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    रात को ज्यादा गर्मी लगना या मूड स्विंग्स होना हैं Perimenopause के लक्षण, इन तरीकों से करें इन्हें मैनेज

    Updated: Sat, 21 Jun 2025 12:39 PM (IST)

    महिलाओं को मेनोपॉज शुरू होने से पहले पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) से गुजरना पड़ता है। यह स्टेज आमतौर पर 40 की उम्र के बाद शुरू होता है, जो कुछ महीनों से लेकर सालों तक बना रह सकता है। इस दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं। कुछ लक्षणों (Perimenopause Symptoms) से पेरिमेनोपॉज का पता लगा सकते हैं। 

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    Perimenopause को मैनेज करने के लिए क्या करना चाहिए? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। उम्र के हर पड़ाव में महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव होते हैं। हार्मोन्स से जुड़े होने की वजह से ये बदलाव उनके जीवन को भी काफी प्रभावित करती हैं। इन्हीं में पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) भी शामिल है, जो आमतौर पर 40 की उम्र के बाद होता है। लाखों महिलाएं इस स्टेज से गुजरती हैं, जिस दौरान उनके शरीर में काफी बड़े बदलाव (Perimenopause Symptoms) होने शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बारे में लोगों में जानकारी काफी कम है।

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    इस मुद्दे को आज भी लोग टैबू मानते हैं और बात करने से हिचकिचाते हैं। हालांकि, जरूरत है कि इस बारे में सही जानकारी हो, ताकि इस स्टेज में महिलाएं अपना बेहतर ख्याल रख सकें। आइए जानें पेरिमेनोपॉज होता क्या है, इसके लक्षण कैसे होते हैं और इसे मैनेज (Tips to Manage Perimenopause) करने के लिए क्या किया जा सकता है। 

    पेरिमेनोपॉज क्या होता है?  

    पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) वह स्टेज है, जो मेनोपॉज से पहले होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं। यह आमतौर पर 40 से 50 वर्ष की उम्र के बीच शुरू होता है और कुछ महीनों से लेकर सालों तक भी रह सकता है। दरअसल, इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने लगता है, जिसके कारण ओवरीज में बनने वाले दूसरे हार्मोन, जैसे- प्रोजेस्टेरोन, फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के लेवल में बदलाव आने लगता है। इसके कारण कई मेंटल और फिजिकल लक्षण दिखाई देते हैं।  

    पेरिमेनोपॉज के लक्षण कैसे होते हैं?

    • अनियमित पीरियड्स- पीरियड्स जल्दी या देर से आना, ब्लीडिंग कम या ज्यादा होना।  
    • मूड स्विंग्स- चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन या अचानक गुस्सा आना।  
    • यौन इच्छा में कमी- सेक्स ड्राइव कम हो जाना।  
    • हॉट फ्लैशेस- अचानक गर्मी लगना और पसीना आना, खासकर रात में।  
    • वजाइनल ड्राईनेस- वजाइना में सूखापन और खुजली होना।  
    • नींद न आना (इनसोम्निया)- बार-बार नींद टूटना या सोने में दिक्कत होना।  
    • बार-बार यूरिन आना- यूरिन करने का बार-बार इच्छा महसूस होना
    • थकान और एनर्जी की कमी- शरीर में सुस्ती और कमजोरी महसूस होना।  

    पेरिमेनोपॉज के लक्षणों को कैसे मैनेज करें?

    पेरिमेनोपॉज के लक्षणों को मैनेज करने के लिए महिलाएं हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) ले सकती हैं। यह हॉट फ्लैश और मूड स्विंग्स को मैनेज करने में मदद करता है। हालांकि, लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी पेरिमेनोपॉज के लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है। 

    • नियमित एक्सरसाइज करें- तनाव कम करने और शरीर को फ्लेक्सिबल बनाए रखने के लिए योग और स्ट्रेचिंग करें। इसके साथ एरोबिक्स एक्सरसाइज हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाते हैं और वजन कंट्रोल करने में मदद करते हैं।  
    • फाइटोएस्ट्रोजन से भरपूर डाइट- सोयाबीन, दाल, अलसी के बीज- इनमें नेचुरल एस्ट्रोजन होता है, जो हार्मोनल बैलेंस बनाए रखते हैं। इसके अलावा, मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने और एनर्जी के लिए साबुत अनाज और लीन प्रोटीन खाएं। 
    • नींद का ध्यान रखें- रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें, ताकि शरीर का सार्केडियन रिदम न बिगड़े। साथ ही, सोने और जगने का एक फिक्स समय सेट करें।   
    • स्ट्रेस मैनेजमेंट- मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और रिलैक्सिंग हॉबीज की मदद से तनाव कम कर सकते हैं।  

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