क्या मां के बाल धोने या ठंडा पानी पीने से बच्चे को हो सकता है निमोनिया? पढ़ें डॉक्टर की राय
अक्सर भारतीय घरों में, खासतौर से दादी-नानी और नई मां के बीच एक आम संघर्ष देखने को मिलता है। बुजुर्गों का मानना होता है कि अगर बच्चे की मां ठंडे पानी स ...और पढ़ें

क्या मां के ठंडा पानी पीने से बच्चे को हो सकता है निमोनिया? (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर घरों में यह बहस सुनने को मिलती है कि बच्चे की मां को ठंडे पानी से नहाना नहीं चाहिए, बाल नहीं धोने चाहिए या ठंडा शेक नहीं पीना चाहिए, वरना बच्चे को निमोनिया हो सकता है, लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है? आइए, इस आर्टिकल में डॉ. रवि मलिक (वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ, चेयरमैन, रेडिक्स हेल्थकेयर, निर्माण विहार, दिल्ली) से इस पुराने भ्रम की सच्चाई को समझते हैं।
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ठंडे पानी या ठंडा शेक से नहीं बढ़ता निमोनिया का खतरा
अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए डॉ. रवि मलिक ने बताया कि ठंडे पानी से नहाने, ठंडा शेक पीने या बाल धोने से निमोनिया होने का कोई संबंध नहीं है। ये सभी चीजें शरीर को ताजगी देती हैं और मां के लिए पोषण का भी सोर्स होती हैं। इसलिए इन्हें लेकर डरने या किसी तरह की रोक लगाने की जरूरत नहीं है।
मां और दादी के बीच होने वाली आम बहस
कई घरों में मां और दादी के बीच इसी बात को लेकर खींचतान होती है कि ठंडा मत पियो, ठंडे पानी से मत नहाओ, नहीं तो बच्चे को निमोनिया हो जाएगा। यह केवल पुराने समय की गलत मान्यताएं हैं, जिनका वास्तविकता और विज्ञान से कोई संबंध नहीं है।
मां आराम से ले सकती है ठंडा शेक, ठंडे पानी से नहा सकती है
डॉक्टर का साफ कहना है कि मां चाहे तो ठंडा शेक पी सकती है, ठंडे पानी से नहा सकती है और बाल भी धो सकती है। इन कामों से बच्चे को किसी भी तरह का खतरा नहीं होता। अब समय है कि हम इन धारणाओं और पुराने भ्रमों को पीछे छोड़ें।
निमोनिया से बचाव कैसे होता है?
अगर वास्तव में बच्चों को निमोनिया से बचाना है, तो इसके सही और वैज्ञानिक तरीके हैं:
- निमोनिया की वैक्सीन लगवाना: यह सबसे प्रभावी तरीका है।
- घर में किसी को खांसी-जुकाम हो तो सावधानी: ऐसा व्यक्ति मास्क पहने और सामाजिक दूरी का पालन करे।
इन उपायों से निमोनिया का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
मां के ठंडे पानी से नहाने, बाल धोने या ठंडा शेक पीने से बच्चों में निमोनिया नहीं होता। यह केवल पुराने मिथक हैं। असली बचाव सही वैक्सीन और संक्रमण से सुरक्षा में है। इसलिए इन भ्रांतियों से बाहर निकलकर वैज्ञानिक समझ अपनाने का समय आ गया है।

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