गर्मी की मार से बचाने में बेहद कारगर हैं ये देसी नुस्खे, आज भी गांव देहात में खूब होते हैं इस्तेमाल
गर्मी के मौसम में लू लगने का खतरा काफी ज्यादा रहता है। खासकर जब पारा आसामान छूने लगता है। तपती गर्मी में खुद को सुरक्षित रखने के लिए गांव में रहने वाले लोग आज भी कुछ ऐसे देसी नुस्खे (Remedies for Heat Relief) अपनाते हैं जो ईको-फ्रेंडली हैं किफायती हैं और काफी कारगर भी। आइए जानें इन तरीकों के बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गर्मी ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे तापमान बढ़ता जा रहा है, खासकर भारत के उत्तरी और पश्चिमी हिस्से में। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक इस साल राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में हीट वेव (Heat Wave) 7-8 दिन ज्यादा रहने वाला है।
इस तपती गर्मी से खुद को और अपने परिवार को बचाए रखना बेहद जरूरी है। ऐसे में शहरी इलाकों में एसी और कूलर का खूब इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कई ग्रामीण इलाकों में यह मुमकिन नहीं है। गर्मी से बचने के लिए आज भी गांव-देहात के कई इलाकों में सदियों पुरानी तरकीबों (Remedies for Heat Relief) को अपनाया जाता है।
ये तरीके ईको-फ्रेंडली हैं यानी इनसे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता और गर्मी की मार से भी राहत मिलती है। साथ ही, इनमें ज्यादा खर्च भी नहीं होता। इसलिए ये किफायती भी हैं। आइए जानते हैं गर्मी से बचने के लिए गांव के लोग आज भी किन तरीकों (Tips to Fight Extreme Heat) को अपनाते हैं।
चेक डैम
गर्मी के मौसम में कई इलाकों के तालाब सूख जाते हैं, जिसके कारण आसपास के लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। हालांकि, इस परेशानी से बचने के लिए कई गांवों में वहां के लोगों ने चेक डैम बनाने शुरू कर दिए हैं। आसपास के कुछ गांव के लोग इक्ट्ठा होकर चेक डैम बनाते हैं, जिसमें बारिश पानी स्टोर होता है और ग्राउंड वॉटर टेबल को चार्ज होने का मौका मिलता है। इससे गर्मी के मौसम में भी पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।
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मिट्टी की दीवार
तेज धूप की वजह से घर की दीवारें गर्म हो जाती हैं, जिससे घर भट्टी की तरह तपने लगता है। इससे बचने के लिए गांव के लोग मिट्टी और ईंट से घर बनाते हैं। इनकी दीवारों पर मिट्टी की पुताई की जाती है, जिससे घर ठंडा रहता है। ज्यादा गर्मी होने पर इन दीवारों को गाय के गोबर से लीपा जाता है। साथ ही, वेंटिलेशन के लिए दीवारों में छोटी-छोटी खिड़कियां बनाई जाती हैं और अरहर की डंडी से सलाखें बनाते हैं।
पत्तों का इस्तेमाल
गांव में कई लोग अपने घर की छत को टिन से बनाते हैं। धूप में यह जल्दी गर्म हो जाता है, जिससे घर के भीतर भी काफी गर्मी होती है। इस परेशानी से बचने के लिए कई लोग अपने घर की छतों को नीम और पलाश के पत्तों से ढक देते हैं। इससे घर की छत कम गर्म होती है।
नीम के पत्ते
गर्मी से सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि जानवर भी काफी परेशान होते हैं। ज्यादा गर्मी की वजह से गाय और भैंस की स्किन भी झुलस सकती है और वे दूध देना भी बंद कर सकती हैं। इसलिए गर्मी की मार से जानवरों को बचाना भी जरूरी है। अपने जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए गांव के लोग नीम के पत्ते और सूती कपड़े का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही, दिन के समय जानवरों को बाहर न रखकर उन्हें किसी मड़ई में बांधा जाता है, ताकि उनपर सीधी धूप न पड़े।
दिनचर्या में बदलाव
गर्मी के दिनों में 9-10 बजे ही धूप असहनीय लगने लगती है। ऐसे में इस समय खेतों में काम करना काफी मुश्किल होता है। तेज धूप की वजह से डिहाइड्रेशन और चक्कर भी आ सकता है। इसलिए गांव के लोग गर्मी के मौसम में अपने दिन की शुरुआत थोड़ी जल्दी कर देते हैं, ताकि सुबह की हल्की धूप में ही उनका ज्यादा से ज्यादा काम हो जाए और दोपहर के समय उन्हें बाहर न निकलना पड़े।
खानपान में बदलाव
गर्मी के मौसम में ज्यादा हैवी खाना खाने से सेहत को नुकसान हो सकता है। इसलिए इस मौसम में गांव में रहने वाले लोग छाछ पीने और हल्का खाना खाते हैं। इससे उनका पाचन भी दुरुस्त रहता है और शरीर को ठंडक भी मिलती है।
पेड़ लगाना
गर्मी के मौसम में पेड़ों की छांव में बैठना राहत देता है। खासकर खेतों में या बाहर काम करने वाले लोगों को। इसलिए गांव में रहने वाले लोग अपने खेतों और घर के आसपास नीम, शरीफा, बेर आदि के पेड़ लगाते हैं, ताकि तपती धूप में उन्हें छांव मिल सके।
ऐसे ही आसान और किफायती तरीकों से कितने ही ग्रामीण वासी गर्मी के मौसम में खुद की और अपने परिवार को सुरक्षित रखते हैं। इन छोटे-छोटे उपायों से हम भी काफी कुछ सीख सकते हैं और गर्मी के मौसम में बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए खुद को ठंडा रख सकते हैं।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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