सावधान! प्लास्टिक जार का अचार बना रहा आपको बीमार, डॉक्टर ने बताया इसे खतरे की घंटी
क्या आपने कभी अपनी दादी या नानी को अचार बनाते देखा है? याद कीजिए, वो हमेशा मिट्टी या सिरेमिक के मर्तबान में ही अचार डालती थीं, लेकिन आजकल कई लोग सुविधा के लिए अचार को प्लास्टिक के डिब्बे में रख देते हैं, लेकिन डॉक्टर के मुताबिक यही एक बड़ी गलती है, जो आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है।

प्लास्टिक जार में अचार डालना हो सकता है जानलेवा! डॉक्टर दे रहे हैं चेतावनी (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपको अपने दादी-नानी के हाथ का बना अचार याद है? अगर हां, तो क्या आपको याद है कि वह अचार किसमें रखा जाता था? जी हां... एक बड़ा-सा चीनी मिट्टी का जार, जिसे हम मर्तबान कहते हैं।
आजकल सहूलियत के लिए लोग अचार को प्लास्टिक के डिब्बों में रखना पसंद करते हैं (Pickles in Plastic Jars), लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक बड़ी गलती है, जो आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है? सही पढ़ा आपने! अगर आपका अचार भी प्लास्टिक कंटेनर में स्टोर है, तो उसे तुरंत बाहर निकाल दीजिए क्योंकि ऐसा हम नहीं, बल्कि जाने-माने डॉक्टर तरंग कृष्णा कह रहे हैं।
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प्लास्टिक और अचार का टॉक्सिक कॉम्बिनेशन
अचार में नमक, तेल और मसाले की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। जब ये सब चीजें प्लास्टिक के संपर्क में आती हैं, तो उससे बीपीए (BPA) और फ्थेलेट्स (Phthalates) जैसे हानिकारक केमिकल निकलने लगते हैं। ये रसायन एंडोक्राइन डिसरप्टर्स कहलाते हैं, यानी ये शरीर के हार्मोन सिस्टम को गड़बड़ा देते हैं। यही वजह है कि लंबे समय तक ऐसे केमिकल्स का सेवन करने से हार्मोनल असंतुलन, थायरॉइड की समस्या और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
तेल और नमक से बढ़ता है खतरा
अचार में मौजूद तेल और नमक, प्लास्टिक से निकलने वाले जहरीले तत्वों को और तेजी से खींच लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि रसायन धीरे-धीरे आपके अचार में घुलने लगते हैं, और फिर सीधे आपके शरीर में पहुंचते हैं। यानी अचार सिर्फ स्वाद नहीं देता, अगर गलत डिब्बे में रखा जाए तो नुकसान भी पहुंचा सकता है।
क्या है सही तरीका?
अगर आप चाहते हैं कि आपका अचार स्वादिष्ट भी रहे और सेहतमंद भी, तो इसे सिरेमिक (चीनी मिट्टी), कांच या मिट्टी के मर्तबान में ही रखें। ये बर्तन अचार के स्वाद और पोषकता दोनों को बनाए रखते हैं और किसी भी तरह के रासायनिक प्रभाव से दूर रहते हैं।
दादी-नानी की सीख आज भी सही
पुराने समय में जब लोग 'प्लास्टिक' के नाम से भी परिचित नहीं थे, तब भी वे सेहत के लिहाज से सही चुनाव करते थे। उनकी वो पुरानी सीख आज विज्ञान भी सही ठहराता है- अचार हमेशा सिरेमिक या कांच के बर्तन में ही रखें। इसलिए, अगली बार जब आप अचार निकालें, ये जरूर देखें कि वो किस बर्तन में रखा है। स्वाद के साथ सेहत भी बचानी है, तो प्लास्टिक नहीं, पारंपरिक मर्तबान ही अपनाएं।

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