी मंदिर पर बैठे युवा गजेंद्र की इस बात के समर्थन में सिर अन्य लोगों का भी हिलता है। आशा पूर्णा माता चौहान ठाकुरों की कुलदेवी हैं। यह गांव ठाकुरों की बाईसी में शामिल है। यहां बाईसी के प्रमुख लोगों की बैठक भी इसी संबंध में हुई है। यहां बैठे कुछ और लोगों का मत भी अलग नहीं था, लेकिन वे खुलकर नाम नहीं बताना चाहते थे।
सबका निचोड़ गजेंद्र की बातें ही हैं। कुरेदने पर यह जरूर बोले, ‘इस बार विकल्प की तलाश कर रहे हैं।’ लगातार विकास और हिंदुत्व पर मतदान कर रहे इन मतदाताओं की इस बार अपनी पार्टी (भाजपा) से नाराजगी है। भाजपा ने मौजूदा सांसद एवं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को फिर से मैदान में उतारा है। भाजपा के कोर वोटरों के साथ ही अपनी जाति का वोट बैंक उनकी मजबूती है।
बसपा ने राज्य सभा सदस्य रहीं सत्या बहन की बेटी पूजा अमरोही पर दांव लगाया है तो गठबंधन की ओर से सपा ने मेयर का चुनाव लड़ चुके सुरेश चंद कर्दम पर भरोसा जताया है। इस सीट पर वैश्य, जाटव, ठाकुर, ब्राह्मण, मुस्लिम और बघेल मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं तो सिंधी-पंजाबी की भी संख्या ठीक है।
भाजपा हिंदुत्व के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की विकास, सुशासन, कल्याणकारी योजनाओं के सहारे अपने मजबूत वोट बैंक के अलावा बसपा के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश में है तो बसपा परंपरागत वोटरों के साथ ही भाजपा से नाराज वोटरों को लुभाने और अपनाने में जुटी है। गठबंधन प्रत्याशी पार्टी के वोटों के साथ ही अपने जातिगत समीकरण के आधार को मजबूत बनाने में लगे हैं। इसके साथ ही भाजपा सरकार की विफलता को बताकर वोटरों को अपनी ओर करने का प्रयास किया जा रहा है।
आचार्य श्री राम शर्मा की जन्मस्थली आंवलखेड़ा के रहने वाले चंद्रपाल सिंह का कहना है कि ‘हिंदुत्व के नाम पर अब तक मतदान करते रहे हैं। इस बार प्रत्याशी से नाराजगी है, मगर मतदान वह विचारधारा के आधार पर ही करेंगे।’ पास के गांव गढ़ी मद्दे के रहने वाले गिर्राज सिंह का मत अलग है। वह हिंदुत्व पर मतदान करते हैं, लेकिन इस बार प्रत्याशी से नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि ‘व्यवहार भी तो ठीक होना चाहिए।’
कनराऊ गांव से निकलते ही दिन में खेत की रखवाली करते हुए आकाश कुमार जाटव मिले। उनका कहना है कि ‘वोट मांगने तो कोई नहीं आया, लेकिन वोट देंगे। उनकी निष्ठा तो जाति के अन्य लोगों की तरह ही हाथी में है। इस बार चाहे प्रत्याशी आए या न आए उसी की चाल चलेंगे।’ नीम की सराय में भूरे खां की परचून की दुकान पर भीड़ थी। मनोज यादव बोले कि ‘यादवों के गांव में तो सड़क भी नहीं बनी। हमें यह तो सोचना ही पड़ेगा।’
इसमें शामिल भुर्रका गांव के रहने वाले बेताल सिंह बोले, ‘वोट मांगिवे तो कोई नाय आयौ। हम तो योगी के शासन से खुश हैं। कोई आवै चाय न आवै। हमें वोट तौ देनौ ए।’ नीम की सराय के रहने वाले जयवीर सिंह बोले, ‘सम्मान निधि मिल रही है। राशन मिल रहा है। पेंशन नहीं मिल रही। गुंडई अब है नहीं। यह खुशी की बात है।’ यहीं बैठे चमरौला गांव के बशीर बोले, ‘किसानों के खाते में तो दो-दो हजार रुपये सम्मान निधि आ रही है। खुरपिया वाले (मजदूर) के खाते में कुछ नहीं आ रहा। हां कानून व्यवस्था बढ़िया है।’
वोटर लालची हो गया है: इरशाद
खांडा के तसलीम अहमद उनकी बात का समर्थन करते हैं। वहीं इरशाद अली खुलकर बोले, ‘वोटर लालची हो गया है। हैंडपंप, पेंशन मांगता है। प्रत्याशी भी तो जीतने के बाद मुंह नहीं दिखाते।’ एत्मादपुर क्षेत्र के 45 गांव यमुना एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित रहे हैं। इनके लिए आंदोलनरत रहे किसान नेता मनोज शर्मा का कहना है कि ‘इस बार स्थिति अलग है। हिंदुत्व ठीक है, लेकिन अगर प्रत्याशी ने मतदान से पहले आसमान से उतरकर धरातल पर बात नहीं की तो पिछली बार की तरह स्थिति नहीं रहेगी।’
एत्मादपुर के ही मुहल्ला सत्ता के रहने वाले पूर्व फौजी दुर्गपाल बघेल का कहना है कि ‘केंद्र और प्रदेश सरकार खूब काम कर रही है। अच्छे प्रत्याशी को दोबारा मौका मिला है। ऐसे में हमें भी सोचना चाहिए।’ उत्तर विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले क्षेत्र कमला नगर के विमल अग्रवाल और दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के बोदला में रहने वाले कपिल बंसल का कहना है कि ‘समस्याएं तो हैं, लेकिन उनके समाधान भी हो रहे हैं। प्रत्याशी से नाराजगी हो सकती है, लेकिन वोट का आधार हिंदुत्व की विचारधारा ही बनेगा।’ मतदाताओं ने मन ही मन सबकुछ तय कर लिया है। आगरा का ताज वे किसके सिर पर लगाएंगे, यह चार जून को स्पष्ट होगा।
आजादी के बाद 25 वर्षों तक कांग्रेस के सांसद बने
आगरा लोकसभा क्षेत्र पर आजादी के बाद 25 वर्ष तक कांग्रेस का कब्जा रहा। वर्ष 1991 की राम लहर में यह सीट भगवा हुई तो इसका रंग वर्ष 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो आज तक उतर नहीं सका है। बीच के दो चुनावों में अभिनेता राजबब्बर ने सपा की साइकिल को दिल्ली तक दौड़ाया था।