Move to Jagran APP

Solar Eclipse 2022 Myths: सूर्य ग्रहण से जुड़े कुछ ऐसे मिथक जो आज भी कायम...

Solar Eclipse 2022 Myths सूर्य ग्रहण का मतलब कई तरह के मिथक और सावधानियां हैं खासतौर पर गर्भवति महिलाओं के लिए। इसके अलावा अलग-अलग सभ्यताओं में कई तरह की मान्यताएं थी कहीं इसे ख़तरा माना गया तो कहीं इसे लेकर कई दिलचस्प कहानियां बताई गईं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 25 Oct 2022 11:55 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2022 11:55 AM (IST)
Solar Eclipse 2022 Myths: जानें सूर्य ग्रहण से जुड़े मिथकों के बारे में

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Solar Eclipse 2022 Myths: 25 अक्टूबर यानी आज आंशिक सूर्य ग्रहण भारत के कई हिस्सों में शाम के समय दिखाई देगा। लोग जहां साल के इस आखिरी सूर्य ग्रहण की तैयारी में लगे हैं, वहीं इससे जुड़े मिथक और कहानियां भी इस दौरान सुनने को मिलती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स सूर्य ग्रहण से आंखों को बचाने के लिए कई ज़रूरी बातें बताते हैं, लेकिन कुछ लोग कई अन्य मिथकों पर भी विश्वास करते हैं।

loksabha election banner

दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं, जहां ग्रहण को किसी ख़तरे से कम नहीं माना जाता। जिसमें दुनिया का ख़ात्मा या फिर भयानक उथलपुथल की चेतावनी। ग्रहण ने शुरू से ही इंसान को जितना हैरान किया है, उतना ही डराया भी है। जब तक लोगों को ग्रहण के बारे में जानकारी नहीं थी, तब तक इसे लेकर कई कहानियां और कल्पनाएं की गईं। हालांकि, आज सभी ग्रहण के पीछे के वैज्ञानिक कारणों को जानते हैं, लेकिन फिर भी ये कहानियां बरकरार हैं।

अलग-अलग सभ्यताओं में हैं अलग-अलग मान्यताएं

- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राहु नाम का एक राक्षस और उसका अलग शरीर जिसे केतु के नाम से जाना जाता है, समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा को पकड़ लेते हैं और उन्हें निगल जाते हैं। सूर्य और चंद्र ग्रहण होने के पीछे यही कारण हैं।

- प्राचीन एज़्टेक का मानना ​​​​था कि चंद्र ग्रहण चंद्रमा के एक टूकड़े को काटने का परिणाम था। मैक्सिको में भी इसी तरह का अंधविश्वास था, कि अगर एक गर्भवती महिला ग्रहण को देख लेती है, तो इससे उसके अजन्मे बच्चे के चेहरे का तुकड़ा भी कटा हुआ होगा।

- प्राचीन समय में, बहुत से लोग वैज्ञानिक कारणों से वाकिफ नहीं थे कि ब्रह्मांड में आकाशीय हलचलें क्यों होती हैं। इसे आमतौर पर भगवान या प्रकृति का प्रकोप माना जाता था।

- रोशनी और जिंदगी के स्रोत सूरज का गायब हो जाना सभी को डराता था और यही वजह है कि इससे जुड़ी तरह-तरह की कहानियां प्रचलित होने लगी थीं। एक तरफ पश्चिमी एशिया में माना जाता था कि ग्रहण के दौरान ड्रैगन सूरज को निगलने की कोशिश करता है और इसलिए इस दिन ड्रैगन को भगाने के लिए ढोल-नगाड़े बजाए जाते थे।

- वहीं, चीन में मान्यता थी कि सूर्य को निगलने की कोशिश करने वाला असल में स्वर्ग का एक कुत्ता है।

- पेरुवासियों के मुताबिक, ग्रहण को एक बड़ा प्यूमा माना गया था और वाइकिंग मान्यता थी कि ग्रहण के समय आसमानी भेड़ियों का जोड़ा सूरज पर हमला करता है।

ग्रहण सभी सभ्यताओं में डर का प्रतीक नहीं था

टोगो और बेनिन में की मान्यता थी कि ग्रहण तब लगता है जब सूरज और चांद आपस में लड़ाई कर रहे होते हैं। इसलिए वहां के लोग सूर्य और चांद की आपस में सुलह कराने के लिए ग्रहण के दौरान अपने पुराने झगड़े सुलझाते थे और दुश्मनों को भी माफ कर देते थे।

इसी तरह दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र और अमेरिका के उत्तर-पश्चिम तट पर रहने वाले स्थानीय अमरीकी कबीलों का मानना था कि सूर्य और चांद प्रेमी-प्रेमिका हैं और ग्रहण के वक्त वे धरती से छिपकर प्रेमलीला करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.