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    पलक झपकते ही कैसे बीत गया 2025? यह आपका वहम नहीं, इसके पीछे है दिमाग का साइंस, यहां समझें वजह

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 05:31 PM (IST)

    क्या आपको भी लग रहा है कि यह साल अभी तो शुरू हुआ था और अभी ही बीत गया? अगर हां, तो ऐसा कई लोगों के साथ होता है, आप अकेले नहीं हैं। दरअसल, इसके पीछे आप ...और पढ़ें

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    क्यों लगता है जल्दी बीत गया समय? (Picture Courtesy: AI Generated Image)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपको भी ऐसा महसूस होता है कि समय जैसे उड़ता जा रहा है? अभी तो 2025 की शुरुआत हुई थी और देखते ही देखते 2026 आ गया। हर साल यही लगता है कि नया साल आया और पलक झपकते ही खत्म भी हो गया। 

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    तो आपको बता दें कि यह सिर्फ आपका भ्रम नहीं है, बल्कि इसके पीछे दिमाग से जुड़ा वैज्ञानिक कारण है। दरअसल, हमारा दिमाग समय को घड़ी की तरह नहीं, बल्कि यादों और अनुभवों के आधार पर मापता है। आइए समझें क्यों ऐसा महसूस होता है और इसके पीछे का साइंस क्या है। 

    रूटीन का है बड़ा हाथ है

    एक्सपर्ट बताते हैं कि जब हमारी जिंदगी एक तय रूटीन में चलती है, तो दिमाग के लिए नए अनुभव कम हो जाते हैं। ऐसे में दिमाग के पास समय को मापने के लिए ज्यादा यादें नहीं होतीं और हमें लगता है कि समय बहुत तेजी से निकल गया।

    Time Perception (1)

    (Picture Courtesy: Freepik)

    क्यों तेज भागता हुआ महसूस होता है समय?

    बचपन में समय धीमा लगता था, क्योंकि हर दिन नया होता था नए दोस्त, नई जगहें, नए अनुभव। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, जिंदगी ज्यादा प्रेडिक्टेबल हो जाती है। ऑफिस, घर, वही रास्ते, वही काम। दिमाग इन रिपीट किए गए पैटर्न को जल्दी प्रोसेस कर लेता है, जिससे साल छोटे लगने लगते हैं।

    समय क्यों ठहर-सा जाता है?

    रिसर्च बताती है कि प्रकृति के बीच समय बिताने से समय धीमा महसूस होता है। एक अध्ययन में छात्रों को दो समूहों में बांटा गया, एक को शहर में और दूसरे को गांव या खुले प्राकृतिक इलाकों में चलने के लिए कहा गया। शहर में चलने वालों को समय तेजी से बीता महसूस हुआ, जबकि प्रकृति के बीच घूमने वालों को लगा कि समय धीरे चल रहा है। वजह यह है कि प्राकृतिक माहौल में दिमाग ज्यादा एक्टिव रहता है और हर चीज को गहराई से महसूस करता है।

    माइंडफुलनेस अपनाएं

    एक्सपर्ट्स मानते हैं कि माइंडफुलनेस समय को धीमा करने में मदद करता है। माइंडफुलनेस यानी इस पल में पूरी तरह मौजूद रहना। जैसे- कॉफी पीते वक्त सिर्फ फोन स्क्रॉल करने के बजाय उसकी खुशबू और स्वाद पर ध्यान देना, या काम शुरू करने से पहले कुछ गहरी सांसें लेना। इससे दिमाग में उस पल की साफ याद बनती है और समय ज्यादा मीनिंगफुल लगता है।

    रूटीन में छोटे बदलाव भी बड़ा असर डालते हैं

    एक जैसा रूटीन समय को तेज कर देता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इसके लिए बड़े बदलाव जरूरी नहीं। नई प्लेलिस्ट सुनना, ऑफिस जाने का रास्ता बदलना, या दिन की शुरुआत किसी नए तरीके से करना, ये छोटे-छोटे बदलाव दिमाग को नएपन का एहसास देते हैं और समय को धीमा महसूस कराते हैं।

    यादों को संजोएं

    डायरी लिखना, पुरानी तस्वीरें देखना या अपनों के साथ बीती बातें शेयर करना भी समय की अनुभूति को बेहतर बनाता है। जब हम यादों को दोहराते हैं, तो दिमाग उन पलों को दोबारा जीता है, जिससे बीता हुआ समय भी ज्यादा लंबा लगता है।