टैबलेट और स्मार्टफोन बन रहे हैं बचपन के दुश्मन, ऐसे डाल रहे हैं बच्चों की सेहत पर असर
टॉय स्टोरी 5 के लिए इस बार काफी इंटरेस्टिंग विलन चुना गया है। दरअसल यह असल जिंदगी में भी बच्चों का दुश्मन बनता जा रहा है। हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की जिसके कारण बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ता जा रहा है। आइए ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल बच्चों को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बचपन में आपने टॉय स्टोरी (Toy Story) मूवी तो देखी होगी। इसमें खिलौनों और बच्चों के बीच के खास रिश्ते को दिखाया है। अपने खिलौनों के साथ बच्चों का खास कनेक्शन होता था। वे अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपने खिलौनों के साथ बिताना चाहते थे।
आप भी अपने बचपन में अपने खिलौनों के खूब प्यार करते होंगे। लेकिन आजकल के बच्चों में ऐसा देखने को नहीं मिलता। बच्चे अब खिलौनों के साथ कम खेलना पसंद करते हैं और अपना ज्यादा समय इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के साथ बिताना पसंद करते हैं (Smart Phone Addiction in Kids)।
ये एक बेहद संजीदा मुद्दा है, जिसके बारे में टॉय स्ट्रोरी सीरिज की 5वीं मूवी (Toy Story 5) में भी ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, इस फिल्म में विलेन एक टैबलेट है, जिसके साथ बच्चा ज्यादा समय बिता रहा है और अपने खिलौनों को अनदेखा कर रहा है।
असल जिंदगी में भी आजकल ठीक ऐसा ही हो रहा है। लेकिन यह स्थिति काफी गंभीर है। यह न केवल उनके फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके सोशल और इमोशनल डेवलप्मेंट को भी प्रभावित कर रही है। आइए जानें बच्चों में बढ़ते स्क्रीन टाइम के नुकसान।
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फिजिकल हेल्थ पर असर
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों की फिजिकल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा है। लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहने से उनकी आंखों पर दबाव पड़ता है, जिससे आंखों में जलन, धुंधला दिखाई देना और मायोपिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इसके अलावा, गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज कम हो जाती हैं, जिससे मोटापा, कमजोर हड्डियां और मांसपेशियों की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। फिजिकल एक्सरसाइज की कमी से उनकी इम्युनिटी भी कमजोर होती है, जिससे वे ज्यादा बीमार पड़ सकते हैं।
मेंटल हेल्थ को नुकसान
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए भी हानिकारक साबित हो रहा है। जो बच्चे ज्यादा समय तक स्मार्टफोन या वीडियो गेम्स का इस्तेमाल करते हैं, उनमें एंग्जायटी, डिप्रेशन और फोकस की कमी जैसी समस्याएं देखी जाती हैं।
सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स की लत उन्हें असल दुनिया से दूर कर देती है, जिससे उनका साइकोलॉजिकल बैलेंस बिगड़ सकता है। कुछ बच्चे इस वजह से आक्रामक व्यवहार भी दिखाने लगते हैं, क्योंकि वे हिंसक गेम्स और कंटेंट ज्यादा कंज्यूम करने लगते हैं।
सोशल और इमोशनल विकास में रुकावट
खिलौने और बाहरी खेल बच्चों के सोशल कॉन्टेक्ट को बढ़ाने में मदद करते हैं, जबकि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स उन्हें अकेलेपन की ओर धकेलते हैं। वे दोस्तों और परिवार के साथ कम समय बिताते हैं और वर्चुअल दुनिया में खो जाते हैं।
इससे उनमें बात-चीतकरने की क्षमता कम होती है और इमोशनल कनेक्शन कमजोर पड़ते हैं। बच्चे हकीकत से दूर होते चले जाते हैं, जो उनकी पर्सनालिटी को विकसित करने के लिए जरूरी है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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