Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिर्फ एक घंटे की स्क्रीन टाइमिंग भी डाल सकती है नींद में खलल, हर दिन कम हो रहे सुकून के 24 मिनट

    क्या आप जानते हैं कि रात में सिर्फ एक घंटे का स्क्रीन टाइम आपकी नींद को औसतन 24 मिनट तक कम कर सकता है? जी हां दरअसल नॉर्वे में हुई एक स्टडी में बताया गया है कि दिनभर की थकान के बाद बिस्तर पर मोबाइल का इस्तेमाल सेहत के लिए किस कदर नुकसानदायक साबित होता है और कैसे आपको तरह-तरह की बीमारियों का शिकार बना देता है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 12 Apr 2025 01:19 PM (IST)
    Hero Image
    सिर्फ एक घंटे का स्क्रीन एक्सपोजर बन सकता है आपकी गहरी नींद का दुश्मन (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिनभर काम करने के बाद रात का समय लोग अक्सर सोशल मीडिया पर बिताते हैं, लेकिन ये आदत हमारी नींद छीन लेती है और हमें बीमार बना सकती है। जी हां, नॉर्वे में हुई एक नई स्टडी से पता चला है कि रात में सिर्फ एक घंटा मोबाइल यूज करने से हमारी नींद लगभग 24 मिनट कम हो जाती है (Impact of screen time on sleep)।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इतना ही नहीं, नींद न आने की बीमारी, जिसे इंसोम्निया (Insomnia) कहते हैं उसका खतरा भी 59% तक बढ़ जाता है। इस रिसर्च में 18 से 24 साल के युवाओं की मोबाइल पर सोशल मीडिया इस्तेमाल करने, फिल्में देखने, गेम खेलने, गाने सुनने और किताबें पढ़ने जैसी सभी हरकतों पर ध्यान दिया गया।

    स्टडी के मुताबिक, अमेरिका में लगभग एक तिहाई वयस्कों को ठीक से नींद नहीं आती और युवाओं में तो यह आंकड़ा और भी ज्यादा है। आजकल सिर्फ 35% लोग ही 8 घंटे की पूरी नींद ले पाते हैं। भारत में भी देर रात तक फोन चलाना एक आम बात हो गई है, जो धीरे-धीरे हमारे दिमाग और शरीर दोनों पर बुरा असर डाल रहा है।

    'ब्लू लाइट' डाल रही नींद में खलल

    हमारी नींद खराब होने का एक बड़ा कारण है मोबाइल और कंप्यूटर की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट। यह रोशनी हमारे दिमाग को ऐसा महसूस कराती है कि अभी दिन है, इसलिए जो मेलाटोनिन नाम का हार्मोन हमें नींद लाने में मदद करता है, यह उसे दबा देती है। इस वजह से हमें नींद आने में परेशानी होती है। हालांकि, कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि सिर्फ ब्लू लाइट ही नहीं, बल्कि दूसरी तरह की तेज रोशनी भी हमारी नींद में बाधा डाल सकती है। इसका मतलब है कि अगर किसी भी रोशनी की चमक बहुत ज्यादा होगी तो हमारी नींद खराब हो सकती है।

    यह भी पढ़ें- नींद पूरी न होने का इशारा देते हैं 6 संकेत, नजरअंदाज करने की गलती बना सकती है आपको बीमार

    बिगड़ रहा बच्चों का स्लीपिंग शेड्यूल

    शोध में सामने आया है कि अगर बच्चों के कमरे में मोबाइल या टैबलेट जैसी चीजें हों, तो भी उनकी नींद खराब हो सकती है। यह उम्र ऐसी होती है जब बच्चे बहुत ज्यादा सोचते और महसूस करते हैं। इसलिए रात में फोन पर बातें करना या कुछ देखना उनके दिमाग को आराम नहीं करने देता। देर रात तक मोबाइल चलाते रहने से उनकी नींद का तरीका भी बदल जाता है, जिससे उन्हें सही समय पर नींद नहीं आती। इसलिए जानकार कहते हैं कि बच्चों को सोने से पहले किताबें पढ़नी चाहिए या कोई कहानी सुननी चाहिए या फिर लाइट म्यूजिक सुनना चाहिए।

    Source:

    • Frontiers: https://www.frontiersin.org/journals/psychiatry/articles/10.3389/fpsyt.2025.1548273/full

    यह भी पढ़ें- नींद में क्यों लगता है जैसे गिर रहे हों आप? यहां जानें सोते समय झटका लगने की वजह