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    ठंड के दिनों में निमोनिया को लेकर बढ़ाएं सतर्कता, बच्चों और बुजुर्गों को आसानी से बना सकता है शिकार

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 07:58 AM (IST)

    हर वर्ष लाखों लोग निमोनिया से पीड़ित होते हैं, इलाज नहीं मिलने से कई लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में लोगों को इस गंभीर बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। आइए इसी मौके पर डॉ. सूर्यकान्त (विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, केजीएमयू, लखनऊ) से जानते हैं निमोनिया से बचाव के उपाय (Pneumonia Prevention Tips)।

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    कैसे करें निमोनिया से अपना बचाव? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है, ऐसे में बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) वालों को निमोनिया होने का खतरा अधिक रहता है। इस गंभीर रोग की पहचान, बचाव और समय पर उपचार के महत्व को समझना जरूरी है। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में निमोनिया मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। 

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    कैसे होता है निमोनिया? 

    इसमें एक या दोनों फेफड़ों के हिस्सों में सूजन आ जाती है व पानी भर जाता है। निमोनिया अधिकतर संक्रमण के कारण होती है, लेकिन अन्य कारणों, जैसे केमिकल, एस्परेशन, आब्स्ट्रक्टिव से भी हो सकती है। बैक्टीरिया, वायरस, फंगस एवं परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया हो सकती है। टीबी भी एक बड़ा कारण है। 

    गंभीर बीमारी है निमोनिया 

    समय से सही इलाज नहीं होने पर यह मौत का कारण भी बन सकती है। भारत में संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु में से लगभग 20 फीसद मौतें निमोनिया की वजह से होती हैं।

    निमोनिया संक्रमण के कारण 

    यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है। धूमपान, शराब एवं नशे से पीड़ित लोग, डायलिसिस करवाने वाले रोगी, हृदय /फेफड़े/लिवर की बीमारियों के मरीज, मधुमेह, गंभीर गुर्दा रोग, बुढ़ापा या कम उम्र (नवजात) एवं कैंसर के मरीज तथा एड्स के मरीजों में निमोनिया की आशंका अधिक रहती है। 

    निमोनिया के प्रमुख लक्षण 

    तेज बुखार, खांसी, बलगम, सीने में दर्द, सांस फूलना एवं कुछ मरीजों में दस्त, उल्टी, व्यवहार में परिवर्तन जैसे मतिभ्रम, चक्कर, भूख न लगना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खून की जांच, बलगम की जांच, छाती का एक्स-रे निमोनिया की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण जांचें हैं।

    Pneumonia Signs

    3 प्रमुख कारक निमोनिया के

    • श्वास के रास्ते- खांसने या छींकने से
    • खून के रास्ते- डायलिसिस वाले मरीज या अस्पताल में भर्ती मरीज जो लंबे समय से आइवी लाइन पर हैं या दिल के मरीज जिन्हें पेसमेकर लगा होता है ।
    • एसपीरेशन- मुंह एवं ऊपरी पाचन नली के स्रावों का फेफड़ों में चला जाना, जो अक्सर खांसते समय होता है। (विशेषकर आपरेशन व वेंटीलेटर के मरीजों में)

    संभव है निमोनिया से बचाव 

    • ठंड से बचें- यह बीमारी ठंड ज्यादा होती है, बच्चों व बुजुगों को ठंड से बचाएं । 
    • न हों बीमारियां- शुगर की जांच करवाते रहना चाहिए । इसे नियंत्रित रखना चाहिए। 
    • लगवाएं वैक्सीन- 65 वर्ष से ऊपर या बीमार लोगों को न्यूमोकोकल वैक्सीन और फ्लू की वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए।

    ये आदतें हैं लाभदायक 

    • अस्पताल में होने वाले संक्रमण से बचने के लिए हाथ धोएं। नेबुलाइजर एवं आक्सीजन के उपकरणों का उचित स्टरलाइजेशन एंडोट्रेकियल ट्यूब की नियमित एवं सही तरीके से सफाई करें और आइवी लाइन को नियमित रूप से बदलवाते रहें ।
    • नवजात व छोटे बच्चों को सर्दियों में नहलाने से बचें, बिना कपड़ों के खुले में न जाने दें। टीकाकरण और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। ठंड व धूल-धुएं से बचें, खांसी-जुकाम से बचाएं । 
    • इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं । हरी सब्जियों व फलों का सेवन करें तथा फास्ट फूड से बचें, योग व प्राणायाम करें।

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