धुंधली होती नजर के हो सकते हैं कई कारण, जानें इसकी वजह और कब लें डॉक्टर की सलाह
आंखों के धुंधलेपन का मतलब है चीजें साफ नजर ना आना। यह समस्या धीरे-धीरे भी हो सकती है और अचानक भी। ऐसा आंखों से जुड़ी समस्या की वजह से या फिर किसी दूसरी बीमारी का संकेत भी हो सकता है। इसके लक्षणों पर नजर रखकर आंखों की सेहत बरकरार रखी जा सकती है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बढ़ती उम्र के साथ या स्क्रीन के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों में धुंधलापन होना सामान्य बात है। यह कुछ समय के लिए हो सकता है या फिर स्थाई भी। धुंधलाती आंखों के पीछे वजह मामूली भी हो सकती है और गंभीर भी, ऐसे में लक्षणों को नजरअंदाज करना आंखों की सेहत के लिए अच्छा नहीं। नजरों के इस धुंधलेपन की वजहों पर आइए डालते हैं एक नजर।
नजर से जुड़ी समस्याएं इसका कारण हो सकती हैं
- मायोपिया: इसमें व्यक्ति को दूर की चीजें देखने में दिक्कत होती है, जबकि पास की चीजें साफ दिखती हैं।
- हाइपरोपिया: इसमें रोगी को दूर की चीजें साफ दिखाई देती हैं, जबकि पास की वस्तुओं को देखने में दिक्कत आती है।
- एस्टिगमैटिज्म: इसमें मरीज के कॉर्निया का आकार असामान्य होता है जिससे आंख में रोशनी समान रूप से फोकस नहीं कर पाती। ऐसे में दूर या पास कहीं से भी चीजें धुंधली ही नजर आती हैं।
- प्रेसबायोपिया: आंखों की इस समस्या में उम्र बढ़ने के साथ-साथ नजदीक की चीजों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है। 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह देखा जाता है।
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ड्राई आइज
यह समस्या तब होती है जब आंखें पर्याप्त आंसू नहीं बना पाती या फिर आंसू तुरंत ही सूख जाते हैं। इसकी वजह से आंखों में जलन, लालिमा और धुंधलापन हो जाता है। इसके ये कारण हो सकते हैं:
- बढ़ती उम्र
- हॉर्मोन में बदलाव
- आंखों की सर्जरी
- कुछ खास प्रकार की दवाएं
- लंबे समय तक स्क्रीन देखना
- प्रदूषण या हवा में नमी कम होना
आंखों की बीमारियां भी हो सकती हैं वजह
- कैटरेक्ट या मोतियाबिंद: इसमें आंखों में धुंधलापन आ जाता है। रात में देखने में और रोशनी से भी परेशानी महसूस होने लगती है। साठ की उम्र के बाद ज्यादातर लोगों में यह समस्या देखी जाती है।
- उम्र की वजह से होने वाला मैक्यूलर डीजेंरेशन: इसे AMD भी कहा जाता है, जोकि रेटिना के केंद्र को प्रभावित करता है। इस वजह से आंखों में धुंधलापन आ जाता है, खासकर आंखों के बीच वाले हिस्से में। वैसे तो इसका कोई इलाज नहीं, लेकिन लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इसकी रफ्तार को कम किया जा सकता है।
- ग्लूकोमा: आंखों में अत्यधिक दबाव की वजह से ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है। इसमें आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसे प्राइमरी और सेकंडरी दो भाग में बांटा गया है। प्राइमरी ग्लूकोमा में जहां यह बिना किसी कारण के हो जाता है वहीं सेकंडरी ग्लूकोमा आंख में चोट लगने, डायबिटीज या फिर लंबे समय तक स्टेरॉइड का इस्तेमाल करने से होता है।
- डायबिटिक रेटिनोपैथी: यह तब होता है जब हाई ब्लड शुगर की वजह से रेटिना के ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाते हैं। इस वजह से आंखों में धुंधलापन आ जाता है। कई बार गंभीर मामलों में आंखों की रोशनी पूरी तरह चली जाती है। वैसे तो शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन एडवांस स्टेज में आंखों के सामने रोशनी की तरंगे दिखना, डार्क स्पॉट और नजर में बार-बार बदलाव होना, जैसे लक्षण दिखते हैं।
इन वजहों से अचानक आ सकता है धुंधलापन
- स्ट्रोक
- रेटिनल डिटेचमेंट
- चोट लगना
- माइग्रेन
- ब्लड प्रेशर का घटना-बढ़ना
- लो ब्लड शुगर
ऐसे में डॉक्टर को दिखाएं
- अचानक आंखों में धुंधलापन आ जाए।
- एक या दोनों ही आंखों की रोशनी अचानक चली जाए।
- आंख या सिर में तेज दर्द होना।
- आंखों के सामने अचानक ही रोशनी की ज्यादा तरंगें नजर आना।
- आंखों में धुंधलेपन के साथ बोलने में परेशानी, कमजोरी या भ्रम होना।
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