सावधान! जिसे आप मामूली मूड स्विंग समझ रहे हैं, कहीं वो कोई गंभीर बीमारी तो नहीं? बता रहे एक्सपर्ट
लोगों का मूड छोटी-छोटी बात पर खराब हो जाता है और दिन में कई बार ऐसा हो सकता है, लेकिन मूड डिसऑर्डर एक गंभीर समस्या है जिसमें इंसान की भूख, नींद से लेक ...और पढ़ें

मूड स्विंग या मूड डिसऑर्डर: जानिए क्या है अंतर, एक्सपर्ट की राय
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कई लोग यह कहते हुए मिल जाते हैं कि आज मेरा मूड बिल्कुल भी ठीक नहीं, सुबह-सुबह बॉस की डांट पड़ गई। वहीं, किसी का ऑर्डर किया गया सामान काफी दिनों तक डिलिवर नहीं हुआ तो मूड खराब हो जाता है।
कुल मिलाकर मूड स्विंग, ऐसी मामूली वजहों से भी सकता है। यह बेहद सामान्य प्रक्रिया है। वहीं, मूड डिसऑर्डर में इंसान की मानसिक सेहत पर प्रभाव पड़ता है। इन दोनों के फर्क, कारण, लक्षण और उपचार के बारे में थोड़ा और विस्तार से बता रहे हैं साइकोलॉजिस्ट राजेश पाण्डेय, लखनऊ।
इन वजहों से हो सकता है मूड स्विंग
- हॉर्मोन्स का असंतुलित हो जाना
- मौसम में बदलाव या उसका प्रभाव
- किसी काम का मनमुताबिक न होना, जैसे एग्जाम का रिजल्ट खराब आना, डेडलाइन पूरी न कर पाना
ये हैं मूड स्विंग के लक्षण
- एंग्जाइटी
- डिप्रेशन
- लगातार स्ट्रेस बना रहना
- चिंता सताना
क्या होता है मूड डिसऑर्डर
मूड स्विंग और मूड डिसऑर्डर की समस्या एक जैसी लग सकती है, लेकिन मूड डिसऑर्डर एक गंभीर परेशानी है। ऐसे नजर आते हैं मूड डिसऑर्डर के लक्षण:
- अत्यधिक तनाव महसूस होना
- लगातार रोने का मन करना
- नींद न आना
- खाने-पीने में स्वाद महसूस न होना
- बॉडी लैंग्वेज में फर्क नजर आना, जैसे चलने-फिरने, उठने-बैठने के तौर-तरीकों में बदलाव दिखना
- भविष्य को लेकर नेगेटिव विचार आना
अपने आप ठीक हो जाता है मूड
मूड स्विंग में कोई बात या घटना ट्रिगर की तरह काम करती है और व्यक्ति का मूड खराब हो जाता है। इसमें ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती। मूड को लाइट बनाने वाली कुछ एक्टिविटीज इसमें मदद कर सकती है, जैसे कोई मनपसंद फिल्म देख लेना या किसी करीबी से बात कर लेना या चाय की चुस्की लेते हुए कोई मनपसंद नॉवेल पढ़ना। उम्र के साथ मूड को कंट्रोल करने का हुनर भी बढ़ता जाता है और लोग खुद ही ठीक हो जाते हैं।
मूड डिसऑर्डर में लेनी पड़ती है एक्सपर्ट की राय
मूड डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी होती है। डॉक्टर ही लक्षणों को देखकर यह बता सकते हैं कि समस्या कितनी गंभीर है और क्या ट्रीटमेंट दी जानी चाहिए।

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