निमोनिया का खतरा उन लोगों को भी है जो सोचते हैं 'हम तो फिट हैं', 6 पॉइंट्स में डॉक्टर ने समझाया
निमोनिया (Pneumonia) फेफड़ों का एक गंभीर इन्फेक्शन है, जिसके मुख्य लक्षण जैसे तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ अक्सर दिख जाते हैं, लेकिन कई बार इसके कुछ ऐसे "साइलेंट" या छिपे हुए कारण होते हैं जिन पर हमारा ध्यान नहीं जाता। जी हां, डॉक्टर का कहना है कि इन्हें अनदेखा करना इस बीमारी को गंभीर बना सकता है।

निमोनिया के 6 'साइलेंट' ट्रिगर, जिन्हें लोग अक्सर करते हैं नजरअंदाज (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। निमोनिया फेफड़ों से जुड़ा इन्फेक्शन है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। आम तौर पर लोग इसे सिर्फ बुजुर्गों, बच्चों या गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों की समस्या मानते हैं, लेकिन सच यह है कि पूरी तरह हेल्दी दिखने वाले लोग भी इसके शिकार बन सकते हैं।
जी हां, कई बार कुछ अनदेखी की गई आदतें हमारे फेफड़ों को कमजोर बना देती हैं और संक्रमण का रास्ता खोल देती हैं। आइए 12 नवंबर को मनाए जा रहे World Pneumonia Day पर डॉ. प्रवीण कुमार पाण्डेय (सीनियर डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज) से जानते हैं ऐसे कुछ छिपे कारण, जिनसे अनजाने में निमोनिया का खतरा बढ़ सकता है।

नींद की कमी और तनाव
जब शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिलता, तो रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। नींद की कमी से शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स का प्रोडक्शन घट जाता है, जो संक्रमण से लड़ने का काम करती हैं। लगातार तनाव में रहना भी शरीर पर उसी तरह असर डालता है- कॉर्टिसोल नामक हार्मोन बढ़ने से इम्यून सिस्टम दब जाता है। यही वजह है कि जो लोग रोजाना छह घंटे से कम सोते हैं या लगातार तनाव में रहते हैं, उन्हें श्वसन संबंधी संक्रमण, जैसे निमोनिया, जल्दी हो सकता है।
जरूरत से ज्यादा शराब का सेवन
शराब का अधिक सेवन शरीर की कई प्राकृतिक सुरक्षा प्रणालियों को कमजोर कर देता है। यह फेफड़ों की उन बारीक बालनुमा संरचनाओं को नुकसान पहुंचाता है जो धूल और जीवाणुओं को बाहर निकालने का काम करती हैं। शराब खांसी की प्रतिक्रिया को भी दबा देती है, जिससे बैक्टीरिया आसानी से फेफड़ों में जम जाते हैं। इसके अलावा, लंबे समय तक शराब पीने वाले लोगों में पोषक तत्वों की कमी भी हो जाती है, जिससे संक्रमण से लड़ने की क्षमता घटती है।
एसिड रिफ्लक्स
एसिड रिफ्लक्स या गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) सिर्फ जलन या खट्टी डकारों की परेशानी नहीं है। जब पेट का एसिड या खाना ऊपर की ओर आता है, तो उसके सूक्ष्म कण फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। ये कण अपने साथ बैक्टीरिया भी ले जाते हैं, जो फेफड़ों में सूजन या संक्रमण पैदा कर सकते हैं। सही खानपान, दवाओं और सोने की उचित स्थिति अपनाकर इस जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
ओरल हाइजीन को अनदेखा करना
क्या आप जानते हैं कि खराब ओरल हाइजीन यानी दांतों और मसूड़ों की गंदगी भी फेफड़ों के लिए खतरा बन सकती है? जब हम नियमित रूप से ब्रश या कुल्ला नहीं करते, तो मुंह में मौजूद बैक्टीरिया सांस के ज़रिए फेफड़ों में जा सकते हैं। यह स्थिति खासकर उन लोगों के लिए खतरनाक है जो पहले से किसी फेफड़े की बीमारी या कमजोर इम्यून सिस्टम से जूझ रहे हैं। इसलिए दिन में दो बार ब्रश करना, नियमित डेंटल चेकअप करवाना और मुंह की सफाई बनाए रखना बहुत जरूरी है।
घर के भीतर का प्रदूषण और सेकेंड हैंड स्मोक
भले ही आप खुद धूम्रपान न करते हों, लेकिन अगर आप ऐसे वातावरण में रहते हैं जहां सिगरेट का धुआं, रसोई का धुआं या अन्य प्रदूषक मौजूद हैं, तो फेफड़ों पर उसका असर जरूर पड़ता है। लकड़ी या कोयले से खाना पकाने वाले घरों में या बिना वेंटिलेशन वाले कमरों में रहने वाले लोगों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है। साफ हवा, उचित वेंटिलेशन और प्रदूषण रहित वातावरण फेफड़ों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं।
कुछ दवाओं का असर
कई बार डॉक्टर द्वारा दी गई कुछ दवाएं भी अनजाने में निमोनिया का खतरा बढ़ा सकती हैं। जैसे कि एसिड रिफ्लक्स की दवाएं, स्टेरॉयड्स या इम्यून सिस्टम को दबाने वाली दवाएं। ये दवाएं शरीर की प्राकृतिक बैक्टीरियल संतुलन को बिगाड़ देती हैं या प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती हैं, जिससे फेफड़े संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
कैसे करें बचाव?
- पर्याप्त नींद लें और तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान या टहलना अपनाएं।
- एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह से इलाज कराएं।
- दिन में दो बार ब्रश करें और डेंटिस्ट से नियमित जांच करवाएं।
- शराब का सेवन सीमित करें या पूरी तरह छोड़ दें।
- घर के भीतर धुआं और प्रदूषण कम करने के उपाय करें।
- किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
निमोनिया से बचाव केवल मौसम या उम्र पर निर्भर नहीं करता, बल्कि हमारी रोजमर्रा की आदतों और लाइफस्टाइल पर भी निर्भर करता है। थोड़ी-सी सावधानी और सही जानकारी हमें इस गंभीर बीमारी से सुरक्षित रख सकती है। याद रखें कि फेफड़ों की देखभाल करना मतलब अपनी जिंदगी को लंबा और स्वस्थ बनाना।

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