सेहत पर भारी पड़ रही दमघोंटू हवा, फिट और हेल्दी रहने के लिए फॉलो करें डॉक्टर की सलाह
कई शहरों की वायु गुणवत्ता (एक्यूआइ) बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। दिल्ली में आर्टिफिशियन बारिश की जा रही है, तो वहीं अन्य शहरों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्मॉग गन जैसे उपाय किए जा रहे हैं। सांसों पर बढ़ते संकट का क्या है समाधान और कैसे रहें सेहतमंद, आइए जानते हैं।
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प्रदूषण का खतरा: स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर की सलाह
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मौसम में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर जा चुका है। यह समस्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। सरकारें जहां इससे छुटकारा पाने के उपायों पर जोर दे रही हैं, तो वहीं हमें भी सेहत को लेकर ज्यादा सजग होने की जरूरत है। खासकर, शरीर को डिटॉक्स करने वाले फूड्स को भोजन में शामिल करने, बाहर निकलते वक्त मास्क का इस्तेमाल करने जैसे उपायों पर जोर देना चाहिए, ताकि प्रदूषण के दुष्प्रभाव से हम बच सकें।
इस बारे में केजीएमयू, लखनऊ में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश कहके हैं कि सांसों पर संकट बन आया हो, तो हमें स्वास्थ के प्रति बेहद सचेत होना होगा। इस समय पर्याप्त पानी पीने, विटामिन सी व एंटीआक्सीडेंट से भरपूर फूड्स जैसे नींबू, संतरा, अमरूद, टमाटर और हरी सब्जियों को खाने से हमें प्रदूषण के दुष्प्रभावों से लड़ने में मदद मिलेगी।
खून को प्रभावित करता प्रदूषण
प्रदूषण के कण से रेस्पिरेटरी पैसेज और फेफड़ों में सूजन हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। साथ ही खून में घुलकर ये कण शरीर की ऑक्सीजन फ्लो की क्षमता को प्रभावित कर देते है। इससे जन्म के समय नवजात का वजन कम होना, टीबी, मोतियाबिंद, नैसोफैरिंगल एवं लैरिंगल कैंसर का खतरा भी देखा गया है।
प्रदूषण से हार्ट अटैक का खतरा
डॉक्टर बताते हैं कि प्रदूषित हवा सीधे रेस्पिरेटरी सिस्टम पर हमला करती है। साथ ही फेफड़े में अंदर जाने वाले खतरनाक कण खून में घुलकर पूरे शरीर के केमिकल प्रोसेस को बदल देते हैं। इससे हार्ट अटैक, अस्थमा अटैक, कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वहीं त्वचा और आंखों की एलर्जी की भी आशंका रहती है।
इनका रखना होगा खास ध्यान
- बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती और ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाएं सतर्क रहें।
- फेफड़े के मरीज, शुगर, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, हार्ट, किडनी, लिवर, कैंसर, पूर्व में कोविड, निमोनिया का शिकार होने वाले लोग, आर्गन ट्रांसप्लांट के मरीज बचाव करें। अपनी दवाएं ब्रेक न करें ।
गर्भवती महिलाएं रखें खास ख्याल
गर्भवती को प्रदूषण से विशेष रूप से बचाने की जरूरत होती है। लंबे समय तक वेंटीलेटर पर रहने वाले मरीज को भी सतर्क रहना चाहिए। सीओपीडी के मरीज के फेफड़े कमजोर होते हैं, ऐसे लोगों को प्रदूषण के सीधे प्रभाव में नहीं आना चाहिए ।
घर में 100 गुणा अधिक हो जाते हैं प्रदूषक तत्व
जिन घरों में इनडोर प्रदूषण के कारक मौजूद हैं। उन घरों में धुंए से उत्पन्न छोटे-छोटे कण तय सीमा से 100 गुणा ज्यादा हो सकते हैं। स्टडी में पाया गया कि वायु प्रदूषण उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है, जिनकी शारीरिक क्षमता कमजोर है।
प्रदूषण से फेफड़े पर बुरा प्रभाव
- हवा में मौजूद पीएम 10, पीएम 2.5 और पीएम O. 1 जैसे बेहद छोटे कण फेफड़ों में पहुंचकर सूजन, फाइब्रोसिस और संक्रमण का कारण बनते हैं।
- इससे शरीर के अंगों में आक्सीजन की कमी हो सकती है।
- लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से अस्थमा, सीओपीडी, फेफड़ों का कैंसर और इंटरस्टिशियल लंग डिजीज का खतरा रहता है।
- जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, एलर्जी, खांसी, और बार-बार होने वाले श्वसन संक्रमण आम हो जाते हैं।
- प्रदूषण से फेफड़ों की सतह पर आक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, जिससे टिश्यू डैमेज और संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
इनडोर प्रदूषण से भी रहें सजग
घरों को गर्म करने और खाना पकाने के लिए लोग अलाव, चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं। यह बायोमास यानी लकड़ी, उपले और फसलों की पराली व कोयले का इस्तेमाल करते हैं । इसी तरह धूपबत्ती, अगरबत्ती, सिगरेट, बीड़ी आदि से वायु प्रदूषण बढ़ता है, ये नुकसानदायक होते हैं।
फेफड़े को कैसे रखें फिट
- प्रदूषण में बाहर एक्सरसाइज करने के बजाय घर में व्यायाम, योग करें।
- स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज, डायग्राम एक्सरसाइज, एरोबिक एक्सरसाइज, डीप
- ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। ये फेफड़े की ताकत को बढ़ाएंगी ।
- सुपाच्य और पौष्टिक आहार का सेवन करें। बासी भोजन न करें।
- गर्म पानी और भाप लें। इससे गले में संक्रमण से राहत मिलेगी।
- सांस के मरीज इन्हेलर आदि दवाएं बंद न करें। समय पर डॉक्टर को दिखाएं।
ऐसे मजबूत होगी आपकी इम्युनिटी
- लहसुन खाएं, इनमें पर्याप्त मात्रा में एंटीबायोटिक तत्व होते हैं।
- मशरूम के सेवन से वाइट ब्लड सेल का निर्माण होता है ।
- गाजर चुकंदर से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं में वृद्धि होती है।
- फुल प्लांट वाली सब्जी मसलन पालक, सोया, बथुआ का सेवन करें।
- हरी सब्जी का सेवन विटामिंस, प्रोटीन के निर्माण में मददगार होता है।
- सेब, अंगूर, अनार, पपीता, संतरा आदि मौसमी फलों में प्रचुर मात्रा में विटामिन मिलते हैं।
- ग्रीन टी में एंटीआक्सीडेंट होते हैं, ये छोटी आंत के बैड बैक्टीरिया को मारते हैं।
- अंजीर में फाइबर, मैग्नीज, पोटेशियम होता है। इसका एंटी आक्सीडेंट शुगर लेवल को नियंत्रित करता है।
- अदरक में एंटीआक्सीडेंट, एंटीइन्फ्लेमेटरी तत्व होते हैं। ये शरीर में सूजन को कम करते हैं।
- दिन भर में तीन लीटर पानी पिएं। कोल्ड ड्रिंक, फास्ट फूड, जंक फूड खाने से परहेज करें। अल्कोहल के सेवन से बचें।
जानें इनडोर प्रदूषण कितना है घातक
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इनडोर प्रदूषण से हर साल करीब 38 लाख लोग जान गंवा देते हैं। इसमें सबसे ज्यादा 27 प्रतिशत निमोनिया, 18 प्रतिशत स्ट्रोक, 27 प्रतिशत हृदय रोग, 20 प्रतिशत सीओपीडी, आठ प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर से असमय मौत का शिकार हो जाते हैं ।
बढ़ता सेहत जोखिम
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायु प्रदूषण से हर साल 70 लाख असामयिक मौतें होती हैं।
- 16 लाख से अधिक मौतें हर साल वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण होती हैं भारत में ।
- 30 फेफड़ों की कार्यक्षमता लंबे समय तक दूषित हवा में रहने से
- 8-10 गुणा तक अधिक पाया गया है पीएम 2.5 स्तर डब्ल्यूएचओ मानक से भारत के शहरी क्षेत्रों में
- 60 प्रतिशत अधिक होती है अस्थमा के दौरे की आशंका प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वालों में ।
- 40-50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम सीओपीडी के मरीजों में प्रदूषण के कारण।
- बच्चों में यह फेफड़ों के विकास को धीमा कर देता है, जबकि बुजुर्गों में यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कैंसर का खतरा बढ़ाता है।

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