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    अब ब‍िना चीर-फाड़ के माइक्रो रोबोट्स करेंगे Sinus Infection का इलाज, वैज्ञान‍िकों ने क‍िया दावा

    आजकल लोगों में साइनस इंफेक्शन एक आम समस्या है जिससे नाक बंद होना और सिरदर्द जैसी परेशानियां होती हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका समाधान ढूंढ निकाला है। चीन और हॉन्गकॉन्ग के वैज्ञानिकों ने बाल से भी पतले माइक्रो-रोबोट्स बनाए हैं। ये रोबोट्स नाक के जरिए साइनस कैविटी में जाकर बैक्टीरिया से लड़ते हैं और इंफेक्शन को खत्म करते हैं।

    By Vrinda Srivastava Edited By: Vrinda Srivastava Updated: Sat, 28 Jun 2025 09:55 AM (IST)
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    Sinus Infection का इलाज अब ब‍िना क‍िसी दवा के संभव।

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में ज्‍यादातर लोगों को कोई न कोई बीमारी है। इसके पीछे कई कारण होते हैं। खराब खानपान और अनहेल्दी लाइफस्‍टाइल के कारण लोगों में मोटापा, डायब‍िटीज और द‍िल की बीमार‍ियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं कुछ वायरस, बैक्टीरिया या फ‍िर फंगल इन्‍फेक्‍शन के कारण Sinus Infection का खतरा बढ़ जाता है। ये सुनने में भले ही साधारण लगे लेक‍िन ये बहुत परेशान करती है।

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    जब ये इन्‍फेक्‍शन होता है तो नाक बंद हो जाती है, सिर दर्द बना रहता है और सांस लेने में भी द‍िक्‍कतों का सामना करना पड़ता है। कई लोग दवाएं, स्‍टीम या घरेलू नुस्खे अपनाकर भी इससे छुटकारा नहीं पाते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका अब समाधान ढूंढ न‍िकाला है। इसकी खास‍ियत ये है क‍ि न तो इसमें इलाज की जरूरत होगी और न ही दवा की। अब इंसानों के बाल से भी पतले छोटे-छोटे रोबोट्स साइनस इन्‍फेक्‍शन का इलाज करेंगे।

    चीन और हॉन्‍गकॉन्‍ग के वैज्ञान‍िकों ने खोज न‍िकाला रास्‍ता

    आपको बता दें क‍ि China और Honkong के वैज्ञानिकों ने मिलकर ऐसे माइक्रो-रोबोट्स तैयार किए हैं, जो इंसानों के बाल से भी पतले हैं और इन्‍हें नाक के जरिए साइनस कैविटी में भेजा जा सकता है। ये भले ही द‍िखने में बहुत छोटे होंगे लेक‍िन ये बैक्टीरिया से लड़कर इन्‍फेक्‍शन को खत्म कर सकते हैं।

    कैसे काम करेंगे नैनो-रोबोट्स?

    जर्नल Science में छपी स्टडी के मुताब‍िक, इन माइक्रो-रोबोट्स को magnetic particles and copper से बनाया गया है। इन्हें नाक के अंदर एक पतली नली (duct) के जरिए भेजा जाता है। इसके बाद मैग्नेटिक फील्ड की मदद से इन्हें उस जगह पर भेजा जाता है ज‍िस जगह पर बैक्टीरिया छिपे होता हैं। इसके बाद रोबोट्स को एक फाइन ऑप्टिकल फाइबर से रोशनी दी जाती है।

    इस रोशनी से रोबोट्स गर्म हो जाते हैं जिससे ये चिपचिपे मवाद और बैक्टीरियल लेयर को तोड़ पाते हैं। वहां जाकर ये केमिकल रिएक्शन शुरू करते हैं, जिससे बैक्टीरिया मरने लगते हैं। इसके बाद साइनस साफ होने लगता है।

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    क्या इंसानों पर होगा इस्तेमाल?

    अभी तो जानवरों पर प्री-क्लिनिकल ट्रायल कामयाब रहा है। वैज्ञानिकों ने इंसानों के लिए भी इसका मॉडल तैयार किया है, जिसमें ऑपरेशन थिएटर जैसी सेटिंग में डॉक्टर इन रोबोट्स की X-ray से निगरानी कर सकेंगे। आपको बता दें क‍ि तकनीक बिना दवा के और बिना चीरफाड़ के साइनस के अंदर संक्रमण को खत्म करेगी। भव‍िष्‍य में इसका इस्‍तेमाल रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट, पेट, आंत, ब्लैडर और यूरिनरी सिस्टम में भी किया जा सकता है।

    कुछ सवाल भी उठे

    कुछ एक्सपर्ट्स ने इसको लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इलाज के बाद कुछ रोबोट्स शरीर में छूट सकते हैं, जिससे लंबे समय में साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

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    Source-

    • https://www.science.org/doi/10.1126/scirobotics.adt0720